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विश्व तंबाकू निषेध दिवस, महीने भर तंबाकू के खर्च में कर सकतें है प्रतिदिन पोष्टिक भोजन

31 May 2023
जयपुर|राजस्थान के युवाओं व किशोरों में तंबाकू व अन्य धूम्रपान उत्पादों की लत का बढ़ना हम सभी के लिए चिंता का गंभीर विषय है। प्रदेश में 65 हजार से अधिक लोगों की तंबाकू व अन्य धम्रपान उत्पादों के सेवन से होने वाली बीमारियों से अकारण मौत हो जाती है। वहीं प्रतिदिन तंबाकू व अन्य धूम्रपान उत्पादों के सेवन में खर्च होने वाली राशि से आसानी से पौष्टिकता से भरपूर भोजन आसानी से किया जा सकता है। “हमें भोजन की आवश्यकता है तंबाकू की नहीं” इस बार ‘‘विश्व तंबाकू निषेध दिवस’ पर विश्व स्वास्थ्य संगठन की थीम “हमें भोजन की आवश्यकता है तंबाकू की नहीं” रखी गई है। जिस तरह से हर इंसान को अपना जीवन चलाने के लिए रोटी, कपड़ा और मकान जैसी मूलभूत आवश्यकता होती है। उसी तरह से तंबाकू को न चुनकर पोष्टिक भोजन को मूलभूत प्राथमिकता में शामिल करने की जरुरत है। महीने भर तंबाकू के खर्च में कर सकतें प्रतिदिन पोष्टिक भोजन एक अनुमान के हिसाब से प्रतिदिन तंबाकू व धम्रपान उत्पादों का सेवन करने वाला 5 गुटखा सेवन कर लेता है और सिगरेट व बीड़ी पीने वाले इसी मात्रा में उपभोग करता है। जिसका अनुमानित खर्च 40 से 50 रुपये आता है। इतनी ही राशि से दो समय का भोजन किया जात सकता है, जोकि पूरी तरह से पोष्टिकता से भरपूर होता है। खासतौर पर राजस्थान सरकार की इंदिरा रसोई इसका अच्छा उदाहरण साबित हो सकती है। राजस्थान में 77 हजार की प्रतिवर्ष मौत सवाई मान सिंह चिकित्सालय जयपुर के कान नाक गला विभाग के वरिष्ठ आचार्य डा.पवन सिंघल ने बताया कि ग्लोबल एडल्ट टोबैको सर्वे के अनुसार राज्य में तंबाकू व अन्य धूम्रपान उत्पादों से होने वाले रोगों से प्रतिवर्ष 77 हजार से अधिक लोगों की मौत हो जाती है और देशभर में 13.5 लाख व विश्वभर में 80 लाख लोगों की जान इससे जाती है। जबकि प्रदेशभर में 300 से अधिक बच्चे और देशभर में 5500 बच्चे प्रतिदिन तंबाकू उत्पादों का सेवन शुरु करते है। तंबाकू से कैंसर के साथ अन्य बीमारियां उन्होने बताया कि सभी जानतें है कि ऐसे उत्पादों के सेवन से मुंह व गले के कैंसर के साथ शरीर में और कई तरह की बीमारियां होती है। लेकिन इसके बावजूद भी जागरुकता के अभाव में यूजर इस और अग्रसर होता है। राजस्थान में 24.7 प्रतिशत तंबाकू यूजर राजस्थान में वर्तमान में 24.7 प्रतिशत लोग (5 में से 2 पुरुष, 10 में से 1 महिला यूजर) किसी न किसी रुप में तंबाकू उत्पादों का उपभोग करते है। जिसमें 13.2 प्रतिशत लोग धूम्रपान के रुप में तंबाकू का सेवन करते है, जिसमें 22.0 प्रतिशत पुरुष, 3.7 प्रतिशत महिलांए शामिल है। यंहा पर 14.1 प्रतिशत लोग चबाने वाले तंबाकू उत्पादों का प्रयोग करते है, जिसमें 22.0 प्रतिशत पुरुष व 5.8 प्रतिशत महिलाएं शामिल है। डा.सिंघल ने बताया कि युवाओं को इससे बचाने के लिए तंबाकू उद्योगों द्वारा अपने उत्पादों के प्रति आकर्षित करने के प्रयास पर प्रभावी अंकुश, बच्चों व युवाओं के निंरतर तंबाकू से होने वाले दुष्प्रभाव के प्रति निंरतर जागरुक करने तथा तंबाकू उत्पादों के विज्ञापनों के साथ इसकी बिक्री पर भी रोक लगाने की जरुरत है। जेजे एक्ट व कोटपा की हो प्रभावी पालना राजस्थान में किशोरों व युवाओं को तंबाकू की पहुंच से दूर रखने के लिए तंबाकू निंयत्रण अधिनियम 2003 (कोटपा) तथा किशोर न्याय अधिनियम की धारा 77 (जेजे एक्ट) की प्रभावी अनुपालना कराने की जरुरत है। वहीं सिगरेट की खुली बिक्री पर प्रतिबंध है लेकिन इसकी भी पालना नही होने के कारण आपको ये सभी उत्पाद आसानी से मिल रहें है। खुली सिगरेट खरीदना युवाओं के लिए सुगम है, इसलिए खुली सिगरेट की बिक्री पर प्रतिबंध को प्रभावी बनाये जाने की जरुरत है। सावर्जनिक स्थल, शिक्षण संस्थानों आसपास, किरयाना स्टोर, पान शॉप इत्यादि स्थानों पर तंबाकू व धूम्रपान उत्पादों की बिक्री पर प्रतिबंध लगाकर भी तंबाकू यूजर की संख्या में कमी लाई जा सकती है। तंबाकू उत्पादों की बढ़ती खपत सभी के लिए नुकसानदायक प्रदेश में तंबाकू उत्पादों की बढ़ती खपत हम सभी के लिए नुकसानदायक है। इससे जहां जनमानस को शारीरिक, मानसिक और आर्थिक भार झेलना पड़ता है वहीं सरकार को भी आथर््िाक भार वहन करना पड़ता है। इसलिए तंबाकू पर टैक्स बढ़ाने की नीति को निरतर बनाए रखना चाहिए या फिर इस पर प्रतिबंध लगा देना चाहिए। राजस्थान सरकार ने जनमानस के स्वास्थ्य को ध्यान में रखते हुए देश में सबसे अधिक टैक्स की श्रेणी में रखा। जिसके चलते प्रदेश में तंबाकू का उपभोग में कमी आई। हर पांच मौतों में से एक मौत तंबाकू की वजह से उन्होंने बताया कि दुनियाभर में होने वाली हर पांच मौतों में से एक मौत तंबाकू की वजह से होती है तथा हर छह सेकेंड में होने वाली एक मौत तंबाकू और तंबाकू जनित उत्पादों के सेवन से होती है। विश्व स्वास्थ्य संगठन का अनुमान है कि सन 2050 तक 2-2 अरब लोग तंबाकू या तंबाकू उत्पादों का सेवन कर रहे होंगे। स्वस्थ जीवन जीने के लिए ये जरुरी सामान्य इंसान को जीवन जीने के लिए प्रतिदिन 2500 कैलोरी की आवश्यकता होती है। जिसमें महिलाओं को 2000 कैलोरी की जरुरत पड़ती है। तभी वे स्वस्थ जीवनयापन कर सकते है। पुलिस महानिदेशक को दिया ज्ञापन राजस्थान के ईएनटी चिकित्सकों, सुखम फाउंडेशन ने ‘‘विश्व तंबाकू निषेध दिवस पर गंभीर चिंता जताई है। इसके लिए प्रदेशभर में कोटपा व जेजे एक्ट में कार्रवाई को लेकर पुलिस महानिदेशक को ज्ञापन दिया गया। जिसमें बताया गया कि राजस्थान में तंबाकू व अन्य धूम्रपान उत्पादों की रोकथाम के लिए राज्य के सभी जिलों व संभाग मुख्यालयों पर कोटपा व जेजे एक्ट में प्रभावी कार्रवाई की जाए तो तंबाकू यूजर को हत्तोसाहित किया जा सकेगा।


प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जी का समाज कल्याण के लिए एक समग्र दृष्टिकोण : डॉ. विनय सहस्त्रबुद्धे

2 Jun 2023
भोपाल।डॉ. सहस्त्रबुद्धे ने पत्रकार वार्ता में कहा मोदी सरकार की हर योजना में सामाजिक कल्याण शामिल
ई-श्रम पोर्टल पर 28 करोड़ से अधिक असंगठित श्रमिकों ने पंजीकरण करवाया है, इसमें पुरुषों की तुलना में महिला पंजीकृत सदस्यों का प्रतिशत अधिक है, इस पोर्टल पर अब तक पंजीकृत सदस्यों में 52.75 प्रतिशत महिलाएं और 47.25 प्रतिशत पुरुष है।
प्रधानमंत्री आवास योजना (ग्रामीण) के तहत देश के ग्रामीण क्षेत्रों में 2.25 करोड़ से अधिक घरों का निर्माण किया जा चुका है।
स्वच्छ भारत मिशन (ग्रामीण) के तहत देश भर में 11 करोड़ से अधिक घरेलू शौचालय बनाए गए है।
12 करोड़ से अधिक घरों को नल के कनेक्शन दिए जा चुके हैं, जिसके बाद ग्रामीण भारत में अब 61.71 प्रतिशत घरों के पास नल कनेक्शन है।
प्रधानमंत्री मातृ वंदना योजना के तहत 3.32 करोड़ से अधिक लाभार्थियों को पंजीकृत किया जा चुका है, और 3.05 करोड़ से अधिक लाभार्थियों को मातृत्व लाभ के रूप में 13,766 करोड़ रुपये से अधिक का भुगतान किया जा चुका है।
ई-ग्राम स्वराज एप्लीकेशन के तहत पंचायती राज संस्थाओं पर फोकस करते हुए 2,46,762 ग्राम पंचायतों की जियोटैगिंग कर, 1,90,311 ग्राम पंचायतों की प्रोफाइल तैयार की गई है। अगस्त 2022 में, आयुष्मान भारत-पीएमजेएवाई के एक भाग के रूप में ट्रांसजेंडर समुदाय से संबंधित लोगों के लिए एक समावेशी और समग्र स्वास्थ्य देखभाल पैकेज की घोषणा की गई।
एक्सेसिबल इंडिया अभियान के तहत, दिव्यांग आबादी के लिए 1500 से अधिक ैपहद स्ंदहनंहम प्दजमतचतमजमते के प्रशिक्षण के साथ 1,607 सरकारी भवनों, 627 राज्य सरकार की बेवसाइटों और 95 केंद्र सरकार की बेवसाइटों को सुलभ बनाया गया है।
अनुसूचित जनजातियों के लिए विकास कार्य योजना (डीएपीएसटी) के तहत, जनजातीय मामलों के मंत्रालय के अलावा 41 मंत्रालयों/विभागों आदिवासी विकास परियोजनाओं के लिए हर साल अपने कुल योजना आवंटन से 4.3 से 17.5 प्रतिशत धन आवंटित कर रहे है।
प्रधानमंत्री श्रम योगी मानधन योजना के तहत मार्च 2023 तक कुल 1247.38 करोड़ रुपये ट्रांसफर किये जा चुके है।
आकांक्षी जिला कार्यक्रम के एक भाग के रूप में 49 प्रमुख प्रदर्शन संकेतकों के आधार पर 112 जिलों को विकसित किया जा रहा है।

भारतीय जनता पार्टी के वरिष्ठ नेता एवं भारतीय सांस्कृतिक संबंध परिषद के अध्यक्ष डॉ. विनय सहस्त्रबुद्धे ने भाजपा प्रदेश कार्यालय में पत्रकार वार्ता को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली एनडीए सरकार की 9 वर्षों की उल्लेखनीय उपलब्धियों पर प्रकाश डाला। डॉ. सहस्त्रबुद्धे ने कहा कि ई-श्रम पोर्टल की स्थापना के बाद अब असंगठित श्रमिकों को मौजूदा सामाजिक कल्याण योजनाओं का लाभ मिल रहा है। इसके अलावा, ट्रांसजेंडर समुदाय से संबंधित लोगों के लिए देश भर में 12 ‘गरिमा गृह’ स्थापित किये गये हैं जो उन्हें आश्रय प्रदान कर रहे हैं। इसी तरह, देश की 2.7 लाख से अधिक दिव्यांग आबादी को लाभावन्वित करने वाली 3954 परियोजनाओं को दीनदयाल विकलांग पुनर्वास योजना के तहत 508.34 करोड़ रुपये की सहायता अनुदान जारी की गयी है। इसके अलावा 1.84 लाख दिव्यांग छात्रों को 2022 तक 556.37 करोड़ रुपये की छात्रृवृत्ति प्रदान की गई है। उन्होंने कहा कि देश में पहली बार पोषण ट्रेकर के तहत गर्भवती महिलाओं और स्तनपान कराने वाली माताओं के लिए राज्य के भीतर और बाहर एक आंगनवाड़ी केंद्र से दूसरे में प्रवास की सुविधा प्रदान की गई है। प्रधानमंत्री आदर्श ग्राम योजना के तहत 2,900 से अधिक गांवों का चयन किया गया है, जिसमें 53 लाख से अधिक परिवारों के जीवन में बदलाव लाया गया है, जिसमें अनुसूचित जाति के 2.6 करोड़ से अधिक लोग शामिल हैं। वर्तमान सामाजिक कल्याण मॉडल स्वभाविक रूप से समावेशी हैं और समग्र सामाजिक कल्याण सुनिश्चित करते हुए सभी समुदायों को इसका लाभ प्रदान कर रहा है।

मोदी सरकार ने दीनदयाल जी की धारणा को साकार किया

भारतीय सांस्कृतिक संबंध परिषद के अध्यक्ष डॉ. विनय सहस्त्रबुद्धे ने प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी के दूरदर्शी नेतृत्व में समाज कल्याण क्षेत्र में हो रहे बदलाव पर प्रकाश डालते हुए कहा कि प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली एनडीए सरकार ने पंडित दीनदयाल जी की धारणा ‘अंतिम व्यक्ति तक पहुंच’ के सिद्धांत को पूरा करने की दिशा में अथक प्रयास किया है। ऐसे ही अधिक जवाबदेही और पारदर्शिता के साथ सार्वजनिक वितरण प्रणाली और सुदृढ़ हुई है। प्रत्येक योजना के लिए समर्पित पोर्टल के साथ-साथ ‘आधार’ प्रणाली में लाए गए सुधार, समाज कल्याण योजनाओं के लाभ लक्षित लाभार्थियों तक सफलतापूर्वक पहुंचा रहे हैं। पीएम उज्जवला योजना, वन नेशन-वन राशन कार्ड, जल जीवन मिशन, पीएम आवास योजना, पीएम ग्राम सड़क योजना और स्वच्छ भारत मिशन जैसी योजनाओं और पहलों के साथ इस क्षेत्र में परिवर्तन की शुरुआत सभी को प्रभावित कर रही है और भारत की लोक कल्याणकारी राज्य की छवि को मजबूती दे रही है।

यूपीए और एनडीए सरकार की तुलनात्मक अध्ययन को लेकर पीपीआरसी ने जारी की रिपोर्ट

डॉ. सहस्त्रबुद्धे ने बताया कि लोक नीति शोध केंद्र (पीपीआरसी) ने ’सामाजिक न्याय से संपूर्ण विकास’ शीर्षक वाली एक रिपोर्ट जारी की, जिसमें देश में मौजूद मजबूत सामाजिक कल्याण मॉडल के मूल सार को शामिल किया गया और साथ ही इसे साबित करने के लिए चौंका देने वाले आंकड़े भी पेश किए गए। उन्होंने बताया कि यह रिपोर्ट प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी के दूरदर्शी नेतृत्व में भारत के सामाजिक कल्याण के एक समग्र मॉडल को चित्रित करते हुए मोदी सरकार द्वारा शुरू की गई प्रत्येक पहल या योजनाओं का विश्लेषण करती है। इसके अलावा, रिपोर्ट यूपीए और एनडीए शासन के बीच तुलना करती है, जिसमें सांख्यिकीय डेटा का उपयोग करके मोदी सरकार के तहत इस क्षेत्र में हो रहे परिवर्तन को उजागर किया गया है।

11.66 करोड़ से अधिक ग्रामीण परिवारों के लिए स्वच्छ पेयजल आपूर्ति सुनिश्चित की

डॉ. सहस्त्रबुद्धे ने कहा कि 2014 में सत्ता में आने के बाद भाजपा के नेतृत्व वाली एनडीए सरकार ने देश में सामाजिक कल्याण के परिदृश्य को बदल दिया है। 2014 से पहले, ग्रामीण स्वच्छता कवरेज केवल 38.7 प्रतिशत था। हालांकि प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में देश ने 2019 में खुले में शौच मुक्त (व्क्थ्) स्थिति को हासिल कर एक नयी कामयाबी को लिखा। इसी तरह 2014 से पहले 19.43 करोड़ ग्रामीण परिवारों में से 3.23 करोड़ घरों में ही नल कनेक्शन उपलब्ध थे। इसके विपरीत 4 अप्रैल, 2023 तक 11.66 करोड़ से अधिक (60 प्रतिशत) ग्रामीण परिवारों को नल कनेक्शन के दायरे में लाया गया और उनके लिए स्वच्छ पेयजल आपूर्ति को सुनिश्चित किया गया। उन्होंने कहा कि आवासीय योजनाओं का मामला भी कुछ अलग नहीं था। 2014 से पहले, ग्रामीण परिवेश के लिए चलने वाली आवासीय योजना चिंता जनक रूप से धीमी गति से बढ़ रही थी। लेकिन, प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व वाली एनडीए सरकार के अंतर्गत प्रधानमंत्री आवास योजना (ग्रामीण) के तहत 2.25 करोड़ से अधिक घरों का निमार्ण किया हैं, जिनमें से 60 प्रतिशत अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति समुदायों को दिये गये हैं।

जनजातीय मंत्रालय के आवंटन में 190 प्रतिशत की वृद्धि हुई

उन्होंने कहा कि एनडीए शासन के तहत सामाजिक कल्याण से संबंधित मंत्रालयों के लिए बजटीय आवंटन में भी जबरदस्त वृद्धि हुई है। उदाहरण के लिए जनजातीय मामलों के मंत्रालय के लिए आवंटन में लगभग 190 प्रतिशत की वृद्धि हुई। मंत्रालय के लिए आवंटन 2013-14 में 4295.94 करोड़ रुपये से बढ़कर 2023-24 में 12461.88 करोड़ रुपये हो गया, जो 2.9 गुना वृद्धि को दर्शाता है। इसी तरह, सामाजिक न्याय और अधिकारिता विभाग के बजट में 1.9 गुना की वृद्धि हुई, जो 91 प्रतिशत से अधिक की वृद्धि को दर्शाता है, यह 2013-14 के 6725.32 करोड़ रुपये से बढ़कर नवीनतम बजट में 12,847.02 करोड़ रुपये हो गया है।

2014 के बाद जनजातीय क्षेत्रों में 523 एकलव्य आवासीय विद्यालय स्वीकृत किए

डॉ. सहस्त्रबुद्धे ने बताया कि पीपीआरसी की रिपोर्ट में भाजपा के नेतृत्व वाली एनडीए सरकार के तहत कार्यात्मक सामाजिक कल्याण की हर योजना को भी शामिल किया गया है। स्वच्छ भारत मिशन-ग्रामीण के दूसरे चरण में 1,685,545 गांवों में ठोस अपशिष्ट प्रबंधन की व्यवस्था है और 2,45,064 गावों में तरल अपशिष्ट प्रबंधन की सुविधाएं हैं, जो ओडीएफ $ स्थिति को प्राप्त करने की दिशा में काम कर रहे हैं। मिशन पोषण 2.0 के तहत देश भर में 4 लाख से अधिक पोषण वाटिकाओं का विकास किया गया है और 1.10 लाख औषधीय पौधे लगाए गए है। इस तरह बेटी बचाओ-बेटी पढाओ योजना के सफल क्रियान्वयन के बाद भारत का लिंग अनुपात 918 (2014-15) से बढ़कर 937 (2020-21) हो गया है और इसमें 19 अंकों का सुधार हुआ है। उन्होंने कहा कि 2021-22 में राष्ट्रीय ग्राम स्वराज अभियान के अंतिम चरण में 695 पंचायत भवन का निर्माण करवाया गया और 6 लाख से अधिक हितधारकों को प्रशिक्षित किया गया था। इसके अलावा, योजना के तहत 1619 पंचायत शिक्षण केंद्र बनाए गए। ऐसे ही मैला ढोने वालों के पुर्नवास एवं स्व-रोजगार योजना (एसआरएमएस) के एक भाग के रूप में, सभी 58,098 चिन्हित लोगों को 40,000 रुपये की एकमुश्त नकद सहायता का भुगतान किया गया है। जनजातीय क्षेत्रों में शिक्षा के लिए 690 एकलव्य मॉडल आवासीय विद्यालयों में से 523 को 2014-15 के बाद स्वीकृत किया गया है। श्री सहस्त्रबुद्धे ने पत्रकार वार्ता में राष्ट्रीय लोक नीति शोध केंद्र (पीपीआरसी) द्वारा मोदी सरकार के 9 वर्ष और यूपीए सरकार के कार्यकाल की तुलनात्मक रिपोर्ट पर पॉवर पाइंट प्रजेंटेशन प्रस्तुत किया। इस अवसर पर पार्टी की प्रदेश उपाध्यक्ष श्रीमती सीमा सिंह, प्रदेश महामंत्री एवं प्रदेश कार्यालय प्रभारी श्री भगवानदास सबनानी, सांसद साध्वी प्रज्ञा सिंह ठाकुर, प्रदेश मीडिया प्रभारी श्री आशीष अग्रवाल, विधायक श्री रामेश्वर शर्मा, प्रदेश प्रवक्ता डॉ. हितेश वाजपेयी, श्री राजपाल सिंह सिसोदिया सुश्री नेहा बग्गा एवं जिला अध्यक्ष श्री सुमित पचौरी उपस्थित थे।


स्वर्गीय विजेश लुणावत के द्वितीय पुण्यतिथी

4 may 2023
भोपाल।मध्य प्रदेश भाजपा पूर्व उपाध्यक्ष स्वर्गीय विजेश लुणावत के द्वितीय पुण्यतिथी (5 मई, 2023 दिन शुक्रवार) पर उनको श्रद्धा सुमन अर्पित किया जाएगा। पुण्यतिथि पर विजेश लुणावत स्मृति फाउंडेशन तथा विजन केयर के संयुक्त तत्वावधान में जरूरतमंद तथा निर्धन व्यक्तियों के लिए निःशुल्क मोतियाबिंद ऑपरेशन तथा लेंस प्रत्यारोपण हेतु नेत्र परीक्षण शिविर का आयोजन भी किया जाएगाI ब्लड शुगर तथा ब्लड प्रेशर की भी निःशुल्क जांच की जाएगी| विजेश लुणावत स्मृति फाउंडेशन की सचिव श्रीमती स्मिता लुणावत के अनुसार नेत्र परीक्षण सुप्रसिद्ध नेत्र रोग विशेषज्ञों की टीम- डॉक्टर ललित श्रीवास्तव, डॉक्टर गजेन्द्र चावला तथा डॉक्टर नेहा द्वारा किया जाएगा I नेत्र परीक्षण के उपरांत डॉक्टर द्वारा आवश्यक सुझाव दिए जाएंगे तथा मोतियाबिंद के ऑपरेशन की आवश्यकता होने पर ऑपरेशन विजन केयर हॉस्पिटल में 7 मई 2023 से सतत होंगे| स्वर्गीय विजेश लुणावत को श्रद्धासुमन ई-115/49 शिवाजी नगर (अंकुर खेल मैदान के पास- 6 नंबर बस स्टॉप) पर प्रातः 10 बजे दिया जाएगा I निःशुल्क मोतियाबिंद ऑपरेशन तथा लेंस प्रत्यारोपण हेतु नेत्र परीक्षण शिविर का आयोजन प्रातः 8:30 बजे से 12 बजे दोपहर तक होगा |
जो लोग आर्थिक रूप से सक्षम नहीं हैं तथा इस निःशुल्क शिविर का लाभ पाना चाहते हैं उनसे आग्रह है कि वे प्रातः 8:30 बजे प्रातः तक उपस्थित हो जाएं| सुप्रसिद्ध रेडियोलॉजिस्ट तथा विजेश लुनावत स्मृति फाउंडेशन के समन्वयक डॉक्टर शैलेश लुनावत ने बताया कि पिछले दो वर्ष में प्रत्येक महीने की 5 तारीख को स्वर्गीय विजेश लुनावत की स्मृति में उनके मासिक पुण्यतिथि पर समाज के निर्धन तथा जरूरतमंदों के लिए विभिन्न तरह का सहयोग किया जाता रहा है| भाजपा के पूर्व उपाध्यक्ष विजेश लुनावत अपने स्कूल के दिनों में ही राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के संपर्क में आ गए थे तथा उन्होंने अपने जीवनकाल में अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद् तथा भारतीय जनता पार्टी में कई महत्वपूर्ण पदों पर अपने कर्तव्यों का निर्वहन किया| इसके अतिरिक्त 2003 से लगातार वे भाजपा के प्रमुख चुनाव राजनीतिज्ञों की टीम में प्रमुख भूमिका का निर्वहन किया|


बुंदेलखण्ड का गौरव बनी जल सहेलियां
04 March 2023
झांसी ।जल संरक्षण में महिलाओं के प्रयासों को केंद्र में रखते हुए पहली बार केन्द्र सरकार ने महिलाओं को सम्मानित किया है। ललितपुर, झांसी व छतरपुर की जल सहेलियों को शनिवार को राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू और केन्द्रीय जल शक्ति मंत्री गजेन्द्र सिंह शेखावत ने सम्मानित किया। ललितपुर की जलसहेली शारदा देवी और छतरपुर की गंगा देवी को राष्ट्रपति ने नई दिल्ली स्थित विज्ञान भवन में स्वच्छ स्वजल शक्ति सम्मान दिया और झांसी की गीता देवी को गजेन्द्र सिंह शेखावत ने वॉटर वारियर्स सम्मान दिया। परमार्थ समाज सेवी संस्थान के सचिव संजय सिंह ने बताया कि जल सहेलियों से प्रेरित होकर ही देश में महिलाएं जल संरक्षण के लिए आगे आई हैं। जल सहेलियों की शुरुआत एक दशक पहले हुई थी और अब इसका असर दिखने लगा है। आज देश के 7 जनपदों में 1100 से अधिक जल सहेलियाँ जल संरक्षण के क्षेत्र में प्रयासरत हैं। जल सहेलियों के कार्यों से प्रेरित होकर देश भर में अब अन्य महिलाएं भी जल संरक्षण के लिए प्रयास कर रही हैं। जल सहेलियों को सम्मान मिलने से महिलाएं प्रेरित होंगी और जल संरक्षण की मुहिम से जुड़ेंगी। संजय सिंह का सपना है कि बुंदेलखंड के समस्त गांवों में कम से कम एक जल सहेली जल संरक्षण के क्षेत्र में सक्रिय जरूर हो। संस्थान लम्बे समय से पानी पंचायत और जल सहेलियों के माध्यम से भी बुंदेलखण्ड में जल संरक्षण और संवर्धन की मुहिम चला रहा है।

तालबेहट, ललितपुर के गांव विजयपुरा की शारदा ने अपने गांव में सूखी बरुआ नदी को पानीदार करने की मुहिम शुरू की और खाली बोरियों में रेत भर कर चेकडैम बना डाला। शारदा कहती हैं कि घर में पुरुष ही निर्णय लेते थे, पर्दा भी था लेकिन सबके विरोध के बावजूद भी हम बाहर निकले और गाँव की तीन दर्जन से ज्यादा महिलाओं को अपने साथ जोड़ कर चेकडैम बना डाला। छतरपुर की बड़ामलेहरा ब्लॉक के चौधरीखेरा गाँव की गंगा देवी ने अपने गाँव में पानी लाने के लिए अंधविश्वास से लड़ते हुए सूखे तालाब को पानीदार किया। वह कहती हैं कि मान्यता थी कि जो भी तालाब में पानी लाने की कोशिश करेगा उसका वंश नष्ट हो जाएगा लेकिन हमने सोचा कि पानी न होने से बेहतर है कि मर ही जाए। हमने गाँव की दो दर्जन से ज्यादा औरतों को तैयार किया और जर्जर तालाब की खुदाई की। बारिश के बाद अब तालाब लबालब भरा है जिससे पूरे गाँव को पानी मिल रहा है।

झांसी बबीना ब्लॉक के मानपुर गांव की रहने वाली गीता को भी सम्मान मिला है। जल सहेली गीता ने अपने गाँव के चंदेलकालीन तालाब के आउटलेट को ठीक करने का जिम्मा लिया और संस्था की मदद से आउटलेट ठीक किया ताकि पानी तालाब में रुकने लगे। अब इसी तालाब से उनके गाँव में सिंचाई होती है।




मेट्रो मिरर फारवर्ड इंडिया फोरम सामाजिक चेतना पहल
19 December 2019
उदयपुर ।शिवहर्ष सुहालका, प्रधान संपादक, ने अपने उदयपुर प्रवास के दौरान दिव्यांग बच्चों से बातचीत कर उन्हें बिस्किट और चॉकलेट उपहार में दिये । थियोसोफिकल सोसायटी , उदयपुर द्वारा चलाये जा रहे स्कूल में बच्चों को सारी सुविधाएं और साफ़- सुथरे हरे भरे वातारण मे रखा जाता हैं।





मेट्रो मिरर फारवर्ड इंडिया फोरम सामाजिक चेतना पहल
19 December 2019
उदयपुर ।शिवहर्ष सुहालका, प्रधान संपादक, ने अपने उदयपुर प्रवास के दौरान दिव्यांग बच्चों से बातचीत कर उन्हें बिस्किट और चॉकलेट उपहार में दिये । थियोसोफिकल सोसायटी , उदयपुर द्वारा चलाये जा रहे स्कूल में बच्चों को सारी सुविधाएं और साफ़- सुथरे हरे भरे वातारण मे रखा जाता हैं।





‘ प्लेज फॉर लाइफ-टोबैको फ्री यूथ ’अभियान से शिक्षण संस्थान हेांगे तंबाकू मुक्त
एनएसएस का तंबाकू विरोधी गतिविधियों की शुरुआत

6 September 2019
नई दिल्ली । देश की राजधानी के दिल्ली विश्वविद्यालय की राष्ट्रीय सेवा योजना (एनएसएस) के विद्यार्थियेां ने शपथ लिया कि वे प्रतिवर्ष दिल्ली में 19 हजार लोगों की तंबाकू सेवन से होने वाली बीमारियेां से जो मौत हेा रही है, उसको रोकने में सक्रिय भूमिका निभांएगे।
दिल्ली विश्वविद्यालय के एनएसएस कार्यक्रम अधिकारी प्रमेंद्र सिंघल ने दिल्ली विश्वविद्यालय की 88 एनएसएस इकाइयों में 8800 स्वंयसेवक है, जो संबध हैल्थ फाउंडेशन (एसएचएफ) व विश्वविद्यालय द्वारा विभिन्न महाविद्यालयों में ‘‘ प्लेज फॉर लाइफ-टोबैको फ्री यूथ अभियान " के तहत् विभिन्न गतिविधियेां के माध्यम से शिक्षण संस्थाअे को तंबाकू मुक्त बनाने व युवाअेां को इस प्रकार के नशों से दूर रखने में अपना योगदान देंगे।
उन्होेने बताया कि, ‘ दिल्ली में 80 से अधिक बच्चे प्रतिदिन तम्बाकू का सेवन शुरू करते हैं, जो कि हमारे लिए चिंता का विषय है।’’ हमारी युवा पीढ़ी ऐसे नशीले पदार्थों का शिकार हेाकर पथभ्रष्ट हो रही है, इससे युवाअेंा व बच्चों के शारीरिक व मानसिक विकास पर भी असर पड़ रहा है।
उन्होने में प्लेज फॉर लाइफ-टोबैको फ्री यूथ ’अभियान के आगाज अवसर पर राष्ट्रीय सेवा योजना (एनएसएस) के विद्यार्थियेां से आव्हान किया कि हम सब मिलकर सुनिश्चित करें कि हमारा कॉलेज परिसर तम्बाकू मुक्त रहे और हर साल दिल्ली में 19000 लेागों की जान लेने वाली इस महामारी को दूर करने में अपना योगदान देंगे। ”ग्लोबल एडल्ट टोबैको सर्वे के अनुसार, दिल्ली में 25 लाख तंबाकू का सेवन करते हैं।
राष्ट्रीय सेवा योजना (एनएसएस) विद्यार्थियेां ने ली शपथ
संबध हैल्थ फाउंडेशन (एसएचएफ) व दिल्ली विश्वविद्यालय द्वारा नरेद्र देव महाविद्यालय, दयाल सिंह महाविद्यालय, शहीद भगत सिंह महाविद्यालय एंव डीयू कैंपस में राष्ट्रीय सेवा योजना (एनएसएस) के स्वंयसेवकों व शिक्षकेंा को तंबाकू व अन्य धूम्रपान उत्पादेां को न लेने की शपथ दिलाई। इस शपथ के बाद
सभी अधिकारियेंा व युवाअेंा ने हमेशा इस संकल्प को याद रखने व युवाअेंा को इससे बचाने का भी भरोसा दिलाया। सभी प्रतिज्ञा की कि वे अपने जीवन में कभी भी तंबाकू को नहीं छूएंगे और अपने दोस्तों और परिवारों को ऐसा ही करने के लिए प्रोत्साहित करेंगे। इसके साथ ही एनएएसएस के स्वंयसेवक अपने स्तर पर तंबाकू से होने वाले दुष्प्रभावों से युवाअेां को जागरुक करेंगे।
इसमें एनएसएस के आचार्य नरेंद्र देव कालेज, कालकाजी की कार्यक्रम अधिकारी डा.मनीषा जैन, दयाल सिंह महाविद्यालय,लोधी रोड़ के डा.राजेश के.अभय, शहीद भगत सिंह महाविद्यालय शेख सराय के डा.राजीव सिन्हा के नेत्त्व में यह कार्यक्रम आयेाजित किये गए। जिसमें 400 से अधिक स्वयसेवकेंा ने भाग लिया।
कार्यक्रम अधिकारियों ने संकल्प लिया कि वे महाविद्यालय के स्वयंसेवक कॉलेज में और साथ ही समुदाय में तंबाकू विरोधी गतिविधियों का संचालन कराएंगे साथ ही तंबाकू के दुष्प्रभाव से आम जनता को रुबरु कराएंगे। इस दिशा में स्वयं प्रतिज्ञा लेना कारण के प्रति हमारी प्रतिबद्धता है।
इन कार्यक्रमों में मैक्स हॉस्पिटल के कैंसर सर्जन और वॉयस ऑफ टोबैको विक्टिम्स (वीओटीवी) के पैटर्न डॉ. सौरभ गुप्ता ने तंबाकू सेवन के स्वास्थ्य पर होने वाले खतरों के बारे में चर्चा की। उन्होंने बताया कि कैसे, न केवल रोगी, बल्कि पूरा परिवार तंबाकू के कारण होने वाले कैंसर के कारण प्रभावित होता है। उन्होंने कहा, “तंबाकू से होने वाली मौत एक मात्र रोके जाने वाले कारणों में से एक है ‘ प्लेज फॉर लाइफ-टोबैको फ्री यूथ ’अभियान में रोकथाम की गतिविधियाँ इस नुकसानदेह सार्वजनिक स्वास्थ्य मुद्दे का एकमात्र उत्तर है। दुर्भाग्य से, 50 प्रतिशत मुंह के कैंसर के मरीज जो सर्जरी से गुजरते हैं वे एक वर्ष से अधिक समय तक जीवित नहीं रहते। हम डॉक्टर के रूप में तो इसका इलाज कर सकते हैं लेकिन आप सभी इन मौतों को रोक सकने में अह्म भूमिका निभा सकतें हैं।” गौरतलब है कि वर्ष 2019 जून माह में, राष्ट्रीय सेवा योजना (एनएसएस) ने दिल्ली विश्वविद्यालय परिसर में तम्बाकू सेवन के कारण होने वाले खतरनाक सार्वजनिक स्वास्थ्य मुद्दों के समाधान के लिए ‘ प्लेज फॉर लाइफ-टोबैको फ्री यूथ ’अभियान शुरू किया है। इसी दौरान सभी कार्यक्रम अधिकारियों ने अपने स्वयं के कॉलेज परिसरों को तम्बाकू मुक्त बनाने के लिए तंबाकू विरोधी गतिविधियों की योजना बनाई थी। इस कार्यशाला में महाविद्यालय के एनएसएस के विद्यार्थियेां, शिक्षकेंा व अधिकारियो ने भाग लिया।


एसआरएम इंस्टीट्यूट आॅफ साइंस एंड टेक्नोलॉजी में डॉ कैलाश सत्यार्थी फाउंडेशन की मदद से सेंटर आॅफ चाइल्ड राइट खुलेगा
9 August 2019
एसआरएम इंस्टीट्यूट आॅफ साइंस एंड टेक्नोलॉजी में डॉ कैलाश सत्यार्थी फाउंडेशन की मदद से सेंटर आॅफ चाइल्ड राइट खुलेगा
एसआरएम इंस्टीट्यूट आॅफ साइंस एंड टेक्नोलॉजी में डॉ कैलाश सत्यार्थी फाउंडेशन की मदद से सेंटर आॅफ चाइल्ड राइट की स्थापना होगी।
नोबेल पुरस्कार विजेता और बच्चों के अधिकारों के लिए लड़ने वाले डॉ कैलाश सत्यार्थी चेन्नई में स्थित एसआरएम इंस्टीट्यूट आॅफ साइंस एंड टेक्नोलॉजी के भ्रमण पर पहुंचे थे। इस दौरान उन्होंने संस्थान के शिक्षकों और छात्रों से फाउंडेशन की 100 मिलियन मुहिम से जुड़ने का आह्वान किया। इस मुहिम के जरिए बाल श्रम को खत्म करने की अपील की। साथ ही उन्होंने एसआरएम इंस्टीट्यूट आॅफ साइंस एंड टेक्नोलॉजी में अपनी फाउंडेशन का एक कार्यालय खोलने की घोषणा की। दिल्ली और लंदन के बाद डॉ कैलाश सत्यार्थी फाउंडेशन का कार्यालय अब यहां खुलेगा।
इस बावत एसआरएम इंस्टीट्यूट आॅफ साइंस एंड टेक्नोलॉजी के प्रेसीडेंट पी सत्यनारायण ने कहा कि डॉ कैलाश सत्यार्थी फाउंडेशन की मदद से सेंटर आॅफ चाइल्ड राइट खुलेगा। यह शैक्षिक संस्थानों में अपनी तरह का पहला सेंटर होगा। इस दौरान उन्होंने डॉ कैलाश सत्यार्थी को एसआरएम इंस्टीट्यूट का एक मिनऐचर भी भेंट किया। इस दौरान डॉ कैलाश सत्यार्थी ने एसआरएम इंस्टीट्यूट के मैदान में पौधारोपण भी किया।
एसआरएम इंस्टीट्यूट के डॉ टीपी गणेश आॅडिटोरियम में 4000 छात्रों के बीच यूथ एंड कंपेसन विषय पर बोलते हुए कहा कि वो चाहते हैं कि एसआरएम इंस्टीट्यूट देश की पहली यूनिवर्सिटी बने जो 100 मिलियन मुहिम के तहत एक सामाजिक बदलाव ला सके। उन्होंने का ही ये बदलाव आप ही ला सकते हैं। ये बदलाव बाहर से नहीं आएगा, खुद अंदर से आएगा। आप खुद ही एक बदलाव हैं। बाल श्रम के खिलाफ आप आवाज उठा सकते हैं। आप कंपनियों से अनुरोध करें कि वो अपने यहां बाल श्रम को बंद करें। आप वॉलिंटयर बनके छोटे—छोटे ब्लॉग लिख सकते हैं। आप सोशल मीडिया के जरिए बाल श्रम को खत्म करने की मुहित शुरू कर सकते हैं। एसआरएम इंस्टीट्यूट से जुड़े हुए हजारों छात्र की पहचान समाज में बदलाव लाने वाले की होनी चाहिए। आपके काम से दुनिया आपको ऐसे ही जानना चाहिए। आप असली हीरो हैं नाकि वो लोग जो पैसे लेकर एक्टिंग करते हैं।
उन्होंने कहा कि चंद्रयान 2 की सफलता के बाद भी अगले एक घंटें में 6 बच्चे गायब हो जाएंगे और 8 बच्चों का रेप हो चुका होगा। आज सिर्फ लड़कियों पर ही खतरा नहीं है बल्कि लड़कें भी सुरक्षित नहीं हैं।
एसआरएम इंस्टीट्यूट आॅफ साइंस एंड टेक्नोलॉजी के प्रेसीडेंट पी सत्यनारायण ने कहा कि डॉ कैलाश सत्यार्थी भारत के अब्राहम लिंकन हैं। अब्राहम लिंकन ने अमेरिका के अंदर दास प्रथा को खत्म करने में अहम भूमिका निभाई थी। उन्होंने कहा कि एसआरएम इंस्टीट्यूट इस मुहिम से जुड़कर यह बदलाव लाएगा। बाल श्रम इसलिए क्योंकि गरीबी है और गरीबी को शिक्षा से ही दूर किया जा सकता है। एसआरएम इंस्टीट्यूट डॉ कैलाश सत्यार्थी फाउंडेशन की मदद से बाल श्रम को खत्म करने के लिए कार्य करेगा।
इस दौरान वाइस चांसलर डॉ संदीप संचेती ने इस सभा का स्वागत किया। इसके बाद छात्रों ने सोशल वेलफेयर से जुड़े प्रोजेक्ट पर प्रजेंटेशन दिया। प्रो वाइस चांसलर डॉ टी पी गणेशन, डॉ आर बालासुब्रहमण्यम इस मौके पर मौजूद थे। प्रो एन सेथुरमन ने इस मौके पर धन्यवाद ज्ञापन किया।


मानव जाति के सबसे बड़े विनाशक पहला ‘ड्रग्स’ तथा दूसरा ‘हथियार’ के कुख्यात दो व्यापारों के बाद ‘मानव तस्करी’ ने अपना तीसरे कुख्यात व्यापार के रूप में स्थान बना लिया है!
29 July 2019
मानव तस्करी के विरूद्ध जागरूकता और पीड़ित व्यक्तियों के अधिकारों की रक्षा के लिए संयुक्त राष्ट्र संघ की घोषणा के अनुसार प्रतिवर्ष विश्व भर में 30 जुलाई को मानव तस्करी के विरूद्ध विश्व दिवस के रूप में मनाया जाता है। इस दिवस का उद्देश्य पीड़ितों की समस्याओं व संभावित समाधानों पर रोशनी डालना है। अंतर्राष्ट्रीय श्रम संगठन के अनुसार विश्व भर में लगभग 21 मिलियन लोग बंधुआ मजदूरी के शिकार हैं। इस अनुमान में श्रम व यौन शोषण के लिए तस्करी किये गए लोग भी शामिल हैं। मानव तस्करी से सभी देश किसी न किसी तरह जुड़े हुए हैं। यू.एन. कार्यालय की रिपोर्ट के अनुसार मानव तस्करी के लगभग एक तिहाई शिकार बच्चे ही हैं, जबकि 71 प्रतिशत मानव तस्करी की शिकार महिलाएँ व लड़कियाँ हैं। मानव जाति के विनाशक पहला ‘ड्रग्स’ तथा दूसरा ‘हथियार’ के दुनिया के सबसे बडे़ कुख्यात दो व्यापारों के बाद ‘मानव तस्करी’ के कुख्यात व्यापार के रूप में तीसरा स्थान बना लिया है! संयुक्त राष्ट्र के वर्तमान महासचिव श्री एंटोनियो गुटेरेश से हम सभी विश्ववासियों की ओर से अपील करते है कि वह अन्तर्राष्ट्रीय समस्या का कुख्यात रूप धारण कर चुकी मानव तस्करी के खिलाफ समाधानपरक निर्णय की घोषणा विश्व के सभी देशों की ओर से करें।
मानव तस्करी पर यूएनओडीसी की द्विवार्षिक ग्लोबल रिपोर्ट के मुताबिक इस अपराध को अंजाम देने के लिए 152 देशों से लोगों की तस्करी की जाती है जबकि 124 देशों में उन्हें पहुंचाया जाता है। एक अनुमान के अनुसार 21 लाख लोग आज भी दास प्रथा से पीड़ित हैं। संयुक्त राष्ट्र की परिभाषा के अनुसार, किसी व्यक्ति को डराकर, बलपूर्वक या उससे दोषपूर्ण तरीके से काम लेना, एक स्थान से दूसरे स्थान पर ले जाना या बंधक बनाकर रखने जैसे कृत्य तस्करी की श्रेणी में आते हैं। मानव तस्करी के कुछ कारण इस प्रकार हैं - गरीबी और अशिक्षा (सबसे बड़ा कारण), मांग और आपूर्ति का सिद्धांत, बंधुआ मजदूरी, देह व्यापार, सामाजिक असमानता, क्षेत्रीय लैंगिक असंतुलन, बेहतर जीवन की लालसा, सामाजिक सुरक्षा की चिंता, महानगरों में घरेलू कामों के लिये भी होती है लड़कियों की तस्करी, चाइल्ड पोर्नोग्राफी के लिये भी होती है बच्चों की तस्करी आदि हैं। भारत का गृह मंत्रालय मानव तस्करी की रोकथाम के लिये यूएन आफिस आॅफ ड्रग्स एंड क्राइम के साथ सहयोग कर रहा है। यूएनओडीसी दक्षिण एशिया प्रभाग कानून प्रवर्तन और पुनर्वास के परिप्रेक्ष्य से एक विशेष ‘ट्रैफिकिंग इन पर्सन्स प्लेटफार्म’ शुरू करने की प्रक्रिया में है।
वैटिकन सिटी, (30 जुलाई 2018) मानव तस्करी के खिलाफ विश्व दिवस पर संत पापा फ्राँसिस ने मानव तस्करी के शिकार लोगों की पुकार सुनने और उनकी मदद के लिए आगे आने का आह्वान किया। संदेश में उन्होंने लिखा, “आइये, हम मानव तस्करी और शोषण में फंसे हमारे भाइयों और बहनों का रूदन सुने। वे व्यापार की वस्तुएँ नहीं हैं। वे इंसान हैं और उनके साथ इन्सान की तरह व्यवहार किया जाना चाहिए।” संत पापा फ्राँसिस ने 29 जुलाई 2018 को संत पेत्रुस महागिरजाघर के प्रांगण में एकत्रित तीर्थयात्रियों के साथ देवदूत प्रार्थना का पाठ करने के बाद सभी पुरूषों और महिलाओं को अन्याय की निंदा करने और मानव तस्करी के ‘शर्मनाक अपराध’ के खिलाफ दृढ़ता से खड़े होने की अपील की।
बच्चों के अधिकारों के लिए संयुक्त राष्ट्र संघ के संगठन यूएन इण्टरनेशनल चिल्ड्रेन्स इमरजेंसी फण्ड (यूनीसेफ) की ग्लोबल गुडविल एंबेसडर तथा भारतीय अभिनेत्री प्रियंका चोपड़ा को यूनीसेफ की ओर से 3 दिसंबर 2019 को न्यूयार्क में आयोजित होने वाले यूनीसेफ स्नोफ्लेक बाल समारोह में डैनी केये ह्यूमनटेरियन (मानवीय) अवार्ड से सम्मानित किया जाएगा। प्रियंका ने कहा कि दुनिया के सारे बच्चों की तरफ से यूनीसेफ के साथ मेरा काम मेरे लिए सब कुछ है। उनके लिए शांति, आजादी और शिक्षा का अधिकार। प्रियंका साल 2006 से यूनीसेफ से जुड़ी हैं। साल 2010 और 2016 में क्रमशः उन्हें बाल अधिकार के लिए राष्ट्रीय और वैश्विक यूनीसेफ गुडविल एंबेसडर नियुक्त किया गया था। वह विभिन्न मुद्दों जैसे कि पर्यावरण, स्वास्थ्य, शिक्षा और महिलाओं के अधिकारों को बढ़ावा देने के साथ ही साथ लैंगिक समानता और नारीवाद के बारे में भी हमेशा बात करती हैं।
सत्यमेव जयते (टीवी श्रंृखला) नामक कार्यक्रम नेशनल दूरदर्शन के साथ-साथ स्टार नेटवर्क के विभिन्न चैनलों पर प्रसारित किये जाने वाला एक भारतीय दूरदर्शन कार्यक्रम है। कार्यक्रम का पहला प्रसारण 6 मई 2012 को फिल्म जगत के लोकप्रिय अभिनेता और निर्माता आमिर खान के द्वारा प्रसारित किया गया था। इस् कार्यक्रम ने भारत में प्रचलित सामाजिक कुरूतियों एवं समस्याओं जैसे महिलाओ के साथ दुराचार, बाल यौन शोषण, दहेज, चिकित्सा अनाचार, आनर किलिंग, शराब, अस्पृश्यता, विकलांग, घरेलू हिंसा आदि मे प्रकाश डाला जाता है। सत्यमेव जयते केवल एक कार्यक्रम नहीं बल्कि लोगों के विचारांे को बदलने के लिए एक आंदोलन है।
मानव तस्करी से अनेक बच्चों का जीवन बचाने के लिए मानव जाति मदर टेरेसा की सदैव ऋणी रहेगी। 7 अक्टूबर 1950 को उन्हें वैटिकन से ‘मिशनरीज आॅफ चैरिटी’ की स्थापना की अनुमति मिल गयी। इस संस्था का उद्देश्य भूखों, निर्वस्त्र, बेघर, लंगड़े-लूले, अंधों, चर्म रोग से ग्रसित और ऐसे लोगों की सहायता करना था जिनके लिए समाज में कोई जगह नहीं थी। मदर टेरेसा को मानवता की सेवा के लिए अनेक अंतर्राष्ट्रीय सम्मान एवं पुरस्कार प्राप्त हुए। भारत सरकार ने देश के सर्वोच्च नागरिक सम्मान ‘भारत रत्न’ (1980) से अलंकृत किया। मदर टेरेसा को 1979 में नोबेल शांति पुरस्कार मिला।
भारत के राष्ट्रपति, श्री राम नाथ कोविन्द का ‘जस्टिस एंड केयर’ के समारोह में सम्बोधन कहा कि हम आज सूचना क्रांति के उस दौर में हैं, जहां सामाजिक बुराइयों पर खुलकर बातें होने लगी हैं। लोग आपस में सलाह-मशविरा कर रहे हैं, चर्चा कर रहे हैं और इससे समाधान भी निकल रहे हैं। लेकिन, कुछ सामाजिक बुराइयों पर अभी समाज में चर्चा कम होती है। इन्हीं में से एक है- मानव तस्करी। यह हमारे देश के लिए ही नहीं, दुनिया भर के लिए एक अभिशाप है। मुझे बताया गया है कि पिछले तीन वर्षों में मानव तस्करी के मामलों में 39 प्रतिशत की बढ़ोत्तरी हुई है और दुनिया भर में 4 करोड़ से अधिक लोग इस अपराध से प्रभावित हैं।
नोबेल पुरस्कार विजेता श्री कैलाश सत्यार्थी एक ऐसी हस्ती, जिन्होंने 88,000 बंधुआ और तस्करी कर लाए गए बच्चों को छुड़ाया। वह अपने इन शब्दों पर अमल करते हैं कि हरेक का बचपन महत्व रखता है। श्री सत्यार्थी ने बालश्रम और बंधुआ मजदूरी उन्मूलन के लिए अपने संघर्षपूर्ण अभियान की शुरूआत 1980 में ‘बचपन बचाओ आंदोलन’ के गठन के साथ की थी। 6 जून, 1998 को जेनेवा में जब अंतर्राष्ट्रीय श्रम संगठन (आईएलओ) के आयोजन में 150 देशों के प्रतिनिधि जुटे थे, श्री सत्यार्थी ने 600 बच्चों और कुछ वैश्विक बाल अधिकार कार्यकर्ताओं के ग्लोबल मार्च का नेतृत्व किया था। उस ग्लोबल मार्च में मुझे भी भाग लेने का सुअवसर मिला था।
पाकिस्तान की सामाजिक कार्यकर्ता मलाला यूसुफजई को 2014 का नोबेल शांति पुरस्कार भारत के श्री कैलास सत्यार्थी के साथ संयुक्त रूप से दिया गया है। मलाला को पाकिस्तान में महिलाओं के लिए शिक्षा को अनिवार्य बनाए जाने की मांग के बाद 9 अक्टूबर 2012 को तालिबान की गोली का शिकार होना पड़ा था। लेकिन इस बहादुरी बेटी ने मौत को मात देकर अपना पूरा जीवन सम्पूर्ण मानवता के लिए अर्पित कर रखा है। उन्होंने नेशनल प्रेस के सामने वो मशहूर भाषण दिया जिसका शीर्षक था- हाउ डेयर द तालिबान टेक अवे माय बेसिक राइट टू एजुकेशन? तब वो केवल 11 साल की थीं। लड़कियों की शिक्षा के अधिकार की लड़ाई लड़ने वाली साहसी मलाला यूसुफजई की बहादुरी के लिए संयुक्त राष्ट्र द्वारा मलाला के 16वें जन्मदिन पर 12 जुलाई को मलाला दिवस घोषित किया गया। महिला एवं बाल विकास मंत्रालय, भारत सरकार तत्कालीन मंत्री श्रीमती मेनका गांधी ने मानव तस्करी के खिलाफ जागरूकता फैलाने के लिए एक प्रतियोगिता वर्ष 2018 में शुरू की थी। इस प्रतियोगिता के तहत अगर आप किसी अनूठे स्थान पर चाइल्डलाइन 1098 के लोगांे की तस्वीर को टैग लाइन के साथ मंत्रालय को भेजते हैं तो आप नकद पुरस्कार जीत सकते हैं। यह प्रतियोगिता 30 जुलाई को मानव तस्करी खिलाफ विश्व दिवस मनाने के लिए आयोजित की गयी थी। चाइल्ड लाइन 1098 मुसीबत में फंसे बच्चों के लिए आपात राष्ट्रव्यापी हेल्पलाइन है। यह समूचे देश में 76 प्रमुख रेलवे स्टेशनों सहित 450 स्थानों पर संचालित हो रही है। महिला एवं बाल विकास मंत्रालय ने एक वेबसाइट बनाई है। परस्पर संवाद स्थापित करने वाली यह वेबसाइट प्रत्येक राज्य में लापता बच्चों के संबंध में जानकारी देती है। इस वेबसाइट द्वारा लापता बच्चों की संख्या, उनके गायब होने का समय तथा संबंधित पुलिस स्टेशन के बारे में जानकारी हासिल की जा सकती है। वर्तमान में इस महत्वपूर्ण विभाग की मंत्री श्रीमती स्मृति ईरानी तथा राज्यमंत्री सुश्री देवाश्री चैधरी है।
28 फरवरी 2018 को केंद्रीय कैबिनेट ने मानव तस्करी (रोकथाम, संरक्षण और पुनर्वास) विधेयक, 2018 को मंजूरी दी थी। अगले ही महीने देश के कई हिस्सों से दिल्ली आए मानव तस्करी के पीड़ितों ने तमाम सांसदों से मिलकर दरख्वास्त की कि संसद के तत्कालीन सत्र में इस विधेयक को कानून का दर्जा दे दिया जाए। आयोजन में मौजूद शत्रुघ्न सिन्हा का कहना था, ‘दुख की बात है कि अब भी ऐसे हालात मौजूद हैं। नए बिल में इंटर-स्टेट इनवेस्टिगेशन और नेशनल एंटी-ट्रैफिकिंग ब्यूरो का प्रावधान है, जो इन समस्याओं को सुलझाएगा। मानव तस्करी पीड़ितों की समस्या सुनते पूर्व सांसद श्री शत्रुघन सिन्हा, सांसद सुश्री कोथापल्ली गीता और प्रयास के स्वयं सेवी संस्था के संयोजक श्री आमोद कुमार कंठ।
चेन्नई, सात दिसंबर 2019 (भाषा) अभिनेता तथा नेता श्री कमल हासन ने प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखकर मानव तस्करी रोधी विधेयक पर संसद के शीतकालीन सत्र में चर्चा सुनिश्चित करने की अपील की। मक्कल निधि मय्यम (एमएनएम) प्रमुख ने कहा कि मानव तस्करी (रोकथाम, संरक्षण एवं पुनर्वास) विधेयक 2018 इस साल जुलाई में लोकसभा में पारित किया गया था और राज्य सभा में उसपर चर्चा बाकी है। मानव तस्करी के चंगुल से निकलने वाले कुछ लोगों के समूह से अपनी हालिया बातचीत का हवाला देते हुए हासन ने कहा कि पीड़ितो ने “छल, शारीरिक क्रूरता और मानसिक जख्म की कहानियां सुनाईं जिसके साथ उन्हें ताउम्र जीना पड़ेगा।” उन्होंने अफसोस जताया कि भारत इस अमानवीय गतिविधि (तस्करी) के लिए उत्पत्ति, पारगमन एवं गंतव्य का विश्व का एक बड़ा केन्द्र है। श्री हासन ने कहा, “मुझे उम्मीद है कि सरकार संसद के आगामी सत्र में चर्चा के लिए इस विधेयक को पेश करेगी और सभी पार्टियां प्रस्तावित कानून का समर्थन करेंगी।
वर्तमान में केन्द्र के सरकारी खजाने से पैसा गांव के प्रधान तथा डायरेक्ट बेनिफिट ट्रान्सफर योजना के अन्तर्गत 439 योजनाओं के माध्यम से पात्र व्यक्ति तक आ रहा है। भारत सरकार को बस एक धक्का लगाकर राष्ट्रीय आय की कुछ धनराशि सीधे प्रत्येक वोटर के खाते तक पहुंचाना है। वोटरशिप स्कीम के जन्मदाता श्री भरत गांधी का कहना है कि अति आधुनिक मशीनीकरण तथा कम्प्यूटर के युग में प्रत्येेक बेरोजगार को नौकरी देना सम्भव नहीं है। बेरोजगार युवा परिवार के लिए एक बोझ की आत्मग्लानि में जीता है। उदाहरण के लिए एक पिता की चार संतानों में भैस का दूध तो बांटा जा सकता है लेकिन भैस नहीं बांटी जा सकती। इसी प्रकार धरती माता की प्रत्येक संतान में पैसा तो बांटा जा सकता है लेकिन बराबर से जमीन नहीं बांटी जा सकती।
विश्व के सबसे बड़े लोकतांत्रिक देश भारत को गरीब और अमीर प्रत्येक वोटर के लिए भावी वोटरशिप योजना को जल्द से जल्द लागू करके विश्व के समक्ष मिसाल प्रस्तुत करना चाहिए। धरती को ड्रग्स, हथियार तथा मानव तस्करी जैसे कुख्यात विश्वव्यापी व्यापारों से मुक्ति का मार्ग भावी वोटरशिप योजना से अवश्य प्रशस्त होगा। सारा विश्व भारत में लोकतंत्र के विकास तथा सफलता की उच्चतम अवस्था का अनुकरण करने के लिए भावी वोटरशिप योजना को अपने-अपने देश में लागू करेगा। इस प्रकार मानव जीवन की शारीरिक, मानसिक, यहाँ तक कि सामाजिक, राजनैतिक, वैश्विक समस्याओं के लिए समाधान के नए द्वार खुलेंगे। भारतीय संस्कृति के आदर्श वसुधैव कुटुम्बकम् की परिकल्पना साकार होगी।


सेमीनार में निकला निष्कर्ष - शहरों को महिलाओं के लिए सुरक्षित बनाना पहली प्राथमिकता, मप्र में सक्रिय पुलिस योगदान महती जरूरत
24 July 2019
भोपाल सहित सभी शहरों में महिला सुरक्षा एक महत्वपूर्ण और विचारणीय विषय है। आने वाले तीन दशकों के लिए आकलन है कि भारत की 60 फीसदी आबादी शहरों में रहने लगेगी। इसे देखते हुए शहरों के विकास और विस्तार के साथ ही इन्हें लैंगिक समानता और महिला सुरक्षा के लिए भी तैयार करने की जरूरत है। इसी विषय और इससे जुड़े महत्वपूर्ण मुद्दों पर विचार करने के लिए सेफ्टी पिन और सेंटर फॉर सोशल रिसर्च (सीएसआर) द्वारा संयुक्त रूप से एक सेमिनार का आयोजन बुधवार को किया गया। सेमिनार के आयोजन में द एशिया फाउंडेशन और कोरिया इंटरनेशनल कोऑपरेशन एजेंसी (केओआईसीए) की साझेदारी भी रही।
कार्यक्रम में मुख्य वक्ता के रूप में द एशिया फाउंडेशन की भारतीय प्रतिनिधी नंदिता बरुआ, सेंटर फॉर रिसर्च सेंटर(सीएसआर) की निदेशक डॉ. रंजना कुमारी, सेफ्टीपिन की सीईओ और सह-संस्थापक डॉ. कल्पना विश्वनाथ, भोपाल नगर निगम आयुक्‍त बी. विजय दत्ता और अपर/ अतिरिक्‍त पुलिसमहानिदेशक अनुराधा शंकर मौजूद थे। कार्यक्रम का मुख्य उददेश्य पुलिस, स्‍थानीय सरकार, नीति निर्धारकों, सिविल सोसायटी, युवाओं और अन्य नागरिकों के साथ महिलाओं की सुरक्षा की आवश्यकता और सार्वजनिक स्थानों तक उनकी पहुंच और उसके इस्‍तेमाल के अधिकार पर संवाद शुरू करना था।
कार्यक्रम के दौरान आयोजक संगठनों ने अपने दो प्रोजेक्ट की जानकारी भी साझा की। इनमें से एक पुलिस को शामिल करते हुए सार्वजनिक स्‍थानों पर लैंगिक समानता के मुद्दे पर चर्चा करना था। वहीं दूसरा प्रोजेक्ट भोपाल और ग्वालियर में महिलाओं की सुरक्षा पर डेटा तैयार करने के लिए टेक्नोलॉजी के उपयोग से संबंधित था।
इस दौरान जानकारी दी गई कि इससे पहले प्रमुख महिला संगठन सेंटर फॉर सोशल रिसर्च द्वारा भोपाल में पुलिस प्रशिक्षण अकादमी में इसी वर्ष कार्यशालाएं आयोजित की गई थी। इन कार्यशालाओं में सार्वजनिक स्‍थानों पर महिलाओं और लड़कियों को अधिक इफेक्टिव और रिस्पांसिबल पुलिस सहायता प्रदान करने और जेंडर सेंसेटिवनेस लाने के लिए पुलिस के प्रयासों पर बात की गई थी। इन वर्कशॉप के दौरान इस प्रक्रिया में सहायता के लिए, सीएसआर ने एक पुलिस प्रशिक्षण नियामवली भी विकसित की थी। सेमिनार में कहा गया कि इस नियमावली का उपयोग राज्य के प्रशिक्षण अकादमियों के माध्यम से विभिन्न शहरों में पुलिस अधिकारियों को इस प्रक्रिया में जोड़ने के लिए किया जा सकता है।
इस दौरान सेफ्टीपिन ने भोपाल और ग्वालियर में अपने अध्ययन के आधार की जानकारी भी दी। उन्होंने बताया कि इस रिसर्च को करने के लिए उन्होंने शहरों में सेफ्टी ऑडिट किया, जिसमें सार्वजनिक स्थानों पर सुरक्षा अहम विषय था। इसके साथ ही शहरों में पब्लिक ट्रांसपोर्ट और महिला सुरक्षा से जुड़े विभिन्न विभागों से फोकस्ड ग्रुप डिस्कशन भी किया गया। इन सब के आधार पर पब्लिक ट्रांसपोर्ट और पब्लिक प्लेसेस पर महिलाओं की सुरक्षा में सुधार के लिए स्पष्ट सिफारिशों के साथ सुरक्षा विश्लेषण रिपोर्ट तैयार की गई। इस रिपोर्ट में सावर्जनिक क्षेत्रों में लाइटिंग, पैदल चलने और पब्लिक ट्रांसपोर्ट का उपयोग करने पर बुनियादी ढाचे में सुधार के संबंध में शहर के विशिष्ट क्षेत्रों को चिन्हित किया गया है, जिससे महिला सुरक्षा को प्रभावी बनाया जा सके।
इस अवसर पर सेंटर फॉर सोशल रिसर्च की निदेशक डॉ.रंजना कुमारी ने कहा कि “महिलाओं ने हमारे देश के विकास में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। आज, बड़ी संख्या में महिलाएं प्रमुख शहरों और कस्बों में काम पर जा रही हैं। और ऐसे में हमारे शहरों को उनके लिए सुरक्षित बनाने की सख्त जरूरत है।"
कार्यक्रम के दौरान द इंडिया फाउंडेशन की भारत की प्रतिनिधी नंदिता बरुआ ने महिलाओं की शिक्षा और आर्थिक सशक्तिकरण के संबंध में कहा कि “महिलाओं की शिक्षा और आर्थिक सशक्तिकरण पर किए गए निवेश ने अधिक से अधिक महिलाओं को रिजर्व पब्लिक प्लेसेस में भी प्रवेश करने के लिए प्रेरित किया है। हालांकि, इनमें से अधिकांश सार्वजनिक स्थान महिलाओं को शामिल करने के नजरिए से डिज़ाइन नहीं किए गए हैं। वे महिलाओं की सुरक्षा से समझौता करते हैं और उन्हें बेबसी का अनुभव कराते हैं। यह सुनिश्चित करने के लिए कि महिलाओं के सशक्तिकरण में हमारा निवेश पटरी से न उतरे इसके लिए सार्वजनिक स्थलों को महिलाओं के लिए समान रूप से सुलभ बनाना आवश्यक है, जिससे उन्‍हें काम और आराम दोनों के आनंद का अनुभव हो सके।"
शहरों में महिला सुरक्षा पर चिंता जताते हुए सेफ्टीपिन की सीईओ और सह-संस्थापक डॉ. कल्पना विश्वनाथ ने कहा “भारतीय शहरों में महिलाओं की सुरक्षा एक बड़ी चिंता है। हमारे अध्ययन में पाया गया कि सर्वे में शामिल लगभग 95% महिलाओं ने पब्लिक ट्रांसपोर्ट का उपयोग करते समय और 84% महिलाओं ने पब्लिक ट्रांसपोर्ट के लिए इंतजार करते वक्‍त अपने को असुरक्षित महसूस किया है। बावजूद, यौन उत्पीड़न की रिर्पोटिंग में कमी बरकरार है। उन्होंने कहा कि महिलाओं के बीच शिक्षा और काम के अवसरों संबंधी बढ़ती मांग को देखते हुए सुरक्षित सड़कों और सार्वजनिक स्थानों को बनाने के लिए एक स्ट्रांग प्लानिंग का होना बहुत आवश्‍यक है।
सेमिनार में यह बात निष्कर्ष के रूप में आई कि संस्थागत पुलिस प्रशिक्षण अकादमी में वर्तमान पुलिस प्रशिक्षण पाठ्यक्रम को जेंडर समानता को बढ़ावा देने पर अतिरिक्त मॉड्यूल का लाभ मिलेगा। सीएसआर द्वारा आयोजित पुलिस प्रशिक्षण कार्यशालाओं का उद्देश्य पुलिस अधिकारियों के बीच लैंगिक मानदंडों की धारणाओं को समझना और उन्हें संबोधित करना और उन्हें सार्वजनिक स्थानों पर महिलाओं के उपयोग और पहुंच को सक्रिय रूप से बढ़ावा देने के लिए प्रोत्साहित करना है।


भीड़ द्वारा हिंसा एक सामाजिक कलंक
14 February 2019
विश्व भर के लोगों को ज्ञात हैं कि, भारत एक बहुभाषी, बहुधर्मी और बहुसांस्कृतिक राष्ट्र हैं। यॅंहा प्रत्येक नागरिक को विचार, विष्वास, धर्म, उपासना और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता हैं। एक सबसे महत्वपूर्ण बात यह भी हैं कि भारत की लौकिक प्रणाली में ‘‘विधि का शासन ‘‘ निहित हैं। यॅंहा प्रत्येक नाागरिक से अपेक्षा की जाती हैं कि वह कानून का उल्लघंन न करें और किसी प्रकार की गैरकानूनी विधि न करें। यदि किसी व्यक्ति से कोई अपराध हुआ हैं तो उसे सजा देने का अधिकार कानून को हैं न कि आम जनता को। किसी को यह अधिकार नहीं हैं कि वह कानून को अपने हाथ में लें और अपराधी को स्वयं सजा दे यह कानूनी तौर पर तो गलत हैं ही और नैतिक रूप से भी अनुचित हैं। ऐसी घटनाएं देष की एकता व अखण्डता को नुकसान पहुॅंचाती हैं तथा विखण्डनकारी शक्तियों को देष में अषांति फैलाने के लिये आधार उपलब्ध कराती हैं। अतः ऐसी घटनाओं की पुनरावृत्ति न हो सके इसके लिये सरकार को कडे़ कदम उठाना आवष्यक हैं। भीड़ का मनोविज्ञान सामाजिक विज्ञान का एक छोटा सा हिस्सा हैं इसे मोब साइकोलाॅजी कह सकते हैं। यह एक अजीब और पुराना तरीका हैं। जिसकी प्रांसगिकता समाज में स्थिरता आने और कानून व्यवस्था के उपर भरोसे के बाद खत्म होती गयी। भीड़ बहुसंख्यक लोकतंत्र के एक हिस्से के तौर पर दिखती हैं खुद ही कानून का काम करती हैं। भीड़ स्वयं को सहीं मानती हैं और अपनी हिंसावृत्ति को व्यवहारिक और जरूरी बताती हैं। भीड़ सभ्य समाज की सोचने और समझने की क्षमता और बातचीत से मसले सुलझाने का रास्ता खत्म कर देती हैं। पिछले कुछ समय से हमारे देष के अनेक प्रदेषों में पिटाई करने ओर यहाॅं तक कि भीड़ द्वारा लोगो को पकड़कर मार डालने की घटनाएं भी हुई हैं। इन घटनाओं में कोई गोमांस खाने का तथाकथित आरोपी तो, कोई दुष्कर्म का आरोपी या और कोई गायों को वधषाला के लिये ले जाने का तथाकथित दोषी हो तो और कोई चोरी करने का दोषी हुआ हो। कष्मीर में तो हाल ही में एक पुलिस अधिकारी को भी बिना वजह ही भीड़ ने पीट पीट कर मार डाला। कोई भी सभ्य व्यक्ति यह कहने में कभी संकोच नहीं करेगा कि से भीड़ द्वारा हिंसा या हत्या कर देना अनुचित व अपराधिक कृत्य हैं, क्योंकि भीड़ कभी भी सत्य को परखने, समझनेे या आरोपी को अपना पक्ष बताने का अवसर नहीं देती। भीड़ एक दूसरे को भटकाती हैं और सभी लोग अतार्किक तरीके से हिंसा करते हैं। ऐसे कृत्य से कानून, विधि की उचित प्रक्रिया न होकर प्राकृतिक न्याय का उल्लघ्ंान होता हैं। वर्तमान में हमारे देष में यह अक्सर देखा जा रहा हैं कि भीड़ कानून को अपने हाथों में ले रही हैं। अगर हम हजारों साल पहले दुनिया का इतिहास देखे तो यह पाएगें कि ऐसी घटनाएं उस समय यदा कदा होती थी और जो भी शासक रहता था वह ऐसी घटनाओं पर रोक लगाने के लिये कठोर से कठोर कदम उठाता था। सभ्य समाज कभी भी ऐसी बुराईयों को प्रोत्साहित नहीं करता। इस हिंसा के पीछे चिंता और घबराहट के माहौल को जिम्मेदार माना जा सकता हैं। हमारे देष में रोजगार के लिये विभिन्न राज्यों में लोगों का आना जाना लगा रहता हैं। ऐसा देखा जा रहा हैं कि गरीब तबके के लोग ही भीड़ द्वारा हिंसा के षिकार होते हैं। विगत दिनों में कई राज्यों में माॅब लिचिंग के मामलें सामने आये हैं जिन्हें राज्य सरकार एवं कैंन्द्र सरकार भी रोकने में असमर्थ रही। विगत वर्षो में हमारे भारतवर्ष में मोगलिचिंग की कई घटनाएं हुई हैं, इन घटनाओं के पीछे गौरक्षा, साम्प्रदायिक या जातीय घृणा, बच्चा उठाने की अफवाह आदि शामिल थे। यह आकड़े महज 9 राज्यों के आकड़े हैं। जिसमें सबसे ज्यादा मोब लिंचिग की घटनाएं असम, झारखण्ड, मध्यप्रदेष, उत्तरप्रदेष, राजस्थान, गुजरात, महाराष्ट्र, बिहार, त्रिपुरा, जम्मु कष्मीर में हुई हैं। वर्तमाान में हमारे देष में यदि कोई युवक चोरी करते हुए पकड़ा जाता हैं तो उसको कानून के हवाले ना करते हुए भीड़ के द्वारा दंडित किया जाता हैं जो कि सरासर अनुचित हैं। ऐसी कई घटनाएं हमारे देष में निंरतर विभिन्न राज्यों में हो रही हैं। कभी गौ हत्या को लेकर तो कभी बलात्कार को लेकर कुछ असामाजिक तत्व को कानून अपने हाथों में ले रहें हैं जो इस सभ्य समाज पर एक ऐसा धब्बा हैं जो कभी नहीं धुल सकता। और यह भारतीय समाज का एक भयावह चित्र प्रस्तुत करती हैं।देष में होने वाले राजनैतिक आंदोलनो में भी ऐसी हिंसा देखी जा रही है और अक्सर राष्ट्र की सम्पत्ति को भारी नुकसान पहुॅंच रहा हैं। शायद यह भीड़ तंत्र नहीं जानता कि हमारे द्वारा सरकार को दिये गये टैक्स से ही इसकी क्षतिपूर्ति होती हैं। कैन्द्र सरकार ने इसे गंभीरता से लिया हैं और कठोर नियम बनाने की भी घोषण की हैं लेकिन राजनैतिक पार्टिया वोट के लालच में इस गंभीर समस्या को हल करने के लिये आगे नहीं आ रहीं हैं। जिससे कि देष का आम आदमी भी असुरक्षा की भावना महसुस कर रहा हैं। विगत दिनों में सुर्पीम कोर्ट ने इस समस्या पर अपना संज्ञान दिया हैं। ऐसा महसुस होता हैं कि मोब लिंचिग पर सभी राजनैतिक दल व सभी धर्मो के धर्म गुरू समाज सेवी, षिक्षाविद एकमत होकर अपनी राय बनाए जिससे कि एक सभ्य समाज का निर्माण हो एवं समाज में व्याप्त भय का निवारण हो।


महाराष्ट्र के 20,000 से अधिक स्कूलों के विद्यार्थी वल्र्ड हैड नेक कैंसर डे पर तंबाकू विरोधी प्रतिज्ञा लेंगे
25 July 2018
मुंबई 25 जुलाई। महाराष्ट्र सरकार के शिक्षा विभाग, रोटरी इंटरनेशनल जिला 3030 और संबंध हैल्थ फाउंडेशन (एसएचएफ) द्वारा आयोजित होने वाले एक कार्यक्रम में वल्र्ड हैड नेक कैंसर डे (27 जुलाई 2018 ) के अवसर पर महाराष्ट्र के 20,000 से अधिक स्कूलों के विद्यार्थी तंबाकू सेवन न करने का संकल्प लेंगे। ये स्कूल रोटरी अंतर्राष्ट्रीय जिला 3030 के अंतर्गत राज्य के दस जिलों नासिक, जलगांव, बुलढाणा, यवतमाल, अमरावती, वर्धा, अकोला, चंद्रपुर, गढ़चिरौली और नागपुर के हैं। इस अवसर पर तंबाकू के खतरे और समाज में होने वाले इसके दुष्प्रभावों पर एक लघु वृत्तचित्र दिखाया जाएगा। स्वच्छ भारत, स्वस्थ भारत और समर्थ भारतष् बनाकर राष्ट्र निर्माण की दिशा में यह एक महत्वपूर्ण कदम है। इस कार्यक्रम का मुख्य उद्देश्य स्कूल के छात्रों को तम्बाकू के खतरे के बारे में जागरूक करना है। ये छात्र से नो टू टोबेको और गुडविल एंबेसडर फॉर सोसाइटी के क्रूसेडर हैं और तम्बाकू मुक्त समाज बनाने में मदद करेंगे। शैक्षिक संस्थानों को तम्बाकू मुक्त करने के लिए यह विभिन्न विभागों के माध्यम से महाराष्ट्र सरकार की पहल का समर्थन करता है। परियोजना अध्यक्ष और रेाटेरियन डॉ गोविंद मंत्री ने कहा, कक्षा 8, 9 और 10 वीं के चार स्कूल जाने वाले बच्चों में से एक बच्चा तम्बाकू उत्पादों के किसी न किसी रूपों में एक का आदी है। सेवन करने वालों के लिए यह समयपूर्व मौतों का कारण बनाता है और न सेवन करने वाले भी इसके गंभीर स्वास्थ्य जोखिमों नहीं बच पाते। यह लत गैर-उपयोगकर्ताओं के स्वास्थ्य को भी प्रभावित करता है। माध्यमिक जिला शिक्षा अधिकारी डी पी महाजन और प्राथमिक जिला शिक्षा अधिकारी बी जे पाटिल ने बताया कि हम स्कूलों को तम्बाकू मुक्त करके बच्चों के लिए सुरक्षित वातावरण प्रदान करने के लिए प्रतिबद्ध हैं। केयरिंग फ्रेंड की निमेश सुमती ने कहा- सभी कैंसर का 50 प्रतिशत तंबाकू के कारण होता है। इससे संबंधित परिवारों को भावनात्मक और आर्थिक रूप से भारी नुकसान होता है। आइए युवाओं द्वारा तंबाकू का उपयोग न करने को सुनिश्चित कर हम सब स्वस्थ महाराष्ट्र बनाएं। टाटा मेमोरियल अस्पताल, मुंबई के प्रोफेसर और सर्जिकल ओन्कोलॉजी डॉ. पंकज चतुर्वेदी ने कहा कि, हम जानते हैं कि युवाओं में तम्बाकू के संपर्क और लत को रोकने पर ध्यान केंद्रित करने के काम बहुत अच्छे नतीजे पैदा करते हैं। हम महाराष्ट्र शिक्षा विभाग के कार्य की सराहना करते हैं। हम माता-पिता को तंबाकू की लत से दूर रखने में अपने बच्चों का मार्गदर्शन और समर्थन


समूचा भारतीय समाज प्रकृति पूजक : श्री आंबेकर
11 July 2018
माखनलाल चतुर्वेदी विश्वविद्यालय एवं विद्यार्थी कल्याण न्यास द्वारा दो दिवसीय राष्ट्रीय सामाजिक कार्यशाला का आयोजन, समापन आज भोपाल, 11 जुलाई। सामाजिक कार्यकर्ता श्री सुनील आंबेकर ने कहा कि कुछ लोग भारतीय समाज के एक हिस्से को प्रकृति पूजक कह कर उसे शेष समाज से काटने का प्रयास करते हैं। उनके द्वारा विभेद खड़ा करने का प्रयास किया जाता है। किंतु, सत्य यह है कि समूचा भारतीय समाज ही प्रकृति पूजक है। हम सब तुलसी, वट वृक्ष, नर्मदा-गंगा, पहाड़, नाग और अन्य जीव-जन्तुओं की पूजा करते हैं। यह प्रकृति पूजा ही है। माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता एवं संचार विश्वविद्यालय और विद्यार्थी कल्याण न्यास के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित राष्ट्रीय सामाजिक कार्यशाला के उद्घाटन सत्र को श्री आंबेकर मुख्य अतिथि के रूप में संबोधित कर रहे थे। उद्घाटन सत्र की अध्यक्षता कुलपति श्री जगदीश उपासने ने की। श्री आंबेकर ने कहा कि प्रचलित राजनीतिक अवधारणाओं के दृष्टिकोण से देखें तो भारत में इतनी जनजातियां, जातियां, भाषाएं और भोगौलिक विशेषताएं हैं कि प्रतीत होता है कि यह बहुत सारे राष्ट्र हैं। किंतु वास्तव में ऐसा नहीं है। संकीर्ण सुविधाओं के आधार पर यह देश बना है, ऐसा नहीं है। हमारे देश में आपसी मेल-जोल हजारों वर्षों में मजबूत होता गया है। उसके आधार पर हमारा राष्ट्र बना है। उन्होंने कहा कि आज अनुसूचित जाति-जनजाति के लोगों के बीच भ्रम फैलाने के षड्यंत्र रचे जा रहे हैं। समाज के प्रबुद्ध वर्ग को इस प्रकार के भ्रम को रोकने का प्रयास करना चाहिए। उन्होंने बताया कि देश की वर्तमान वास्तविक परिस्थिति का आकलन करने की आवश्यकता है और जो लोग समाज को बाँटने का षड्यंत्र कर रहे हैं, उनकी मंशा को समझना आवश्यक है। सर्चिंग और शेयरिंग का जमाना : अपने अध्यक्षीय उद्बोधन में कुलपति श्री जगदीश उपासने ने कहा कि यूरोप से संचालित एक विचार समूह यह मानता है कि सांस्कृतिक सत्ता देश की उप-संस्कृतियों का दमन करती है। उन्होंने कहा कि यूरोप के देशों में यह अवधारणा सत्य हो सकती है, किंतु भारत में ऐसा नहीं है। क्योंकि भारत में उप-संस्कृति जैसा कुछ नहीं है। यहाँ आसेतु हिमालय एक ही संस्कृति है। श्री उपासने ने कहा कि सर्चिंग और शेयरिंग का जमाना है। जितना अधिक सर्च करेंगे और उसे शेयर करेंगे, उतना अच्छा होगा। उन्होंने कहा कि यूरोप के राष्ट्र कृत्रिम रूप से बने हैं और बिगड़े हैं, जबकि भारत स्वाभाविक तौर पर एक राष्ट्र है। उप-संस्कृतियों के बहाने वहाँ छोटी-छोटी अस्मिताओं को खड़ा करके विवाद खड़े किए जाते हैं। भारत में आज जितने प्रकार के संघर्ष दिखाई दे रहे हैं, उसके पीछे हमारे ऐसे ही तथाकथित बुद्धिजीवी हैं, जो यूरोप से अपना विचार बनाते हैं। इस अवसर पर अतिथियों का स्वागत एवं परिचय न्यास के सचिव डॉ. उमेश शर्मा ने दिया। पं. सुंदरलाल शर्मा केंद्रीय व्यावसायिक शिक्षा संस्थान के सभागार में आयोजित कार्यशाला में राजीव गाँधी प्रोद्योगिकी विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ. सुनील कुमार गुप्ता, अटल बिहारी हिंदी विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. रामदेव भारद्वाज, प्रदेश फीस समिति के अध्यक्ष प्रो. टीआर थापक, माखनलाल चतुर्वेदी विश्वविद्यालय के कुलसचिव प्रो. संजय द्विवेदी और ऑर्गेनाइजर पत्रिका के संपादक श्री प्रफुल्ल केतकर सहित गणमान्य नागरिक उपस्थित रहे। देश की वर्तमान सामाजिक परिस्थितियों पर चिंतन एवं समाधान के उद्देश्य से विभिन्न क्षेत्रों में कार्य करने वाले प्रतिनिधि, प्राध्यापक एवं शोधार्थी सम्मिलित हुए।


टी.बी. मुक्त समाज निर्माण के लिये स्वयंसेवी संस्थाओं का सहयोग लिया जाये
3 May 2018
राज्यपाल श्रीमती आनन्दीबेन पटेल ने कहा है कि टी.बी. पीड़ितों की मदद के लिए सामाजिक एवं स्वयंसेवी संस्थाओं और सम्पन्न तबके की अधिक से अधिक भागीदारी सुनिश्चित की जाये। उन्होंने कहा कि समाजसेवी कम से कम एक टी.बी. पीड़ित बच्चे को गोद लें। राज्यपाल ने आज जबलपुर सर्किट हाउस में टी.बी. उन्मूलन कार्यक्रम की समीक्षा के दौरान यह बात कही। श्रीमती पटेल ने कहा कि वर्ष 2022 तक देश को टी.बी. मुक्त बनाने के प्रधानमंत्री के संकल्प को पूरा करने के लिए समाज के सभी वर्गों की सहभागिता जरूरी है। इस दिशा में कारगर पहल की जाये। उन्होंने कहा कि सरकार के अलावा सामाजिक संस्थाओं के सहयोग से भी टी.बी. मरीजों के लिये पौष्टिक आहार की व्यवस्था की जा सकती है । श्रीमती पटेल ने कहा कि कोई भी रोग ऐसा नहीं, जिसे निश्चय और दृढ़इच्छा शक्ति से हराया नहीं जा सके। टी.बी. के मरीज को पौष्टिक खाद्य पदार्थ जैसे फल, दूध, घी आदि की जरूरत होती है । इसलिए समाज अपना दायित्व निभाते हुए रोगियों तक यह सामग्री पहुँचायें तथा रोगियों द्वारा इसका सेवन सुनिश्चित करने की ओर भी ध्यान दें। राज्यपाल श्रीमती पटेल ने सेठ गोविन्ददास जिला चिकित्सालय (विक्टोरिया हॉस्पिटल) के टी.बी. वार्ड एवं मेडिसिन वार्ड का निरीक्षण किया और मरीजों को फल वितरित किया । राज्यपाल ने मरीजों से बातचीत की और इलाज की भी जानकारी ली। राज्यपाल द्वारा हाइपरसोनिक विक्टोटॉमी मशीन का लोकार्पण राज्यपाल श्रीमती पटेल ने जबलपुर में जोतपुर स्थित दादा वीरेन्द्रपुरी जी नेत्र संस्थान देवजी नेत्रालय में अत्याधुनिक तकनीक वाली मशीन विटीज हाइपरसोनिक विक्टोटॉमी मशीन का लोकार्पण किया। राज्यपाल ने अस्पताल द्वारा गरीबों के लिए नि:शुल्क ऑपरेशन शिविरों के आयोजन की सराहना की। उन्होंने कहा कि आँखों का इलाज और मरीजों की सेवा पुण्य का कार्य है ।


“पशुपालन विभाग ने डेयरी जानवरों के रखरखाव में सुधार के लिए जारी किये निर्देश
16 April 2018
“पशुपालन विभाग ने डेयरी जानवरों के रखरखाव में सुधार के लिए जारी किये निर्देश ” मध्य प्रदेश सरकार ने फेडरेशन ऑफ़ इंडियन एनिमल प्रोटेक्शन ओर्गनाईज़ेशंस के डेयरी रेगुलेशन अभियान पर दी प्रतिक्रिया मध्य प्रदेश : पशुपालन विभाग, मध्य प्रदेश सरकार ने डेयरी पशुओं के शोषण के अंत के लिए निर्देश दिए हैं | यह दिशा-निर्देश पशुपालन विभाग, मध्य प्रदेश ने मध्य प्रदेश के गौपालन एवं पशु संवर्धन बोर्ड, म.प्र. दुग्ध महासंघ, पशुधन एवं कुक्कुट विकास निगम के प्रबंध संचालकों एवं प्रक्षेत्र संचालनालय पशुपालन के समस्त संयुक्त संचालकों को डेयरियों के रेगुलेशन के लिए जारी किये हैं | फेडरेशन ऑफ़ इंडियन एनिमल प्रोटेक्शन ओर्गनाईज़ेशंस की राष्ट्रव्यापी जांच रिपोर्ट “#cattle- ouge” ने डेयरी पशुओं पर क्रूरता को उजागर किया जिसके जवाब में पशुपालन विभाग, मध्य प्रदेश सरकार की तरफ से काफी सराहनीय कदम उठाया गया है | अक्टूबर 2017 को फेडरेशन ऑफ़ इंडियन एनिमल प्रोटेक्शन ओर्गनाईज़ेशंस ने अपनी राष्ट्रव्यापी जांच रिपोर्ट “#cattle-ouge” का प्रक्षेपण किया जिसमें यह खुलासा हुआ कि डेयरी में पाली जा रही गाय और भैंसों को कैसे एक छोटी जगह में रखा जाता है जहाँ उन्हें बुनियादी सुविधाएं जैसे अपने बच्चे को स्नेह दे पाना, खुले मैदान में घूमना-चरना और अन्य जानवरों के साथ घुलने-मिलने का मौका तक नहीं मिल पाता है | इनके साथ अनुवांशिक छेड़ – छाड़ करी जाती है और एंटीबायोटिक्स और अन्य दूध बढाने वाली दवाएं दे देकर केवल एक दूध बनाने वाली मशीन बनाकर रखा जाता है |ऐसी स्थिति में रखी गाय और भैसों का दूध पीने से सेहत पर बुरा प्रभाव पढता है और मधुमेह, कर्क(कैंसर) जैसे रोग एवं अन्य बीमारियाँ होने की संभावनाएं बढ़ जाती हैं | डेयरी जानवरों का ऐसा असंगठित एवं अनिमियत रखरखाव निस्संदेह इन डेयरियों से उत्पन्न दूध की सुरक्षा पर ही प्रश्न नहीं उठाता बल्कि दूध उत्पादन के वैश्विक नेतृत्व की स्थिरता पर भी एक अहम सवाल खड़ा करता है | इसके जवाब में पशुपालन विभाग निदेशक , डॉ. आर.के. रोकडे, ने कहा, “फेडरेशन ऑफ़ इंडियन एनिमल प्रोटेक्शन ओर्गनाईज़ेशंस (FIAPO)ने देश के 10 प्रमुख दुग्ध उत्पादक राज्यों में डेयरी के पशुओं की परिस्थिति पर एक जांच रिपोर्ट जारी की है, जिसमे मध्य प्रदेश भी सम्मिलित है| जांच रिपोर्ट के अवलोकन से यह स्पष्ट हुआ है कि डेयरी के पशुओं का अवैधानिक परिवहन, पशुशाला/डेयरी में उचित रखरखाव ना होने के कारण पशुओं की उत्पादकता में कमी आ जाती है जिसके परिणामस्वरूप डेयरी मालिकों/ पशुपालकों को वित्तीय हानि होती है| फेडरेशन ऑफ़ इंडियन एनिमल प्रोटेक्शन ओर्गनाईज़ेशंस (FIAPO) द्वारा डेयरी व्यवसाय से जुड़ी असावधानियों की ओर पशुपालन विभाग का ध्यान आकर्षित कराया गया है जिन्हें इन दिशा-निर्देशों के माध्यम से सरकारी विभागों को आग्रेषित किया जा रहा है और यदि पशुपालक/डेयरी यह असावधानियाँ दूर करेंगे तो निश्चित रूप से डेयरी पशुओं की उत्पादकता में वृद्धि होगी जिसके परिणामस्वरूप डेयरी मालिक.पशुपालकों की आय में भी वृद्धि होगी|” इस पर संतोष व्यक्त करते हुए,वरदा मेहरोत्रा, डायरेक्टर, फेडरेशन ऑफ़ इंडियन एनिमल प्रोटेक्शन ओर्गनाईज़ेशंस ने कहा, "यह मध्य प्रदेश के पशुपालन विभाग द्वारा एक सराहनीए कदम है और जानवरों के कल्याण की दिशा में उनकी प्रतिबद्धता और संवेदनशीलता दर्शाता है। अब हम पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग ,मध्य प्रदेश से आशा करते हैं कि वे ग्रामीण क्षेत्रों में डेयरी को रेगुलेट करने के लिए नियम बनाये | रिपोर्ट के शुभारंभ के बाद, फेडरेशन ऑफ़ इंडियन एनिमल प्रोटेक्शन ओर्गनाईज़ेशंस ने राज्य सरकारों से शहरी इलाकों में डेयरी को विनियमित करने का सुझाव दिया था। अब तक मध्य प्रदेश के इलावा उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, हरियाणा, तमिल नाडू और तेलंगाना के पशुपालन विभाग ने डेयरी पशुओं के रख-रखाव एवं उनके साथ मानवीय व्यवहार के लिए आदेश जारी कर दिए हैं | अब फेडरेशन ऑफ़ इंडियन एनिमल प्रोटेक्शन ओर्गनाईज़ेशंस ने शहरी विकास विभाग/ नगर निकाय और अन्य राज्यों की सरकारों से नगर-निगम अधिनियम के तहत डेयरियों को विनियमित करने के लिए डेयरी लाइसेंसिंग की शर्तों को लाने एवं लागू करने के लिए अनुरोध किया है | टिप्पणियाँ: 1. फेडरेशन ऑफ़ इंडियन एनिमल प्रोटेक्शन ओर्गनाईज़ेशंस (एफ.आई.ए.पी.ओ.), भारत का सर्वोच्च पशु संरक्षण संगठन है। भारत में पशु अधिकार आंदोलन की सामुदायिक आवाज़ के रूप में, एफ.आई.ए.पी.ओ. उत्प्रेरक है जो शिक्षा, शोध, सभाकक्ष, संघटन, प्रशिक्षण और प्रत्यक्ष कार्रवाई के माध्यम से स्थानीय, क्षेत्रीय और राष्ट्रीय स्तर पर पशुओं के अधिकारों और हितों की सुरक्षा करता है। इस के पास देश भर से 83 सदस्य, 200 से अधिक समर्थक संगठन और 40 शहरों के 400 कार्यकर्ता हैं । 2. डॉ. आर.के. रोकडे, महानिदेशक, पशुपालन विभाग, मध्य प्रदेश सरकार द्वारा भेजा गया पत्र अनुरोद्ध पर उपलब्ध है | 3. मध्य प्रदेश राज्य की जांच में चार ज़िले अर्थात् भोपाल,इंदौर,सागर और विधीषा की 42 डेयरियों के 2,746 मवेशियों को शामिल किया गया । 4. मध्य प्रदेश में जांच के मुख्य निष्कर्ष इस प्रकार थे :  नर बछड़ों को नियमित रूप से वध के लिए बेचा जाता है, या भूख से मरने के लिए सड़कों पर छोड़ दिया जाता है। 38% डेयरी में कोई भी जीवित नर बछड़ा नहीं था एवं 36% डेयरियों ने नर बछड़े सड़क पर आवारा छोड़ दिए थे|  जन्म के तुरंत बाद बछड़ों को माता से अलग किया जाता है ताकि दूध बेचा जा सके। इससे माताओं को भारी मनोवैज्ञानिक पीड़ा उत्पन्न होती है, जो बदले में उनके स्तनपान को प्रभावित करती है। सर्वेक्षण करी गयी डेयरियों में से 52.3% डेयरियां यही तरीका अपना रही हैं |  माताओं को स्तनपान कराने के लिए (जो बछड़ों की गैरमौजूदगी में मुश्किल है ) , ऑक्सीटोकिन नामक एक हार्मोन का व्यापक उपयोग होता है, जो मवेशियों के लिए बहुत दर्दनाक है। 50% डेयरियां ऑक्सीटोसिन का उपयोग करती हुयी पायी गयी हैं |  जानवरों को सारे समय बहुत ही छोटे पग्हों से बाँध कर रखा जाता है जिससे उन्हें उनका प्राकृतिक व्यवहार व्यक्त करने का मौका नहीं मिल पाता | मध्य प्रदेश की 59.5% डेयरियों में मवेशियों को दिन के किसी भी समय खुला नहीं देखा गया |  59.5% डेयरियों के फर्श ईंट और सीमेंट (कंक्रीट) के थे ।  बीमार जानवरों का दूध दुहना एक आम प्रथा है | 57.1% डेयरियों में नियमित पशुचिकित्सकों का दौरा नहीं होता है और 50% डेयरियों में बीमार पशुओं का दूध दुहना जारी रखा जाता है |  यह भी उभर कर आया है कि अत्यंत शोषक प्रथाओं के चलते जानवर बहुत ही जल्द शुष्क हो जाते हैं | भारत का दुनिया में गौमांस का सबसे बड़ा निर्यातक होने का प्रमुख कारण ये जल्दी अनुत्पादक होते मवेशी ही हैं क्यूंकि भारत में तो कोई भी मवेशी गौमांस के लिए नहीं पाला जाता है |  पशुपालन विभाग , मध्य प्रदेश से जानकारी के लिए संपर्क करें : dirveterinary@mp.gov.in


भोपाल में हो रही है हैप्पीनेस इंडेक्स इंटरनेशनल वर्कशॉप
21 February 2018
देश में सबसे पहले आनंद विभाग गठित करने वाली मध्यप्रदेश सरकार ने आनंद विभाग की गतिविधियों का निरंतर विस्तार करते हुए एक अभिनव पहल की है। भोपाल में 22 और 23 फरवरी को हैप्पीनेस इंडेक्स के संबंध में एक अंतर्राष्ट्रीय कार्यशाला का आयोजन किया जा रहा है। भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आयआयटी) खड़गपुर के सहयोग से हो रही इस कार्यशाला में भारत के अलावा संयुक्त राज्य अमेरिका, दुबई, कनाडा एवं अन्य देशों के विशेषज्ञ भी भागीदारी कर रहे हैं। राज्य आनंद संस्थान ने आयआयटी खड़गपुर के साथ आनंद के पैमानों की पहचान, लोगों को आनंदित करने की विधियों और उपकरणों के विकास के लिए अनुबंध किया है। कार्यशाला गुरूवार, 22 फरवरी को पूर्वान्ह 10 बजे होटल जहांनुमा पैलेस में प्रारंभ होगी एवं कार्यशाला के प्रतिभागी मुख्यमंत्री श्री शिवराजसिंह चौहान से भी भेंट करेंगे। हैप्पीनेस इंडेक्स कार्यशाला में पहले दिन दो सत्र और दूसरे दिन समापन के पूर्व दो सत्र होंगे। कार्यशाला में मुख्य रूप से अपर मुख्य सचिव आनंद विभाग श्री इकबाल सिंह बैंस, राज्य आनंद संस्थान के मुख्य कार्यपालन अधिकारी श्री मनोहर दुबे, प्रोफेसर राज रघुनाथन (यूएसए), डॉ. डेविड जोंस (दुबई), राज्य निर्वाचन आयुक्त श्री आर.परशुराम, आयआयटी खड़गपुर से प्रो. एम.के. मंडल के अलावा प्रो. पी.पटनायक, प्रो. पी. मिश्रा, प्रो. जे.मुखर्जी, सुश्री जुनमोनी, श्री गिरजा एवं अन्य प्रतिभागी हिस्सा लेंगे। अन्य सत्र में प्रो. प्रतीप नायक, डॉ. सम्दु चेत्री, सुश्री राधिका पुंशी, प्रो. पूर्णिमा सिंह, प्रो. आर.सी.त्रिपाठी, प्रो. रेखा सिंघल, प्रो.एस.एस.रेखी, प्रो. लीलावती क़ृष्णन, प्रो. जनक पाण्डेय, प्रो. कमलेश सिंह, प्रो. विजय कुमार श्रोत्री, श्री राजुल अस्थाना, श्री अखिलेश अर्गल, प्रो. गणेश बागड़िया, प्रो. आर.एस. पिल्लई, प्रो. पी.मिश्रा, श्री विश्वपति त्रिवेदी, प्रो. राजशेखरन पिल्लई भागीदारी करेंगे। उल्लेखनीय है कि मध्यप्रदेश में हैप्पीनेस के स्तर के निर्धारण के लिए विभिन्‍न उपायों पर कार्य प्रारंभ किया गया है। भूटान एवं अन्य देशों में भौतिक सुविधाओं में वृद्धि के कारण प्रसन्नता के स्तर को बढ़ाने पर कार्य हुआ है, वहीं मध्यप्रदेश में एक मौलिक पद्धति का अनुसरण करते हुए बाह्य और आंतरिक प्रसन्नता में वृद्धि के साधनों पर विचार करते हुए गतिविधियों को संचालित किया गया है। भोपाल में हो रही कार्यशाला इस दृष्टि से भी महत्वपूर्ण है कि जहां अन्य देशों में अपनाए गए खुशी के पैमानों का उपयोग करते हुए अपने पृथक पैमाने निर्धारित कर आम लोगों के जीवन में खुशी के स्तर को बढ़ाने की तैयारी की गई है। इस क्षेत्र में अन्य देशों में किए गए कार्यों के अनुभवों का लाभ लेते हुए मध्यप्रदेश में पूर्व में भी आनंद संस्थान ने विभिन्न कार्यक्रमों को क्रियान्वित किया है। इनमें आनंदक के रूप में नागरिकों की सेवाएं लिए जाने, अल्प विराम कार्यक्रम, आनंदम गतिविधि - जिसमें लोगों द्वारा कम से कम सुविधा लेते हुए अन्य सामान दूसरे लोगों के लिए त्यागने, सात हजार से अधिक स्थानों पर आनंद उत्सव, आनंद कैलेण्डर छापने, आनंद शिविर लगाने, आनंद क्लब बनाने, आनंद सभा शुरू करने, ईशा फाउंडेशन और अन्य संस्थानों में प्रशिक्षण के लिए शासन के व्यय पर अधिकारियों/कर्मचारियों को भेजने की गतिविधि भी शामिल है। दो दिवसीय कार्यशाला इस दिशा में एक अनूठी पहल है जो मध्यप्रदेश में नागरिकों में आनंद के अनुभव में वृद्धि के लिए नए ठोस प्रयासों को मूर्त रूप देने का आधार बनेगी।


सागर में दिव्यांगजनों के लिये विशेष विद्यालय एवं संयुक्त छात्रावास खुलेगा
21 February 2018
सागर जिले में दिव्यांगजनों के लिये विशेष विद्यालय एवं संयुक्त छात्रावास का निर्माण किया जाएगा। इस 100 सीटर विशेष विद्यालय एवं छात्रावास के निर्माण के लिये 6 करोड़ 67 लाख 58 हजार रुपये की स्वीकृति दी गई है। राज्य निराश्रित निधि की राशि से पीआईयू भोपाल को भवन निर्माण की मंजूरी भी दी गई है। मध्यप्रदेश निराश्रित एवं निर्धन व्यक्ति की सहायता अधिनियम के तहत बने नियम के अन्तर्गत एवं परियोजना संचालक लोक निर्माण विभाग से प्राप्त प्राक्कलन पर यह सशर्त स्वीकृति दी गई है। इसमें विशेष विद्यालय एवं संयुक्त छात्रावास भवन का निर्माण अनुमोदित नक्शा तकनीकी प्राक्कलन अनुसार पीआईयू भोपाल द्वारा करवाया जाएगा। निर्माण कार्य गुणवत्तापूर्ण नहीं पाये जाने पर आगामी देय किश्तों का भुगतान नहीं किया जाएगा। भवन निर्माण की प्रगति की समीक्षा कलेक्टर की अध्यक्षता में गठित समिति करेगी। भवन का अधिपत्य सामाजिक न्याय एवं नि:शक्तजन कल्याण विभाग के पास ही रहेगा।


पश्चिम बंगाल से आए दल ने देखा राज्य आनंद संस्थान
21 February 2018
पश्चिम बंगाल से खड़गपुर से आए भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान के प्रतिनिधियों ने आज राज्य आनंद संस्थान का अवलोकन किया। प्रतिनिधियों ने संस्थान के क्रियाकलापों की जानकारी प्राप्त की। खड़गपुर के दल को बताया गया कि गत वर्ष जनवरी माह से राज्य में आनंद विभाग की गतिविधियां शुरू हुई हैं। सिर्फ एक वर्ष में राज्य आनंद संस्थान के माध्यम से अनेक गतिविधियों को अंजाम दिया गया है। इस मौके पर दल को जानकारी दी गई राज्य आनंद संस्थान ने आनंद शिविरों में भाग लेने के लिये ऑनलाइन पंजीयन प्रक्रिया शुरू की है। इसके अंतर्गत इनिशिएटिव ऑफ चेंज पंचगनी पुणे, आर्ट ऑफ लिविंग बैंगलुरू एवं ईशा फाउण्डेशन कोयम्बटूर के माध्यम से शासकीय सेवकों के लिये वर्ष 2018 में आयोजित होने वाले आनंद शिविर का ऑनलाइन पंजीयन किया जाएगा। ऐसी व्यवस्था की गई है कि शिविरों में भागीदारी के लिये शासकीय सेवक (आनंदक) अपना पंजीयन स्वयं ही संस्थान की वेबसाइट पर कर सकेंगे। इसके साथ ही जिलों में जनता को घेरलू आवश्यकता की ऐसी चीजे जो उनके काम की नहीं है उन्हें दान करने की प्रेरणा भी दी गई है। इसके भी अच्छे परिणाम प्राप्त हुए हैं। खुशी के स्तर को जांचने के लिए विभिन्न पैमाने निर्धारित किए गए है। इस संबंध में अंतर्राष्ट्रीय कार्यशाला के माध्यम से अध्ययन कर इसे योजना में शामिल करने का प्रयास है। खुशी के लिए किस इंडीकेटर का कितना वेटेज हो, यह जानने के लिए प्रश्नावली तैयार कर विचार भी प्राप्त किए जा रहे हैं। मध्यप्रदेश में मौलिक तरीकों से जनता में खुशी के स्तर में वृद्धि के विभिन्न उपाय लागू करने की पहल की गई है। खड़गपुर के दल का राज्य आनंद संस्थान में निदेशक श्री नीरज वशिष्ठ, श्री संदीप दीक्षित, श्री प्रवीण गंगराड़े के अलावा डॉ. अशोक जनवदे, श्री अम्बरीश श्रीवास्तव, श्री लोकेन्द्र ठक्कर ने स्वागत किया।


आनंद शिविरों" में भाग लेने के लिये ऑनलाइन पंजीयन शुरू
21 February 2018
राज्य आनंद संस्थान ने आनंद शिविरों में भाग लेने के लिये ऑनलाइन पंजीयन प्रक्रिया शुरू कर दी है। इनिशिएटिव ऑफ चेंज पंचगनी पुणे, आर्ट ऑफ लिविंग बैंगलुरू एवं ईशा फाउण्डेशन कोयम्बटूर के माध्यम से शासकीय सेवकों के लिये वर्ष 2018 में आयोजित होने वाले आनंद शिविर का ऑनलाइन पंजीयन संस्थान की वेबसाइट www.anandsansthanmp.in पर किया जा सकता है। शिविरों में भागीदारी के लिये शासकीय सेवक (आनंदक) अपना पंजीयन स्वयं ही संस्थान की वेबसाइट पर कर सकेंगे। पंजीयन सीमित समय और सीमित सीट में उपलब्ध हैं। पंजीयन पहले आओ पहले पाओ के आधार पर जारी है। शिविर का पंजीयन शुल्क शासकीय सेवक स्वयं वहन करेंगे। प्रशिक्षण शुल्क और यात्रा व्यय का भुगतान शासकीय सेवक का संबंधित विभाग वहन करेगा। शिविर संचालन अवधि शासकीय सेवक के कर्तव्य में मान्य की जाएगी।


कस्टम हायरिंग सेंटर चलाने वाला प्रदेश का पहला महिला स्व-सहायता समूह
18 February 2018
भोपाल संभाग में रायसेन जिले की गैरतगंज जनपद के आदर्श ग्राम हरदौट में महिला स्व-सहायता समूह की महिलायें कृषि विभाग के सहयोग से कस्टम हायरिंग सेंटर चला रही हैं। यह प्रदेश का पहला ऐसा कस्टम हायरिंग सेंटर है जिसे महिला स्व-सहायता समूह द्वारा चलाया जा रहा है। इस समूह में 12 महिला सदस्य हैं। समूह के पास ट्रेक्टर, थ्रेसर, कल्टीवेटर, सीड ड्रील मशीन, हैरो, रोटावेटर,प्लाऊ तथा सीड ड्रील उपकरण हैं। इन उपकरणों को स्व-सहायता समूह की महिलाएं किराए पर चला रही हैं। यह कस्टम हायरिंग सेंटर जून 2017 में शुरू हुआ। पिछले सीजन में समूह को इस सेंटर से 70 हजार रूपए की आमदानी हुई। महिला स्व.सहायता समूह की रक्षा बाई, भागवती बाई, ममता बाई, ललिता बाई तथा शांति बाई सहित अन्य महिलाओं ने बताया कि आमदानी का एक अतिरिक्त साधन प्राप्त होने से उनकी आर्थिक स्थिति अच्छी हो गई है। इनकी सफलता को देखते हुए जिला प्रशासन द्वारा जिले के अन्य कस्टम हायरिंग केन्द्रों को भी महिला स्व-सहायता समूह द्वारा संचालित कराने पर विचार किया जा रहा है। महिला स्व-सहायता समूह के बनाये टेडी-बियर हुए लोकप्रिय : दमोह जिले की तहसील बटियागढ़ के ग्राम बकायन की आरती पौराणिक ने गाँव की लगभग 250 महिलाओं को आजीविका मिशन अंतर्गत करीब 19 स्व-सहायता समूहों से जोड़ लिया है। आरती यहाँ पर सीआरपी के पद पर है और समूहों की देखरेख के साथ मदद भी करती है। आजीविका मिशन अंतर्गत टेडी-बियर बनाने का काम ज्यादा हो रहा है। ग्राम बकायन में समूह की महिलाओं को इस काम से बहुत फायदा हो रहा है क्योंकि जिले में इसका निर्माण अभी कहीं और नहीं हो रहा है। बटियागढ़, नरसिंहगढ़, दमोह में इन महिलाओं के बनाये टेडी-बियर ज्यादा बिकते हैं। आरती स्व-सहायता समूह ने 11 हजार रुपये की लागत से टेडी-बियर बनाने का काम शुरू किया था, दिल्ली से निर्माण सामग्री बुलवाकर सरकार से 20 हजार रुपये की मदद भी ली थी। अब टेडी-बियर बनाने का काम अच्छा चल निकला है। विमला मानिकपुरी स्वावलम्बी बनी, 12वीं की परीक्षा भी पास की : अनूपपुर जिले के ग्राम बहपुरी में विमला मानिकपुरी विवाह के बाद लक्ष्मी आजीविका स्व-सहायता समूह से जुड़ी। समूह से ऋण लेकर अपने लिये सिलाई मशीन ली और पति को फर्नीचर बनाने का सामान दिलवाया। धीरे-धीरे दोनों का काम अच्छा चल निकला। आज विमला सिलाई के साथ पीको और फाल का काम भी करने लगी है। पति के साथ सब्जी उत्पादन और कारपेंटर के काम में भी मदद कर रही है। पति-पत्नी मिलकर कम से कम 14 हजार रुपये मासिक कमा रहे हैं। विमला मानिकपुरी ने समूह से 7 बार 73 हजार 500 रुपये ऋण लिया। नियमित ऋण वापसी करते हुए 38 हजार रुपये समूह को वापस कर चुकी है। अब विमला अपने ग्राम संगठन गुरुकृपा में बुक-कीपर के रूप में कार्य कर रही है। समूह से जुड़ने के बाद विमला ने 12वीं कक्षा की परीक्षा भी पास कर ली है। जैविक हल्दी उत्पादन बना समूह की ताकत : जैविक एवं उन्नत खेती अपनाने के कारण छिन्दवाड़ा जिले में सौंसर विकासखण्ड के ग्राम भुम्मा निवासी मटरू लाल डोंगरे को नई पहचान मिल गई है। इनके पास 0.840 हेक्टेयर जमीन है जिस पर मक्का, मूंगफली, तुअर, संतरा एवं हल्दी की खेती प्रमुखता से करते थे। जैविक उत्पाद की कोई पहचान नहीं होने के कारण उत्पाद को सामान्य अनाज की तरह ही बेचते थे। वर्ष 2015-16 में आत्मा परियोजना अंतर्गत इन्हें परम्परागत कृषि विकास योजना अंतर्गत समूह बनाकर जैविक खेती करने की सलाह मिली और समूह के उत्पाद की ब्रॉडिंग एवं पैकिंग भी संभव हो गई। इस समूह का नाम भुम्मा जैविक समूह रखा गया जिसमें गाँव के जैविक खेती में रुचि रखने वाले 50 कृषक शामिल हैं जिन्हें प्रशिक्षण भी दिलवाया गया। समूह के लीडर द्वारा खेती के सम्पूर्ण रिकार्ड का संधारण किया गया जिसकी ऑनलाइन फीडिंग भी पीजीएस इण्डिया की वेबसाइट पर की गई। वर्ष 2016-17 के अंत में समूह के कृषकों को अंडर कनवर्जन का स्कोप सर्टिफिकेट भी जारी किया जा चुका है। आत्मा परियोजना के सहयोग से बाजार की माँग के अनुसार कृषकों ने स्वयं ही प्रोसेसिंग कर पैकिंग का कार्य प्रारंभ कर दिया है। आत्मा परियोजना द्वारा विपणन में भी मदद की जा रही है। समूह द्वारा जैविक हल्दी 300 रुपये प्रति किलो के भाव से बेची जा रही है जिससे लाभ दोगुना तक मिल रहा है। राष्ट्रीय स्तर के एग्रोविजन मेला, नागपुर में इनकी जैविक हल्दी की अच्छी माँग रही। कुछ प्रायवेट कम्पनियों द्वारा भी इस जैविक हल्दी की माँग की जा रही है। अब समूह के सदस्य मूंगफली, तुअर, मूंग, उड़द, धनिया एवं संतरा की ब्रांडिंग कर विपणन प्रारंभ करने की कार्य-योजना भी बना रहे हैं।


नर्मदा किनारे नशामुक्ति जन-जागृति अभियान जारी
17 February 2018
नशा मुक्ति के प्रति जन-चेतना विकसित करने के उद्देश्य से नर्मदा नदी के तटीय 16 जिलों के 1198 ग्रामों में कला पथक के 125 कलाकारों द्वारा विभिन्न क्षेत्रीय लोक शैलियों में सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित किए जा रहे हैं। आयुक्त सामाजिक न्याय एवं नि:शक्तजन कल्याण श्री अशोक शाह ने बताया कि प्रदेश स्तर पर 6 कलाकारों का दल गठित कर कुल 15 शासकीय कलापथक दलों द्वारा ग्रामों में प्रचार-प्रसार का कार्य शुरू किया गया है। इसमें कलाकार नर्मदा तटीय क्षेत्र में जाकर लोगों को नशे के दुष्परिणामों के प्रति जागरूक कर रहे हैं। साथ ही, नशे से होने वाली बीमारी के बारे में भी गीतों-नाटकों के माध्यम से जानकारी दे रहे हैं। इस दौरान नशा न करने के लिये लोगों से संकल्प पत्र भी भरवाये जा रहे हैं।


सामाजिक कल्याण के क्षेत्र में प्रदेश सरकार को मिली राष्ट्रीय सराहना
7 February 2018
मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान की पहल पर सामाजिक रूप से पिछड़े और शारीरिक रूप से कमजोर वर्ग के लोगों को विकास की मुख्य-धारा से जोड़ने के प्रदेश सरकार के प्रयासों को राष्ट्रीय-स्तर पर भी सराहा गया है। प्रदेश को अनेक राष्ट्रीय पुरस्कारों से नवाजा भी गया है। सामाजिक न्याय एवं नि:शक्तजन कल्याण विभाग के माध्यम से 55 लाख जरूरतमंदों को 513 करोड़ की सहायता राशि विभिन्न योजनाओं में दी गई है। आयुक्त सामाजिक न्याय एवं नि:शक्तजन कल्याण श्री अशोक शाह ने बताया कि मुख्यमंत्री कन्यादान योजना के तहत वर्ष 2006 से अभी तक करीब 4 लाख 27 हजार गरीब जरूरतमंद परिवारों की बेटियों के विवाह के लिये 7 करोड़ 23 लाख रुपये से ज्यादा की राशि सहायता स्वरूप दी जा चुकी है। राज्य सरकार द्वारा सामाजिक समरसता का संदेश देते हुए वर्ष 2012 से मुख्यमंत्री विवाह योजना के तहत करीब 10 हजार 678 मुस्लिम कन्याओं के निकाह के लिये 19 लाख 54 हजार की सहायता राशि दी गई है। इसी क्रम में सरकार द्वारा शारीरिक रूप से नि:शक्त व्यक्तियों के जीवन में खुशहाली लाने के लिये नि:शक्त विवाह प्रोत्साहन योजना प्रारंभ की गई है। योजना में करीब 10 हजार नि:शक्तजन को दो लाख रुपये के मान से लगभग 197 लाख की प्रोत्साहन राशि प्रदान की गई है। मुख्यमंत्री मजदूर सुरक्षा योजना में लगभग 4 लाख 46 हजार खेतिहर मजदूरों को 192 करोड़ रुपये से ज्यादा की सहायता राशि दी गई है। यह सहायता बच्चों की छात्रवृत्ति, विवाह सहायता आदि के रूप में दी गई है। सामाजिक न्याय विभाग के माध्यम से 36 लाख हितग्राहियों को 116 करोड़ रुपये की पेंशन राशि ई-पेमेंट के माध्यम से उनके बैंक खातों में प्रतिमाह पहली तारीख को जमा करवाई जा रही है। पेंशन स्वीकृति प्रक्रिया को भी सरल बनाया गया है। साथ ही नि:शक्तजन एवं विधवा पेंशन की स्वीकृति के अधिकार पंचायत सचिव को प्रदान कर दिये गये हैं। देश में सर्वाधिक यू.डी.आई.डी. कार्ड तैयार राज्य सरकार द्वारा प्रदेश के प्रत्येक नि:शक्त व्यक्ति का डाटाबेस तैयार करने का विशेष कार्यक्रम तैयार किया गया है। यह प्रक्रिया फरवरी-2017 से प्रारंभ की गई। अभी तक एक लाख 67 हजार कार्ड पोर्टल के माध्यम से बनाये जा चुके हैं। इससे मध्यप्रदेश देश में सर्वाधिक यूनिक डिसएबिलिटी आई.डी. कार्ड जनरेट करने वाला राज्य बन गया है। राष्ट्रीय-स्तर पर सराहना राज्य सरकार के नि:शक्तजन कल्याण विभाग को उसकी कार्य-प्रणाली के लिये 'सर्वोत्तम नियोक्ता तथा प्लेसमेंट एजेंसी'' का वर्ष 2011-12 एवं वर्ष 2014-15 का राष्ट्रीय पुरस्कार मिला है। वरिष्ठ नागरिकों की सेवाओं के लिये राष्ट्रीय 'वयोश्रेष्ठ सम्मान'' वर्ष 2013-14 में प्राप्त हुआ है। इसी प्रकार नेशनल ई-गवर्नेंस राष्ट्रीय पुरस्कार, वर्ष 2012-13 में स्पर्श पोर्टल, वर्ष 2015-16 में समग्र पोर्टल एवं वर्ष 2016-17 में स्टेट पेंशन पोर्टल के राष्ट्रीय पुरस्कार भी भारत सरकार द्वारा विभाग को दिये गये है


राजस्व मंत्री श्री गुप्ता ने किया समाजसेवियों का सम्मान
19 January 2018
राजस्व, विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्री श्री उमाशंकर गुप्ता ने काटजू हास्पिटल के पास आयोजित कार्यक्रम में शिक्षा, स्वास्थ्य, स्वच्छता सहित अन्य सामाजिक क्षेत्रों में उल्लेखनीय कार्य करने वाले व्यक्तियों को शाल-श्रीफल और पौधा देकर सम्मानित किया। उन्होंने कहा की समाज सेवा का कार्य बहुत कठिन है। इनको सम्मानित कर हम गौरवान्वित महसूस कर रहे है। श्री गुप्ता ने कहा की किसी पीड़ित की मदद करना सबसे बड़ा पुण्य है। इनसे हम सब प्रेरणा लेते रहेंगे। श्री गुप्ता ने श्रीमती सुधा दुबे, श्री सुनील दुबे, श्री सुधीर जैन, श्री शंकरलाल महेश्वरी, श्री भूपनारायण, श्री केएस गंगवार, श्री दुलीचन्द अठवाल, श्रीमती ललेश्वरी लिल्लारे, श्रीमती रामबाई पाटिल, श्रीमती उसमा वेग सहित अन्य समाजसेवियों को सम्मानित किया। इस दौरान स्थानीय जनप्रतिनिधि उपस्थित थे


प्रदेश में मुख्यमंत्री स्वेच्छानुदान की राशि कई गुना बढ़ाई गई
18 January 2018
किसान कल्याण एवं कृषि विकास मंत्री श्री गौरीशंकर बिसेन ने कहा है की राज्य सरकार प्रत्येक जरूरतमंद को बीमारी के समय आर्थिक मदद पहुँचाना चाहती है। राज्य में मुख्यमंत्री स्वेच्छानुदान की राशि में काफी इजाफा किया गया है। प्रदेश में डॉक्टरर्स की कमी को दूर करने के लिए 5 नये मेडिकल कॉलेज खोले गए हैं। प्रत्येक मेडिकल कॉलेज में 150-150 सीट रखी गई है। इसके साथ ही पूर्व से संचालित 7 मेडिकल कॉलेज में सीटें बढ़ायी गई है। इसके साथ ही सरकारी अस्पतालों में मरीजों की सुविधा के लिये बिस्तरों की संख्या भी बढ़ाई गई है। बालाघाट जिला अस्पताल में बिस्तरों की संख्या बढ़ाकर 500 कर दी गई है। किसान कल्याण मंत्री श्री बिसेन आज बालाघाट में मुख्यमंत्री स्वास्थ्य सेवा शिविर के शुभारंभ समारोह को सम्बोधित कर रहे थे। किसान कल्याण मंत्री श्री बिसेन ने कहा है की राज्य सरकार जनसामान्य को अच्छी स्वास्थ्य सेवा देना चाहती है। उन्होंने कहा की बीमार लोगों के इलाज के लिए धन की कमी को बाधा नहीं बनने दिया जायेगा। श्री बिसेन ने इस मौके पर ट्रामा सेंटर में मरीजों की जाँच एवं उपचार के लिये बनाये गए काउंटर का निरीक्षण किया। किसान कल्याण मंत्री जिला अस्पताल की बर्न यूनिट में भर्ती श्रीमती माया मरकाम को भी देखने गए। उन्होंने डॉक्टरों से श्रीमती माया के स्वास्थ्य की जानकारी ली। लाल बर्रा तहसील के ग्राम सेलवा की श्रीमती माया पिछले दिनों खाना बनाते समय जल गई थी। डॉक्टर ने बताया की वे 36 प्रतिशत जल गई है। लेकिन श्रीमती माया खतरे से बाहर है।


समाज उपयोगी और उत्कृष्ट शोध परियोजना प्रस्ताव तैयार करने पर जोर
16 January 2018
शोध परियोजना प्रस्ताव तैयार करने के पहले दो मुद्दे सबसे अधिक महत्वपूर्ण हैं। पहला, शोध के लिए संबंधित विषय क्यों चुना और दूसरा उससे समाज को क्या लाभ मिलेगा। शोध परियोजना प्रस्ताव का विषय नया होना चाहिये। परियोजना प्रस्ताव में शीर्षक और बजट का अत्यधिक महत्व है। वैज्ञानिक एवं औद्योगिक अनुसंधान परिषद् सीएसआईआर की नई दिल्ली स्थित राष्ट्रीय भौतिक प्रयोगशाला के वैज्ञानिक 'जी' डॉ. एस.के. धवन ने शोध परियोजना प्रस्ताव लेखन के विभिन्न घटकों पर व्याख्यान में यह बात कही। म.प्र विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी परिषद् के विश्वविद्यालय समन्वयक प्रकोष्ठ द्वारा उच्च गुणवत्ता शोध परियोजना तैयार करने की प्रविधि और नेटवर्किंग कार्यशाला में प्रदेश के 12 विश्वविद्यालय के 22 विषय के लगभग 125 प्रतिभागी ने भाग लिया। डॉ. एस.के. धवन ने बताया कि प्रस्ताव लेखन की एक निर्धारित प्रविधि है। शोध परियोजना प्रस्ताव तैयार करते समय सारांश, समय-सीमा और लिटरेचर रिव्यू का विशेष महत्व है। परिषद के महानिदेशक डॉ. नवीन चन्द्रा ने कहा कि शोध लाभ समाज को मिलना चाहिये। उन्होंने कहा कि केवल पेपर प्रकाशित होने से रिसर्च प्रोजेक्ट बनाने का उद्देश्य पूरा नहीं हो जाता। विज्ञान लोकप्रियकरण के समूह प्रमुख और मुख्य वैज्ञानिक डॉ.आर.के.आर्य ने म.प्र विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी परिषद् के ऑनलाइन पोर्टल का प्रदर्शन कर उसकी जानकारी दी। जीएस एवं जीआई ग्रुप के प्रमुख एवं मुख्य वैज्ञानिक डॉ. तस्नीम हबीब ने परिषद द्वारा विभिन्न परियोजनाओं के लिए दी जाने वाली वित्तीय सहायता और विभिन्न कार्यक्रम की जानकारी दी। विश्वविद्यालय समन्वयक प्रकोष्ठ के प्रभारी डॉ. डी.के. सोनी ने कार्यशाला के उद्देश्यों को बताया।
तंबाकू मुक्त होगा फरीदाबाद जिला, बनेगा माडॅल
10 January 2018
फरीदाबाद, 10 जनवरी। पुलिस कमीश्नर डा.हनीफ कुरेशी ने कहा है कि फरीदाबाद जिले को तंबाकू मुक्त बनाकर इसे देशभर में एक माडॅल के रुप में प्रस्तुत करेंगे। इसके लिए स्वयंसेवी संस्थाअेंा का सहयेाग लिया जायेगा। पुलिस कमीश्नर बुधवार को कमीश्नरेट सभागार में हरियाणा पुलिस, संबंध हैल्थ फाउंडेशन (एसएचएफ), गुडगांव व फोर्टिस फाउंडेशन द्वारा आयोजित तंबाकू मुक्त फरीदाबाद पर आयेाजित प्रेस कांफे्रस को संबोधित कर रहे थे। इस दौरान पुलिस कमीश्नर व अन्य अधिकारियों का सम्मान भी किया गया। उन्होने कहा कि पुलिस के पास बहुत सारे काम होतें है और मुख्य काम अपराध को रोकना है, क्यों कि क्राइम को सिर्फ पुलिस ही रोक सकती है, इसलिए सामाजिक सरोकार के जो काम है उन्हे सामाजिक संस्थाअेां के द्वारा किया जाना बेहतर है। तंबाकू व अन्य धूम्रपान उत्पाादों की रोकथाम के लिए केाटपा का प्रभावी रुप से पालन होना जरुरी है। मुख्य से इसको देा तरह से पूरी तरह लागू किया जा सकता है, इसमें पहला काम अवेयरनेस और कोटपा की कड़ाई से पालना कराना शामिल है। कोटपा को लागू करने के लिए नियमित रुप से अभियान चलाया जायेगा।
3 हजार चालान बनेंगे प्रतिमाह पुलिस कमीश्नर ने कहा कि जिले को तंबाकू मुक्त बनाने के लिए सभी पुलिस अधिकारियों के साथ वार्तालाप कर तय किया गया कि कम से कम 3 हजार चालान प्रतिमाह बनाये जाएंगे। इससे आम जनता में सकारात्मक संदेश जाएगा। इसके साथ ही तंबाकू बेचने वाले, इसे बनाने वाली कंपनियां, आमजनता, सामाजिक संस्थाअेंा का सहयेाग लिया जाएगा, इनके साथ वार्ता की जायेगी। डॉ. कुरैशी ने कहा कि आम लोगों को स्वस्थ वातावरण मिले इसके लिए सार्वजनिक स्थलों पर धूम्रपान पीने वालों के विरुद्ध और अधिक सख्ती से कार्रवाई की जाएगी। उन्होंने कहा कि स्पेशल ड्राइव का उद्देश्य युवा पीढ़ी को तंबाकू अन्य धूम्रपान उत्पादों से दूर रखकर कैंसर जैसी अन्य बीमारियों से बचाव है। इसके साथ ही यह सुनिश्चिित किया जाएगा कि सार्वजनिक स्थलों पर धूम्रपान करने वालों की वजह से धूम्रपान न करने वालों विशेषक बच्चों के स्वास्थ्य पर प्रतिकूल प्रभाव न पड़े।
विशेष अभियान में बने 2338 चालान पुलिस ने दिंसबर 2017 माह में विशेष अभियान चलाकर सार्वजनिक स्थलों पर धूम्रपान करने व कोटपा एक्ट के नियमों का उल्लंघन करने के आरोप में 2338 चालान काटे है। जबकि वर्ष 2017 में कुल 3168 चालान काटे गए हैं। इस मुहिम के सकारात्मक परिणाम आने के कारण पुलिस इस अभियान को जारी रख रही है, इसेमं आम जनता का भी सकारात्मक सहयेग मिल रहा है। इस दौरा मौके पर हजारों की संख्या में कोटपा एक्ट के तहत बेहतरीन कार्य करने पर सामाजिक संगठनों व आमजन ने पुलिस की प्रशंसा की है। पिछले एक साल से इस अभियान को चलाया जा रहा है। पुलिस कमीश्नर सहित अधिकारियों का हुआ सम्मान पुलिस के द्वारा इस प्रशंसनीय कार्य को प्रोत्साहित करने के लिए देशभर में तंबाकू मुक्त अभियान चला रही संबंध हैल्थ फाउंडेशन, फोर्टिस फाउंडेशन गुडगांव की और से ट्रस्टी संजय सेठ, प्रोगा्रम डायरेक्टर अंजली खोसा ने पुलिस कमिश्नर डॉ. हनीफ कुरैशी को केाटपा में बेहतरीन कार्य करने पर सम्मान पत्र प्रदान किया। वंही सर्वाधिक चालान काटने वाले पुलिसथाना बल्लबगढ़ सिटी, सारन व सराय ख्वाजा पुलिस थाना प्रबंधकों को सम्मानित किया।
19.7 प्रतिशत लोग करतें है धूम्रपान तम्बाकू मुक्त हरियाणा अभियान चला रही संबंध हैल्थ फाउंडेशन के सीनीयर मैनेजर डॉ. सोमिल रस्तोगी ने कहा कि हरियाणा प्रदेश में 19.7 फीसदी लोग बीड़ी व सिगरेट का सेवन करते हैं। धूम्रपान की वजह से 80.3फीसदी नोन-स्मोकर पर भी प्रतिकूल असर पड़ता है। उन्होंने कहा कि इस हरिणाया प्रदेश में धूम्रपान से जनित रोगों के हर साल करीब 28 हजार लोगों की मौत हो जाती है। गंभीर चिंतन का विषय ये है कि इनमें से 10 फीसदी लोग वे हैं जो ध्रुमपान नहीं करते हैं, लेकिन बीड़ी-सिगरेट पीने वाले के संपर्क में रहने के कारण रोगग्रस्त होकर मौत का शिकार हो जाते हैं। फरीदाबाद के सेक्टर-31 स्थित एफएमएस स्कूल के चेयरमैन एचएस मलिक ने कहा कि तम्बाकू विक्रेता बच्चों को नशेड़ी बनाकर उनके जीवन को नष्ट करने के लिए स्कूलों के आसपास की दुकानों, थड़ी-ठेलों पर बड़ी मात्रा में तम्बाकू उत्पाद उपलब्ध करवा रहे हैं। उन्होंने कहा कि केवल पुलिस ही है जो इस बच्चों के जीवन को बचा सकती है, इसके लिए इस तरह की स्पेशल ड्राइव निरंतर जारी रखने की जरूरत है। फरीदाबाद मिडटाउन के रोटरी क्लब के अध्यक्ष अनिल बहल ने कहा कि इस तरह के स्पेशल ड्राइव चलाकर ही युवा पीढ़ी को मौत के गर्त में जाने से बचाया जा सकता है। इसके लिए रोटरी क्लब स्वस्थ्य और सुंदर फरीदाबाद बनाने के लिए इस अभियान का सहयोग करेगा। इसके तहत रोटरी क्लब के सदस्य फरीदाबाद में कोटपा एक्ट के प्रति जागरूकता पैदा करेंगे, जिसके लिए शहर में नो-स्मोकिंग के पम्फलेट्स वितरित करेंगे। हरियाणा में 43 लाख स्मोकर, 28 हजार की सालान मौत विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) की रिपोर्ट के मुताबिक हरियाणा प्रदेश में करीब 43 लाख लोग किसी न किसी रूप में तम्बाकू का उपयोग करते हैं। इनमें से 35.5 लाख लोग धु्रमपान (बीड़ी व सिगरेट) करते हैं। तम्बाकू जनित पदार्थों के उपयोग से कैंसर सहित विभिन्न तरह की बीमारियों से ग्रसित होने के कारण प्रदेश में सालाना अनुमानित 28 हजार लोगों की मौत हो जाती है। वहीं, लगभग 116 बच्चे रोजाना तम्बाकू जनित पदार्थों का सेवन शुरु करते हैं।
क्या है कोटपा अधिनियम इस अधिनियम के तहत सार्वजनिक स्थान का तात्पर्य ऐसे किसी स्थान से है,जिसका सार्वजनिक उपयेाग होता है वंहा पर धूम्रपान निषेध एंव संवैधानिक चेतावनी। अधिनियम 6 अ समस्त तंबाकू विक्रय स्थलों पर नाबालिगों केा तंबाकू न बेचने की वैधानिक चेतावनी। अधिनियम 6 ब सभी शिक्षण संस्थाअेंा से 100गज की दूरी में तंबाकू उत्पादों की बिक्री निषेध। यह जुर्माना सार्वजनिक स्थल, महाविद्यालय परिसर के अंदर व चारदीवारी के सौ गज के दायरे में किसी भी प्रकार के तंबाकू उत्पादों की बिक्री या सेवन करते पाए जाने पर कोटपा कानून के तहत 200 रुपये तक का जुर्माना किया जा सकता है। फोटेा कैप्सन 1. फरीदाबाद में पुलिस कमीश्नर को सम्मानित करते हुए संबध हैल्थ फाउंडेशन के ट्रस्टी संजय सेठ व फोर्टिस फाउंडेशन की टीम व अन्य। 2. इस अवसर पर उपस्थित संबध हैल्थ फाउंडेशन व फोर्टिस फाउंडेशन की टीम व अन्य। 3. पुलिस कमीश्नर प्रेस कांफे्रस को संबोधित करते हुए। 4,5,6 पुलिस थानाप्रभारियों को सम्मानित करते हुए पुलिस कमीश्नर।

दिव्यांगो को पहली बार मिले लेपटॉप
20 December 2017
विदिशा जिले में जनसुनवाई में ग्राम लश्करपुर के रामू अहिरवार और ग्राम सिरनोटा के दशरथ सिंह अहिरवार ने कलेक्टर को आवेदन देकर लेपटॉप दिलाए जाने का आग्रह किया था। कलेक्टर ने तत्परता से कार्यवाही कर मुख्यमंत्री निःशक्त शिक्षा प्रोत्साहन योजना में दोनों हितग्राहियों को लेपटॉप दिये। श्री रामू अहिरवार कक्षा बारहवीं में अध्ययनरत है। लेपटॉप मिल जाने से रामू ने पढ़ाई के साथ-साथ पार्ट टाइम जॉब करने की ठानी है। इसके लिए रामू ने प्रतिष्ठित संस्थानों में अपना मोबाइल नम्बर दर्ज कराया है ताकि आवश्यकता पड़ने पर वे रामू से सीधा सम्पर्क कर सकें। पांच भाई और एक बहन में सबसे ज्यादा पढ़ाई अब तक केवल रामू ने की है। रामू को पांचवीं कक्षा तक आंखों से दिखाई देता था। उसके बाद अचानक आंखों से दिखना बंद हो गया। शिक्षा के प्रति रामू का रूझान देखते हुए कलेक्टर ने इसे को लेपटॉप दिलाने के लिए विशेष पहल की । ग्राम सिरनोटा के दशरथ अहिरवार को भी यही समस्या थी। दशरथ अभी बी.ए. पाठ्यक्रम के पांचवें सेमेस्टर में अध्ययनरत हैं। संजय गांधी स्मृति महाविद्यालय में इसकी पढ़ाई-लिखाई जारी है। राज्य लोक सेवा आयोग की परीक्षा के माध्यम से प्रशासानिक पद पाने का इच्छुक है दशरथ। प्रशासन की ओर से मिला लेपटाप इस उद्देश्य को पूरा करने में दशरथ के लिय मददगार होगा।
आटिज्म ग्रसित और सेरेब्रल पाल्सी ग्रसित दिव्यांगजन अनुदान योजना में शामिल
25 November 2017
सर्वेक्षण आटिज्म ग्रसित एवं सेरेब्रल पाल्सी ग्रसित दिव्यांगजनों को बहु-विकलांग एवं मानसिक रूप से अविकसित नि:शक्तजनों के लिए सहायता योजना 2009 के अन्तर्गत शामिल किया गया है। सामाजिक न्याय एवं नि:शक्तजन कल्याण विभाग द्वारा यह आदेश जारी कर दिया गया है। सहायता योजना 2009 में ऐसे नि:शक्तजनों को 500 रुपये प्रति माह आर्थिक सहायता दी जाती है।
मानसिक रोग में पुलिस की भूमिका पर कार्यक्रम
16 October 2017
गुरुग्राम 14 अक्टूबर। समाज में सभी को मानसिक रुप से पीडि़तों के साथ सम्मानजनक व्यवहार करना चाहिए, तभी वे संकट की स्थिति में दूसरेां की मदद ले सकतें है। वर्तमान में मानसिक रुप से पीडि़त समाज व आमजन से कटा हुआ सा अपने आपको महसूस करता है, इसलिए जब उन्हे पुलिस की जरुरत हेाती है तो वे इनकी मदद ले पाने में असमर्थ हेाते है। यह जानकारी संबध हैल्थ फाउंडेशन (एसएचएफ) की ट्रस्टी रीता सेठ ने पुलिस कमीश्नरेट सभागार में मासिक अपराध समीक्षा के दौरान मानसिक रोग में पुलिस की भूमिका पर आयेाजित कार्यक्रम में दी। उन्होने बताया कि पूरे गुरुग्राम इलाके में करीब 50 हजार से अधिक विभिन्न प्रकार के मानसिक रोगी है, जो कि अज्ञानता और व्यवहार के कारण समाज की मुख्य धारा से कटे हुए है। इसलिए हम सभी को मिलकर इनके साथ परिवार जैसा व्यवहार करना है तभी वे मुख्यधारा में लौट सकते है। खासतौर पर इसमें पुलिस की अह्म भूमिका हेा सकती है। संबध हैल्थ फाउंडेशन (एसएचएफ) के राजीव अग्रवाल ने सभी पुलिस अधिकारियों से आव्हान किया कि उनके पास जब भी कोई मानसिक रुप से पीडि़त का मामला आए तो वे सहानुभूतिपूर्वक उस पर विचार करे। इससे उनका मनोबल बढ़ेगा और उन्हे न्याय भी मिलेगा। मानसिक रुप से पीडि़तों के साथ कई तरह के अन्याय होते है, जिन्हे वे स्वंय रेाकने में असमर्थ होतें है, ऐसी स्थिति में उनके पास पुलिस के अलाव दूसरा कोई विकल्प नही है। रिकवरी सेंटर बना हुआ है वरदान गुरुग्राम गांव की चौपाल में एसएचएफ की और से रिकवरी सेंटर खोला है। जो कि पूरी तरह से ग्रामीणों और मानसिक रुप से पीडि़तों को समर्पित है। इस प्रकार की बीमारियों में मरीज के साथ साथ पूरा परिवार संकट की स्थिति में आ जाता है। देशभर में सभी तरह की मानसिक बीमारियों में 3प्रतिशत आबादी में गंभीर मानसिक बीमारी से ग्रसित है। वंही आत्महत्या का 90 प्रतिशत कारण भी इसे माना गया है। डब्लूएचओ के मुताबिक कुल जनसंख्या में से 10 प्रतिशत लोग मानसिक बीमारी (एमआई) और 3 प्रतिशत गंभीर बीमारी से पीडि़त है। इसमें गुरुग्राम में लगभग 50,000 लोग गंभीर मानसिक बीमारी से ग्रसित है। इनमें 50 प्रतिशत ऐसे है जो पहचान ही नही किये गए। उन्होने कहा कि हरियाणा सरकार के सहयोग से सेक्टर 31 गुरुग्राम के पाली क्लिनिक में भी रिकवरी सेटर चलाया जाता है जो कि गंभीर मानसिक रोगियों के लिए मददगार साबित हो रहा है। इस दौरान मानसिक रुप से पीडि़त युवक जो कि रिकवरी कार्यक्रम से पुनः सामान्य दिनचर्या के साथ आज जीवनयापन कर रहा है, ने अपने जीवन में मानसिक रुप से पीडि़त होने के दौरान जो परेशानियां आई उनके बारे में बताया। पुलिस अधिकारियेां ने जाने हालात और पूछे सवाल इस दौरान पुलिस के अधिकारियेंा ने मानसिक रोग पर तकनीकी जानकारी लेने के बाद रिकवरी कार्यक्रम को समझा और सवाल जवाब भी किये। जिनके जवाब संबध हैल्थ फांउडेशन (एसएचएफ) की दीपशिखा पाल और ट्रस्टी रीता सेठ ने दिए। पुलिस अधिकारियेां ने यह भी पूछा कि वे किस प्रकार से मानसिक रोगियेां की मदद कर सकतें है। इस पर उन्हे बताया गया कि जब किसी मामले में मानसिक रेागी का नाम आए या फिर उनके साथ किसी प्रकार की घटना घटित हेा तो वे उनकी सकारात्मक रुप से जांच कर मदद करें और उनके साथ सम्मानजनक व्यवहार करें। इस कार्यक्रम में गुरुग्राम के समस्त पुलिसथानाधिकारी, अनुसंधानअधिकारी, डीएसपी तथा एसीपी भी उपस्थित थे। फोटेा कैप्सन 1. गुरुग्राम पुलिस कमीश्नरेट सभागार में मानसिक रोग में पुलिस की भूमिका पर आयेाजित कार्यक्रम को संबोधित करते हुए रीता सेठ व टीम। 2. इस अवसर पर गुरुग्राम के समस्त पुलिस अधिकारी व अन्य।
मानसिक स्वास्थ्य दिवस सप्ताह: मानसिक रोग पर बालिकाअेंा ने चित्रों से दिया संदेश
08 October 2017
गुरुग्राम 8 अक्टूबर। संबध हैल्थ फाउंडेशन (एसएचएफ) की और से 4 से 10 अक्टूबर तक अंतरराष्ट्रीय मानसिक स्वास्थ्य दिवस सप्ताह मनाया जा रहा है। जिसके तहत पैरामैडिकल स्टॉफ, मानसिक रोग पर आधारित नुक्कड़ नाटक, मानसिक रोग पर विभिन्न स्कूलों के एक हजार से अधिक बच्चों के साथ ड्राइंग प्रतियोगिता का आयोजन किया गया। इस दौरान मानसिक स्वास्थ्य देखभाल अधिनियम, 2017 की भी जानकारी दी गई। संबध हैल्थ फाउंडेशन (एसएचएफ) की ट्रस्टी रीता सेठ ने बताया कि अंतरराष्ट्रीय मानसिक स्वास्थ्य दिवस देशभर में मनाया जाता है। लेकिन इस दिन सभी को मानसिक रोगियों का सम्मान करने का संकल्प लेना चाहिए, ताकि इस प्रकार के दिवस की सार्थकता सिद्व हो सके। मानसिक रोगियेां को मान सम्मान मिलना चाहिए ये उनका अधिकार है। वे बताती है कि मानसिक बीमारी के बारे में जब ऐसे परिवारेां से बातचीत करतें है तो पता चलता है कि मानसिक रोग से ग्रसितेां के साथ बातचीत करने से उनके प्रति जो कलंक और शर्म की भावनाऐं जुडी हैं वे कम हो सकती हैं। मानसिक बीमारियों के साथ जीने वाले व्यक्ति यह बताते हैं कि समाज की अस्वीकृति उनके विकास के मार्ग में सबसे बड़ी बाधा है। बहुत से लोग जो मानसिक बीमारी को समझते नहीं हैं वे इस से पीडि़त लोगों से डरे हुये हैं। आम तौर पर इस बारे मैं लोगों की समझ मास मीडिया पर ही आधारित होती है। अक्सर आमजन में यह धारणा बनी रहती है कि मानसिक रोग से पीडि़त व्यक्ति अजीब, खतरनाक , हिंसक और मंद बुद्धि वाले होते हैं। यह गलत और अनुचित वर्णन एक ऐसी सोच को बढ़ावा देते हैं जो समाज में मानसिक बिमारियों से ग्रस्त व्यक्तियों और उनके परिवारों की अस्वीकृति और अपेक्षा का कारण है। उन्होने बताया कि डब्लूएचओ के मुताबिक कुल जनसंख्या में से 10 प्रतिशत लोग मानसिक बीमारी (एमआई) और 3 प्रतिशत गंभीर बीमारी से पीडि़त है। इसमें गुरुग्राम में लगभग 50,000 लोग गंभीर मानसिक बीमारी से ग्रसित है। इनमें 50 प्रतिशत ऐसे है जो पहचान ही नही किये गए। भारत में करीब 35 मिलियन लोग इस तरह की बीमारियों के शिकार हैं। उन्होने बताया कि इस सप्ताह के दौरान, संबध हैल्थ फाउंडेशन की और बसई गांव में मानसिक रोग के संबधित कार्यशालाएं, मानसिक रोग पर आधारित नुक्कड़ नाटक, खेल, अन्य गतिविधियां, और वार्ता का आयोजन किया गया। सिविल अस्पताल में नुक्कड़ नाटक, अमर कालोनी में हैल्थ केयर मेडिकल स्टॉफ के साथ मानसिक रोग के लक्षण व पहचान पर संवेदीकरण कार्यशाला का आयेाजन किया गया। प्रोजेक्ट हैड दीपशिखा पाल की टीम ने पैरा मेडिकल स्टॉफ केा मानसिक रोग पर आधारित एक खेल से भी रुबरु कराया गया। जिसमें मानसिक रोग की पहचान के बारे में बताया गया। संबध हैल्थ फाउंडेशन (एसएचएफ) के ट्रस्टी राजीव अग्रवाल ने बताया कि राजकीय कन्या विद्यालय, अतुल सीनियर सैंकंडरी स्कूल, जांगिड़ बा्रहमण सीनीयर सैंकंडरी स्कूल की बालिकाओं के साथ मानसिक रोग आपसी संवाद किया गया। जिसमें बालिकाअेां ने मानसिक रोग पर आधारित सवाल पूछे जिनका टीम की और से जवाब दिया गया। यंहा पर बालिकाअेंा के साथ चित्र प्रतियोगिता का आयेाजन किया गया। बालिकाअेां ने मानसिक रोग पर कल्पना के चित्र उकेरे। जिसमें मानसिक रेाग से ग्रसित लोगों के जीवन, समाज में उनकी स्थिति इत्यादि का चिंत्राकन किया गया। संबधी की और से मानसिक रोगियों के लिए हरियाणा सरकार के साथ मिलकर रिकवरी कार्यक्रम भी चलाया जा रहा है। वंही गुरुग्रा्रम गांव में रिकवरी सेंटर व गु्रप हेाम भी चलाया जा रहा है। इन कार्यक्रमेंा में टीम के प्रोजेक्ट मैनेजर समृति गहरोत्रा, प्रोग्राम अधिकारी इपस्तिा पाल, प्रिया इत्यादि ने इन कार्यक्रमेंा में शामिल होकर मानसिक रोग पर तकनीकी जानकारी दी। फोटेा कैप्सन 1.2. गुरुग्राम में मानसिक रोग पर बालिकाअेां के द्वारा बनाये गए चित्रों से संदेश देती हुई बालिकाएं। 3. पैरामेडिकल स्टॉफ को मानसिक रोग पर जानकारी देते हुए प्रोजेक्ट हैड दीपशिखा पाल व टीम के सदस्य मानसिक रोग पर खेल से जानकारी देते हुए। 4.मैंटर हैल्थ वीक पर रोग की पहचान व लक्षण के बारे में जानकारी देते हुए इपसिता पाल।
शिक्षा से ही बौद्धिक विकास सम्भव : लक्ष्य
26 Aug 2017
दिनांक 25 अगस्त 2017 को भारतीय समन्वय संगठन (लक्ष्य) की लखनऊ टीम द्वारा घर - घर बहुजन जनजागरण अभियान के तहत लक्ष्य कमांडर चेतना राव के नेतृत्व में लखनऊ के सेक्टर - ओ, एल०डी०ए० कालोनी, कानपुर रोड, लखनऊ, उत्तर प्रदेश में एक कैडर कैम्प का आयोजन किया गया। जिसमें शिक्षा, स्वास्थ्य ,साफ सफाई, भाई चारे तथा अंधविश्वास से कैसे दूर रहा जाये पर चर्चा की ! लक्ष्य कमांडर, चेतना राव ने बहुजन समाज के लोगों को लक्ष्य के उद्देश्यों तथा कार्यों के बारे में बताते हुए लक्ष्य से जुड़ने का अनुरोध किया तथा लोगों से अपील की कि शिक्षित और संगठित होकर ही अपने अधिकारों को हासिल कर सकते हैं। लक्ष्य कमांडर प्रीति गौतम ने कैडर में उपस्थित लोगों को बहुजन समाज के महापुरुषों के बारे में विस्तार से बताया तथा कहा कि बाबा साहब ने कहा है कि बहुजनों आपके पैरों में जूते भले न हों लेकिन हाथों में किताब अवश्य होनी चाहिए क्योंकि शिक्षा से ही बौद्धिक विकास सम्भव हो सकेगा। माया मित्तल जी ने भी बाबा साहब के विचारों को घर - घर तक पहुंचाने पर जोर दिया। लक्ष्य कमांडर ज्योति, राजकुमार, सुरेश चंद्र मित्तल, संजय, अंकुर व अन्य लोग कैडर कैम्प में शामिल हुए और अपने अपने विचार रखे तथा भारतीय समन्वय संगठन (लक्ष्य) द्वारा किए जा रहे सामाजिक जागरूकता अभियान की सराहना की।
अपनी खुसिया गरीबो में बाटना ही सामाजिक चेतना की बड़ी मिसाल : लक्ष्य
8 Aug 2017
लक्ष्य की महिला कमांडर राजकुमारी कौशल ने अपने निवास स्थान जानकीपुरम लखनऊ में अपने पुत्र के जन्मदिन के उपलक्ष में झुगीवासियो का एक कैडर कैम्प आयोजित किया जिसमे आसपास की झुगीवासियो ने बढ़चढ़कर हिस्सा लिया ! लक्ष्य कमाण्डर राजकुमारी कौशल कहा कि मुझे बहुत अच्छा लग रहा है कि मैंने अपने पुत्र सुमित कौशल का जन्मदिन इन लोगो के साथ मनाया तथा उनके साथ सामाजिक चर्चा की ! उन्होंने कहा कि मैं समाज को एक सन्देश देना चाहती हूँ कि हम लोगो ऐसे सामाजिक अवसरों पर इन लोगो के साथ एक सामाजिक चर्चा करे जिससे बहुजन समाज में एक चेतना आएगी व् संसाधनों का भी सदुपयोग होगा ! उन्होंने लोगो से अपील करते हुए कहा कि वो अन्धविश्वास से बचे तथा अपने बच्चो को शिक्षित अवश्य करे ! उन्होंने कहा कि उन्हें नशे से भी बचना चाहिए, ये नशा ही आप लोगो के विनाश का मुख्य कारण है ! शिखा कौशल ने कहा कि आज जो भी अधिकार बहुजन समाज व् महिलाओं को मिले है वो केवल बाबा साहेब डॉ भीम राव आंबेडकर के योगदान का ही परिणाम है अतं हमें उनकी बताई शिक्षाओं पर ध्यान देना चाहिए ! डॉ बेला कौशल ने महिलाओं से अपील करते हुए कहा कि हमें सामाजिक कुरूतियो से बचना चाहिए तथा साफ सफाई का भी ध्यान रखना चाहिए जिससे स्वास्थ भी अच्छा रहेगा ! उन्होंने छोटे परिवार के लाभ भी बताये ! सुमित कौशल ने कहा कि मुझे अपना जन्मदिन इन लोगो के साथ मानना बहुत अच्छा लग रहा है उन्होंने कहा कि अगर हम अपनी खुसिया इन लोगो के साथ बाटेंगे तो इन लोगो को भी प्रेरणा मिलेगी और ये लोग भी अपने बच्चो को शिक्षित करेंगे और ये भी आगे बढ़ेंगे ! सुमित कौशल ने कहा कि अगर ये बहुजन के लोग आगे बढ़ते है तो देश आगे बढ़ेगा ! सभी लोगो ने विशेषतौर पर बच्चो ने इस जन्मदिन को कैडर के रूप में मनाकर खूब आनंद लिया और लक्ष्य कमांडर राजकुमारी ने एक बहुत अच्छा सन्देश बहुजन समाज के पढ़े लिखे लोगो को दिया कि वो भी अपनी खुसिया को गरीब व् पीछे रहगये लोगो के साथ बाटे ताकि वो लोग भी हमसे कुछ सिख सके और आगे बढे सके ! ये ही एक सामाजिक चेतना की बड़ी मिसाल है
“संघ ने की घोष वादन से बाबा साहेब की मानवंदना”
14 April 2017
14 अप्रैल l बाबा साहब डॉ भीमराव अम्बेडकर जी की जयंती के अवसर पर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के भोपाल ववभाग की घोष इकाई द्वारा आज प्रातः 10.00 बजे बोडड ऑफिस चौराहे पर स्स्ित बाबा साहेब की प्रततमा का घोषवादन कर मान वंदना की गई l लगभग 100 स्वयंसेवकों के घोषदल ने एकलव्य संकुल से संचलन करते हुए बोडड ऑफिस पहुुँच कर बाबा साहेब की प्रततमा की प्रदक्षिणा कर घोष बजाकर मान वंदना की l इकाई का नेतत्ृव संघ के ववभाग सह संपकड प्रमुख प्रदीप त्रिपाठी कर रहे िे l
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ मानता है फक बाबा साहेब ने पूरे समाज को समरसता के सूि में बांधकर ऊुँच-नीच का भेद शमटाने में महत्वपूणड भूशमका तनभाई है l संघ सामास्जक समरसता दृण करने हेतुवषड भर अनके कायडक्रमों का आयोजन करता है l

संयुक्त क्षेत्रीय केंद्र (दिव्यांगजन)-सी. आर. सी. भोपाल
22 March 2017
भोपाल: संयुक्त क्षेत्रीय केंद्र (दिव्यांगजन)- सी.आर.सी.भोपाल की व्याख्याता श्रीमती पूनम सचदेव द्वारा विकसित की गई पुस्तिका “वृद्धजनों एवं दिव्यांगजनों के लिए घर मे बाधारहित वातावरण” का आज दिनांक 20/03/2017 को विमोचन किया गया।
इस पुस्तिका मे घर मे बदलाव,जाँच सूची, सुझाव, इत्यादि पर बहुत ही महत्वपूर्ण जानकारी दी गई है।
इस पुस्तिका का विमोचन करते हुये श्री अभिषेक गोपाल (IES),कार्यपालक अभियंता, केंद्रीय लोक निर्माण विभाग (CPWD)- भोपाल ने सराहाना एवं प्रशंसा की कि यह सुगम्य भारत अभियान की ओर एक महत्वपूर्ण कदम है ।

डूबने से होने वाली मौतों को रोकने दिशानिर्देश बनाने व जिम्मेदारी तय करने की जरूरत
13 Feb. 2017
भोपाल: भारत सहित दुनिया भर में हर वर्ष हजारों लोग पानी में डूबकर अपनी जान गंवा देते हैं। घर में पानी के टब से लेकर, पानी की टंकी, कुंए, बावड़ी, खदानें, नदी, तालाब और समुद्र इन मौतों का कारण बनते हैं। भारत में न तो इन मौतों को रोकने सुरक्षा इंतजाम हैं और न ही कोई जिम्मेदार विभाग या कानून। देशभर में चलाए जा रहे डिजास्टर रिस्क रिडक्शन कार्यक्रम में भी डूबने से होने वाली मौतों को रोकने का कहीं भी जिक्र नहीं है। बढ़ती हुई मौतों को रोकने कानून व दिशानिर्देश बनाने व जिम्मेदारी तय करने की आवश्यकता है।
उक्त बात आज दिन भर चली मंदार एण्ड नो मोर मिशन के तहत आयोजित डूबने से बचाव विषय पर आयोजित नेशनल कान्फ्रेंस में निकलकर सामने आई। इस कान्फ्रेंस का आयोजन रोटरी क्लब, भोपाल मैनेजमेंट एसोसिएशन, बीएसएनएल तथा मंदार एण्ड नो मोर मिशन द्वारा संयुक्त रूप से किया गया जिसमें डूबने से होने वाली मौतों की रोकथाम के उपायों पर विमर्श किया गया।
इस कान्फ्रेंस को प्रदेश के राज्यपाल के उच्च शिक्षा सलाहकार प्रोफेसर राजपाल सिंह के मुख्य आतिथ्य तथा युवा नेता व समाजसेवी राहुल कोठारी की अध्यक्ष्ता में आयोजित किया गया। मिसेस इण्डिया क्लासिक अर्थ जया महेश तथा कैलीफोर्निया से आई शिक्षाविद जैनिस ऑस्टिन सहित देश-विदेश से आए विभिन्न विषय विशेषज्ञों ने कार्यक्रम को संबोधित किया। इस कार्यक्रम में शहर के विभिन्न शैक्षिक संस्थानों के विद्यार्थी व प्रतिनिधि अपने सुझावों के साथ शामिल हुए।
प्रोफेसर राजपाल सिंह ने कहा कि बीते डेढ़ वर्षों में जिस संख्या में आमजन से लेकर विभिन्न संस्थाओं का समर्थन मिला है उससे यह मिशन जल्द ही राष्ट्रीयस्वरूप प्राप्त कर लेगा। उन्होंने मिशन को अपना पूरा सहयोग प्रदान करने का भरोसा दिलाया।
राहुल कोठारी ने कहा कि इस कान्फ्रेस से निकलकर आने वाले निष्कर्षों को वे राज्य तथा केन्द्र सरकार के पास लेकर जाएंगे तथा इस दिशा में प्रभावी कानून बनवाने का प्रयास करेंगे। उन्होंने यह भी कहा कि कानून बनवाने अगर जरूरत पड़ी तो वे सांसदों के साथ मिलकर लोकसभा में प्रायवेट बिल पेश करने से भी पीछे नहीं हटेंगे।
मिसेस इण्डिया क्लासिक अर्थ जया महेश ने कहा कि वे शुरू से ही इस मिशन से जुड़ी हैं और वे अपने स्तर पर लोगों को जगरूक करने का कार्य कर रही हैं। उन्होंने स्कूल व कॉलेजों को साथ लेने व रोज किसी एक व्यक्ति से इस बारे में बात करने की बात कही ताकि इस मिशन को लाखों लोगों तक पहुंचाया जा सके व उन्हें साथ लिया जा सके।
बाल सुरक्षा विशेषज्ञ विभांशु जोशी ने कहा कि डूबने से होने वाली मौतों को भी आपदा माना जाना चाहिए क्योंकि पीड़ित परिवार के लिए यह आपदा ही होती है। यह आपदा किसी न किसी की लापरवाही की वजह से होती है। साथ ही इस मिशन को थोड़ा और व्यापक बनाकर बोरवेल और स्कूल आदि में बनी पानी की टंकियों में होने वाली मौतों को भी शामिल किया जाना चाहिए। उन्होंने देश के डिजास्टर रिस्क रिडक्शन कार्यक्रम में डूबने से होने वाली मौतों को आपदा मानते हुए शामिल करने की बात कही।
वरिष्ठ कानून विशेषज्ञ श्रीनिवास जोशी ने कहा कि केन्द्रीय व राज्य प्रदूषण निवारण मण्डलों के पास पानी के स्रोतों के आसपास सुरक्षा इंतजाम करने की शक्तियां हैं जिनका इस्तेमाल वे कर सकती हैं। सुप्रीम कोर्ट ने वर्ष 2010 में बोरिंग सेफ्टी की गाइडलाइन जारी की थीं उनका इस्तेमाल भी डूबने से होने वाली मौतों से बचाव के कार्यक्रम में शामिल किया जा सकता है। इन गाइडलाइनों को शामिल करने से किसी और तरह की गाइडलाइन की जरूरत नहीं रहेगी।
बीएसएनएल के महाप्रबंधक श्री शुक्ला ने बताया कि उनके विभाग की ओर से केरवां डेम पर मोबाइल टॉवर की स्थापना की गई है जिससे यह स्थान कम्युनिकेशन नेटवर्क में आ गया है जिससे मुसीबत की स्थिति में फोन कॉल कर सहायता बुलाई जा सकती है। उन्होंने कहा कि उनका विभाग आगे भी ऐसे स्थानों पर टॉवर लगाने में सहयोग करेगा जहां आपदा की स्थिति में मोबाइल नेटवर्क की जरूरत होती है।

डॉ. कलाम लायब्रेरी से प्रदेश के 3 लाख बच्चों को जोड़ेगी विश्लेषण सोसायटी
Our Correspondent :3 December 2016
पूर्व राष्ट्रपति व वैज्ञानिक डॉक्टर अब्दुल कलाम हमेशा चाहते थे कि देश का प्रत्येक बच्चा शिक्षित हो तथा अच्छी पुस्तकें उसकी पहुंच में हों। लायब्रेरी खोला जाना उनके इस सपने को पूरा करने की दिशा में पहला कदम है खासकर उन बच्चों के लिए जो अत्यंत गरीब हैं और खरीदकर पुस्तकें नहीं पढ़ सकते। भले ही आज डॉक्टर कलाम हमारे बीच नहीं हैं किंतु उनके पूर्व सहयोगी एवं जाने माने लेखक सृजन पाल सिंह उनके इस अधूरे सपने को कलाम लायब्रेरी मिशन के जरिए पूरा करने में लगे हुए हैं। उनका यह मिशन दिल्ली, महाराष्ट्र, राजस्थान व गुजरात आदि राज्यों के 24 शहरों में चल रहा है जिसके तहत इस मिशन से जुड़े उनके सहयोगी लाखों किताबें दान में प्राप्त कर ऐसे स्कूलों में लायब्रेरियां खोल रहे हैं जहां झुग्गी बस्तियों में रह रहे गरीब बच्चे शिक्षा के लिए आते हैं। इसी सिलसिले में श्री सिंह आज भोपाल पहुंचे जहां उन्होंने भोपाल की समाजसेवी संस्था विश्लेषण एजुकेशनल एंड सोशल वेलफेयर सोसाइटी के साथ अनुबंध किया। विश्लेषण संस्था के दीपक मोटवानी ने जानकारी दी कि अब कलाम लायब्रेरी मिशन मध्यप्रदेश में आरंभ किया जा रहा है। इसकी शुरूआत भोपाल से की जा रही है। भोपाल शहर में स्कूलों को चिन्हित करने का कार्य किया जा रहा है तथा यह कार्य पूरा होते हीं यहां लायब्रेरियां आरंभ कर दी जाएंगी। मिशन से जुड़े सहयोगी बड़े स्कूलों, विद्यार्थियों, अभिभावकों, सेवानिवृत्त अधिकारियों व सेवाभावी लोगों को अपने साथ जोड़कर पुस्तकें प्राप्त करने का कार्य कर रहे हैं। श्री सिंह ने यह भी बताया की दानकर्ता पुस्तकें डोनेट करने के साथ साथ स्लम एरिया के बच्चों के साथ अपने अनुभव भी बांट सकते हैं ताकि बच्चों को मार्गदर्शन मिलने के साथ जीवन में आगे बढ़ने की प्रेरणा भी मिल सके। दीपक मोटवानी ने बताया कि विश्लेषण संस्था भोपाल के युवाओं द्वारा स्थापित की गयी है, जो समय समय पर जरूरतमंदों को अनेक तरह से मदद पहुचाने का काम करती है । इसी कड़ी में उनकी संस्था डॉ. कलाम के सपनों को पूरा करने के लिए शहर के जरूरतमंद बच्चों तक किताबें पहुचाने के साथ साथ उन्हें शिक्षित करने का काम भी करेंगे। उन्होंने यह भी बताया कि जो भी बच्चे या अभिभावक इस मिशन के लिए पुस्तके दान करना चाहतें हैं वे उनसे मोबाइल क्रमांक 8305188188 पर संपर्क कर सकते हैं। साथ ही वे स्कूल भी उनसे संपर्क कर सकते हैं जिन्हें अपनी परिसर में ऐसी लायब्रेरी की स्थापना करनी हो।

पत्र सूचना कार्यालय भारत सरकार भोपाल
Our Correspondent :3 December 2016
क्षेत्रीय विकलांग पुनर्वास केंद्र (सीआरसी), भोपाल अंतरराष्ट्रीय दिव्यांगजन दिवस के अवसर पर 03 दिसंबर 2016 को शाम 6.00 बजे से भोजपाल महोत्सव मेला, दशहरा मैदान, भेल में एक विशेष कार्यक्रम का आयोजन कर रहा है। इस कार्यक्रम में दिव्यांगजनों एवं उनके अभिभावकों द्वारा अपने-अपने अनुभव व्यक्त किए जाएंगे। कार्यक्रम की शुरुआत साइन लेंगवेज में राष्ट्रगान द्वारा होगी। इसे एस ओ एस के दिव्यांगजन पेश करेंगे। कार्यक्रम में सृष्टि नाटक का मंचन एस ओ एस खजूरी कलां के दिव्यांगजनों द्वारा किया जाएगा। उमंग विद्यालय के दिव्यांगजनों द्वारा भी नाटक का मंचन किया जाएगा। इस कार्यक्रम में अभिभावको द्वारा भी नाटक का मंचन भी होगा। साथ ही प्रस्तुति देने वाले दिव्यांगजनों को उपहार वितरण का कार्यक्रम होगा। कार्यक्रम का समापन राष्ट्रगीत से होगा। कार्यक्रम में चिन्हित दृष्टिबाधित एवं श्रवणबाधित व्यक्तियों को नवीन प्रकार के सहायक उपकरणों का वितरण किया जाएगा। भोजपाल महोत्सव मेले में सीआरसी, भोपाल द्वारा एक प्रदर्शनी 29 नवंबर से 18 दिसंबर 2016 तक आयोजित की गई है।

जीवन में सकारात्मक रहें और बड़े उददेश्य के लिये समर्पित रहें
21 October 2016
मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान की माताजी की स्मृति में उनके बडे सुपुत्र कार्तिकेय सिंह चौहान ने गत दिवस रेहटी विकास खंड के गांवों में छटवी से बारहवीं तक के विदयार्थियों को कापियां एवं अन्य शैक्षणिक सामग्री का वितरण किया। बुदनी विधान सभाक्षेत्र के सभी शासकीय शालाओं के बच्चों को कापियां नि:शुल्क वितरित की जायेगी। मां सुंदर देवी महिला कल्‍याण समिति द्वारा कॉपी वितरण कार्यक्रम में विदयार्थियों को संबोधित करते हुए कार्तिकेय ने उनका आव्हान किया कि जीवन में सकारात्मक रहें और बड़े उददेश्य के लिये समर्पित रहें। कार्तिकेय ने कहा कि मानव सेवा सबसे बडा धर्म है। सेवा करने के लिये शिक्षा प्राप्त करना जरूरी है। उन्होने कहा कि हर बच्चे को बारहवीं तक अनिवार्य शिक्षा देने के लिये सरकार ने सभी व्यवस्थाएं की हैं। कार्तिकेय ने 17 से 19 अक्टूबर तक तीन दिन रेहटी विकास खंड के मट्ठागांव, रेहटी, गोपालपुर, पिपलानी, सेमरी, बुधनी और शाहगंज आदि गांवों का सघन दौरा किया और शैक्षणिक सामग्री बांटी। उल्लेखनीय है कि मां सुंदर देवी महिला कल्‍याण समिति द्वारा जन कल्याण के कार्यक्रम निरंतर आयोजित किये जाते हैं।

सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्रालय द्वारा 7-8 सितम्बर, 2016 को नई दिल्ली में दिव्यांगजन के लिए दो दिवसीय विशेष रोजगार / नौकरी मेले का आयोजन
6 September 2016
नई दिल्ली : सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्रालय, भारत सरकार के तहत कार्यरत राष्ट्रीय निगम नेशनल हैंडीकैप्ड फाइनैंस एंड डिवैल्पमेंट कारपोरेशन द्वारा दिनांक 7-8 सितम्बर,2016 को नई दिल्ली में दिव्यांगजन के लिए दो दिवसीय रोजगार / नौकरी मेले का आयोजन किया जा रहा है. इस रोजगार मेले में भारत सरकार के विभिन्न संगठन जैसे विकलांग व्यवसायिक पुनर्वास केंद्र(वीआरसीएच),नई दिल्ली, हार्डीकॉन, राष्ट्रीय लघु उद्योग निगम लिमिटेड(एनएसआईसी), विकलांगजन कौशल विकास परिषद की भागीदारी भी रहेगी. इस मेले का उद्घाटन माननीय सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्री श्री थावरचंद गहलोत द्वारा किया जाएगा. इस अवसर पर सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता राज्य मंत्री श्री रामदास अठावले, श्री कृष्णपाल गुर्जर तथा श्री विजय सांपला की गरिमामयी उपस्थिति रहेगी.
दिव्यांगजन के लिए विशेष रोजगार / नौकरी मेले में निजी क्षेत्र की लगभग तीस कंपनियों को बुलाया गया है. विभिन्न कंपनियों / इंडस्ट्री की जरूरतों के हिसाब से 7 सितम्बर, 2016 को दिव्यांगजन का असेसमेंट किया जाएगा तथा असेसमेंट के आधार पर दिनांक 8 सितम्बर, 2016 को दिव्यांगजन को विभिन्न नौकरियां प्रदान करने के लिए उनका इंटरव्यू लिया जाएगा. इसके अलावा दिव्यांगजन को भारत सरकार की स्वरोजगार योजनाओं, अध्ययन छात्रवृत्ति तथा प्रशिक्षण के मौकों के बारे में जानकारी प्रदान करते हुए दक्षता प्रशिक्षण हेतु उनका चयन भी किया जाएगा. इस अवसर पर एनएचएफडीसी, वीआरसीएच, एनएसआईएस, स्किल काउन्सिल फार डिसेबल, डीएसएफडीसी, पीएनबी, आईडीबीआई, एसबीओएच द्वारा भी अपने स्टाल लगाकर जानकारी प्रदान की जाएगी. इच्छुक दिव्यांग अपने फोटो पहचान पत्र, विकलांगता प्रमाण पत्र, शैक्षिक / अनुभव प्रमाण पत्रों(मूल व फोटोकॉपी) के साथ प्रात: 9 बजे विकलांग व्यवसायिक केंद्र(वीआरसीएच), प्लाट नंबर 9,10,11, कडकडडूमा, विकास मार्ग दिल्ली-110092 में पँहुच कर इस रोजगार मेले का लाभ उठा सकता है.।

जूही कोलकाता में थैलेसीमिया पीड़ित बच्चों से मिली
18 May 2016
जूही चावला अपने काम में जितना भी बिजी हों, उनसे कोई मदद मांगे तो वह तुरंत वक्त निकालकर मदद करने पहुंच जाती हैं। कोलकाता में भी यही हुआ। वे वहां अपनी क्रिकेट टीम कोलकाता नाइट राइडर्स को सपोर्ट करने पहुंची थीं। क्रिकेट मैच के साथ-साथ उन्होंने सोशल वर्क के लिए भी समय निकाल लिया। वे थैलेसीमिया सोसायटी आॅफ इंडिया ट्रीटमेंट फेसिलिटी द्वारा आयोजित एक कार्यक्रम में पहुंचीं और इस बीमारी से पीड़ित बच्चों से मुलाकात की। साथ ही उन्होंने लोगों इस बीमारी के प्रति जागरूक करने के अलावा रक्तदान की अपील की। वे इस सोसायटी से 2011 से जुड़ी हैं। जूही ने बच्चों के लिए एक लाख रुपए डोनेट किए हैं।

एसओएस बालग्राम के विशेष बच्चों ने की महिला व बाल कल्याण मंत्री से मुलाकात
29 April 2016
भोपाल। खजूरी कलां स्थित एसओएस बालग्राम की सात विशेष बालिकाओं ने आज सुबह प्रदेश की महिला व बाल कल्याण मंत्री श्रीमती माया सिंह से मुलाकात की। इन सभी बालिकाओं ने इस वर्ष फरवरी माह में हिमाचल प्रदेश के बिलासपुर में स्पेशल ओलंपिक, भारत द्वारा आयोजित नेशनल फ्लोर बाल चैम्पियनशिप में मध्यप्रदेश का प्रतिनिधित्व करते हुए स्वर्ण पदक जीता था। इन बालिकाओं में कुमारी किरण, कुमारी श्रुति, कुमारी विधुशी, कुमारी पावली, कुमारी लक्ष्मी, कुमारी मानसी एवं कुमारी महालक्ष्मी शामिल थीं। इन सात बालिकाओं में से दो बालिकाओं का चयन उनके उत्कृष्ट प्रदर्शन के आधार पर वर्ष 2017 में आस्ट्रिया (यूरोप) में आयोजित होने वाले स्पेशल ओलंपिक वल्र्ड विंटर गेम्स में होने की पूरी संभावना है। चयनित बालिकाएं स्पेशल ओलंपिक फ्लोर बाल गेम में भारत का प्रतिनिधित्व करेंगी। उल्लेखनीय है कि विगत वर्ष जुलाई माह में एसओएस बालग्राम के तीन बच्चे स्पेशल ओलंपिक समर गेम्स में भाग लेने लास एंजिल्स (यूएसए) गए थे तथा वहां से पदक जीतकर लौटे थे।
मंत्री महोदया ने मुलाकात के दौरान इन बच्चों से बातकर उनकी हौसला आफजाई की तथा यथासंभव मदद का आश्वासन दिया। इस अवसर पर एसओएस बालग्राम के प्रभारी दीपक सक्सेना उपस्थित थे।



बाल आयोग के अध्यक्ष डॉ राघवेन्द्र का औचक निरीक्षण
कटारा हिल्स स्थित आवासीय विधालय का किया निरीक्षण
20 मार्च तक अनियमिताओ के निराकरण के दिए निर्देश

14 April 2016
भोपालः मप्र बाल संरक्षण अधिकार आयोग के अध्यक्ष डॉ राघवेन्द्र शर्मा ने आज कटारा हिल्स स्थित आदिमजाति कल्याण विभाग के आवासीय विधालय का औचक निरीक्षण किया और विधालय के छात्र छात्राओ से मुखातिब होकर श्री शर्मा ने अपील करते हुए कहा कि आप सभी विधार्थी प्रदेश के विभिन्न जिलों से आकर यहा विधा अध्यन कर रहें हैं और अब परीक्षा के उपरांत छुटटीयों में जब अपने घर वापस लोटे तो अपने आस पास रहने वाले बच्चो को न सिर्फ पढने के लिए प्रेरित करे बल्कि प्रत्येक विधार्थी सकल्प ले कि वह पाँच बच्चो को अक्षर ज्ञान जरूर देगा।
निरीक्षण के दौरान डॉ. राघवेन्द्र शर्मा को विधालय और छात्रावास में कई अनियिमिताए भी मिली जिस पर श्री शर्मा ने विधालय प्रबंधन को 20 मार्च तक निराकरण करने के निर्देश दिए।
बाल आयोग के अध्यक्ष डॉ. राघवेन्द्र शर्मा आज सुबह 9 बजे अचानक कटारा हिल्स स्थित अनुसूचित जाति जनजाति के छात्र छात्राओं के लिए संचालित संभागीय आवासीय हाई सेंकडरी विधालय में पहुचें वहां पर श्री शर्मा ने कक्षा 6,7 व 8 की कक्षाओं में छात्र छात्राओं से देश के राष्ट्र पति, उपराष्ट्रपति और प्रदेश के राज्यपाल का नाम पूछा तो कई छात्र छात्राए नही बता पाए इसके उपरांत छात्रावास के निरीक्षण के दौरान साफ सफाई की व्यवस्था पर भी श्री शर्मा ने नाराजगी दर्ज कराई। विधालय परिसर में करोडो रूपये की लागत से बने स्केटिग कोर्ट, टेनिस कोर्ट सहित अन्य खेल मैदान पर सुचारू रूप से छात्र छात्राओ को प्रशिक्षित कर खेलो से जोडने के निर्देश दिए।



समग्र विकास के लिए रचनात्मक गतिविधियों का संचालन समाज-हित में
Our Correspondent :29 March 2016
भोपाल। जनसंपर्क, ऊर्जा तथा खनिज साधन मंत्री श्री राजेन्द्र शुक्ल ने कहा कि किसी भी संस्था के समग्र विकास के लिए रचनात्मक गतिविधियों का संचालन समाज-हित में सार्थक है। उन्होंने कहा कि जन-अभियान परिषद द्वारा संचालित गतिविधियों के अच्छे परिणाम मिल रहे हैं। उन्होंने जन-अभियान परिषद से जुड़े कार्यकर्ताओं से राज्य सरकार की जन-कल्याणकारी योजनाओं को समाज के अंतिम छोर तक पहुँचाने में सक्रिय भूमिका निभाने की अपील की। श्री शुक्ल आज सतना में मध्यप्रदेश जन-अभियान परिषद की प्रस्फुटन समितियों और मुख्यमंत्री सामुदायिक नेतृत्व क्षमता विकास पाठ्यक्रम के छात्रों के एक-दिवसीय सम्मेलन-सह-कार्यशाला 'संवाद' को संबोधित कर रहे थे।
श्री शुक्ल ने कहा कि राज्य सरकार ने विकास और कल्याणकारी योजनाओं के क्रियान्वयन के जरिये पूरे राज्य का परिदृश्य बदल दिया है। उन्होंने कहा कि केन्द्र और राज्य सरकार की योजनाएँ समाज के प्रत्येक तबके को लाभान्वित करने के लिये हैं। उन्होंने कहा कि स्वैच्छिक कार्यकर्ता कमजोर तबके को जागृत करते हुए इन योजनाओं को जरूरतमंद तक ले जाये। श्री शुक्ल ने कहा कि समृद्धशाली और शक्तिशाली भारत के निर्माण का सपना पूरा होने का समय आ गया है। प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी और मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान की योजनाएँ एवं विकास कार्यक्रम गरीब और किसानों को केन्द्र-बिन्दु रखकर क्रियान्वित किये जा रहे हैं।
समाजसेवी श्री कृष्ण माहेश्वरी तथा परिषद के संभागीय समन्वयक श्री अमिताभ श्रीवास्तव ने भी अपने विचार रखे। इस मौके पर महापौर श्रीमती ममता पाण्डेय, परिषद के सलाहकार श्री शशिकांत मणि त्रिपाठी और जिला समन्वयक श्री प्रदीप तिवारी उपस्थित थे।

बेला-सतना फोर लेन मार्ग का निरीक्षण

श्री राजेन्द्र शुक्ल ने रीवा से सतना आते समय बेला से लेकर रामपुर, सज्जनपुर बाईपास सहित बेला-सतना फोर लेन मार्ग की प्रगति का निरीक्षण किया। इस दौरान उन्होंने अधिकारियों तथा संविदाकार को निर्माण कार्य में गति लाने के निर्देश दिये।


महिलाओं को आर्थिक रूप से सशक्त बनाने “सावित्री बाई फुले” स्व-सहायता समूह गठित होंगे मुख्यमंत्री श्री चौहान ने ग्वालियर में ज्योति बा फुले की प्रतिमा का किया अनावरण
29 February 2016
आर्थिक और सामाजिक रूप से कमजोर वर्ग की महिलाओं को आर्थिक रूप से सुदृढ़ बनाने के लिये प्रदेश में 'सावित्री बाई फुले' स्व-सहायता समूहों का गठन किया जायेगा। मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान ने आज ग्वालियर में महात्मा ज्योति बा फुले की मूर्ति का अनावरण करते हुए यह घोषणा की। उन्होंने कहा कि दलित और पिछड़ों के हितों के लिये अपना जीवन समर्पित करने वाले महात्मा फुले के बताये मार्ग पर चलते हुए राज्य सरकार भी इस वर्ग के कल्याण के लिये कृत-संकल्पित है।
इस मौके पर महिला-बाल विकास मंत्री श्रीमती माया सिंह, महापौर श्री विवेक नारायण शेजवलकर, विधायक सर्वश्री नारायण सिंह, जयभान सिंह पवैया, भारत सिंह कुशवाह उपस्थित थे।
मुख्यमंत्री श्री चौहान ने कहा कि महात्मा ज्योतिबा फुले ने दलित सेवा और विशेषकर महिला शिक्षा के क्षेत्र में उल्लेखनीय कार्य किये। उन्होंने नारी शिक्षा की अलख की शुरूआत अपने घर से करते हुए अपनी पत्नी श्रीमती सावित्री बाई फुले को सर्वप्रथम शिक्षित बनाना प्रारंभ किया। उन्होंने वर्ष 1854 में लड़कियों के लिये पहला विद्यालय प्रारंभ किया।
श्री चौहान ने कहा कि प्रदेश सरकार ने पंडित दीनदयाल उपाध्याय के अन्त्योदय के मूल सिद्धांत को अपनाया है। उन्होंने कहा कि सरकार कमजोर वर्ग के कल्याण के लिये निरंतर प्रयासरत है। वर्ष 2022 तक प्रत्येक गरीब को मकान और आवासीय पट्टे देने का लक्ष्य है। बहन-बेटियों को आर्थिक और सामाजिक रूप से सशक्त बनाने के लिये लाड़ली लक्ष्मी से लेकर कन्या शिक्षा, कन्यादान जैसी योजनाएँ संचालित की जा रही हैं। स्थानीय संस्थाओं में 50 प्रतिशत और शासकीय नौकरियों में विशेषकर पुलिस में 33 प्रतिशत स्थान महिलाओं के लिये आरक्षित किए गए हैं।
केन्द्रीय इस्पात एवं खान मंत्री श्री नरेन्द्र सिंह तोमर ने कहा कि ग्वालियर शहर में लम्बे समय से महात्मा फुले की प्रतिमा की माँग की जा रही थी, जो अब पूरी हो गई है।


ज्ञान, विज्ञान और प्रतिभा की त्रिवेणी का संगम है कायस्थ समाज
कायस्थ प्रेरणा से आशीर्वाद प्राप्त कर आगे बढ़ा हू – श्री शिवराज सिंह चौहान
कायस्थ समाज ने सदैव अपनी प्रतिभा और ज्ञान से देश की सेवा की है – श्री कैलाश नारायण सारंग
कलम के साथ ऊर्जा और शक्ति का विस्तार करना होगा – श्री महेश श्रीवास्तव
प्रधानमंत्री मोदी के आहवाहन पर निशक्तजनों को दिव्यांग कहने की सर्वप्रथम शुरुआत कायस्थ समाज ने की – श्री विश्वास सारंग
सामाजिक समागमों के आयोजन मे आपसी संबंध प्रगाण होते है- श्री आलोक संजर

11 January 2016
भोपाल स्थित कायस्थ समाज की धरोहर एवं प्राचीन नेवरी मंदिर मे आज चित्रांश समागम का आयोजन किया गया, समागम मे मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान एवं महासभा के राष्ट्रीय अध्यक्ष श्री कैलाश नारायण सारंग ने भव्य चित्रगुप्त मंदिर के लिए भूमि पूजन कर भव्य मंदिर की आधारशिला रखी, भूमि पूजन उपरांत मुख्यमंत्री एवं राष्ट्रीय अध्यक्ष द्वारा भगवान चित्रगुप्त की प्रतिमा के समक्ष पुष्प अर्पित कर सांध्यकालीन कार्यक्रमों की शुरुआत की
चित्रांश समागम को संबोधित करते हुए मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि कायस्थ समाज के लोगो ने सदैव अपनी मेघा प्रेरणा और बुद्धि से देश के उच्च पदो को सुशोभित किया है, ज्ञान विज्ञान और प्रतिभा की त्रिवेणी का संगम कायस्थ समाज रहा है, उन्होने बताया कि उनके अब तक के राजनैतिक कार्यकाल मे हमेशा कायस्थों कि प्रेरणा एवं आशीर्वाद उन्हे मिलता रहा है, स्वामी विवेकानंद को पढ़कर उन्होने देश सेवा करने का मन बनाया, श्री सालेग्राम श्रीवास्तव से सानिध्य पाकर राजनीति के गुण सीखे, राजनीति के प्रथम आंदोलन मे भाग लोक नायक जय प्रकाश नारायण के नेत्रत्व मे लिया और संघठन की शिक्षा कुशाभाव ठाकरे से प्राप्त की है , श्री शिवराज सिंह चौहान ने समागम मे कहा कि कायस्थ समाज देश एवं समाज सेवा मे अगर एक कदम आगे बढ़ाएगा तो शिवराज सिंह चौहान और मध्यप्रदेश सरकार इस और दो कदम बढ़ाएगी , उन्होने कार्यक्रम मे बताया कि दिन की ज्यादा व्यस्तताए होने के बावजूद भी राष्ट्रीय अध्यक्ष श्री कैलाश नारायण सारंग द्वारा किए गए आग्रह को नकार नहीं पाया , उन्होने नरेला से विधायक श्री विश्वास सारंग की प्रसंशा करते हुए कहा कि विश्वास को भाजपा संघठन मे कठिन काम को आसानी से कर देने के लिए ही याद किए जाता है, वे अपनी राजनैतिक कुशलता , बुद्धि एवं प्रतिभा के बल पर क्षेत्र कि सेवा निरंतर कर रहे है
चित्रांश समागम को संबोधित करते हुए महासभा के राष्ट्रीय अध्यक्ष श्री कैलाश नारायण सारंग ने कहा कि कायस्थ समाज ने अपनी प्रतिभा और ज्ञान से सदैव देश की सेवा की है , कायस्थ समाज अपनी कलम से देश के उच्च पदो पर आसीन होकर देश की रीति नीति बनाने एवं उसके सफल क्रियान्वयन मे हमेशा आगे रहा है , उन्होने मुख्यमंत्री शिवराज सिंह की प्रसंशा करते हुए कहा कि मुख्यमंत्री 3 बार लगातार जीते है और 2018 मे भी शिवराजमय प्रदेश होगा , उन्होने कहा कि बुलंदियों पर पेहुचना आसान होता है मगर बुलंदियों पर ठेहरना कमाल होता है, प्रदेश के लोकप्रिय मुख्यमंत्री ने अपनी संवेदनशीलता और लगन , मेहनत से यह कर दिखाया है इसके लिए उन्हे बधाई
मध्यप्रदेश गान लिखने वाले यसश्वी पत्रकार श्री महेश श्रीवास्तव ने चित्रांश समागम को संबोधित करते हुए कहा कि भगवान शंकर का मंदिर है, शिव मुख्य अतिथि है, कैलाश अध्यक्षता कर रहे है और महेश बोल रहे है l उन्होने सत्य शिव और सौन्दर्य के मदिर मे मुख्यमंत्री का स्वागत करते हुए कहा कि कलम दवात के पुजारी चित्रगुप्त की पूजा शस्त्रार्थों से भी की जाती है , उन्होने चित्रांश समागम मे आहवाहन किया कि आज के समय मे कलम के साथ साथ हमे ऊर्जा और शक्ति का विस्तार करने की भी आवश्यकता है , कायस्थ समाज को दायें हाथ मे पुरुषार्थ तो बाए हाथ मे विजय श्री लेकर राष्ट्र हित मे आगे बढ़ना होगा
नरेला से विधायक एवं चित्रांश समागम के स्वागत अध्यक्ष श्री विश्वास सारंग ने अपना स्वागत भाषण देते हुए कहा कि जम्मू से लेकर कन्याकुमारी और अटक से लेकर कटक तक कायस्थ समाज के लोग निवासरत है, सभी देश कि सेवा के लिए विभिन्न उच्च पदो पर आसीन होकर अपनी सेवाए दे रहे है , मध्यप्रदेश कायस्थ महासभा कायस्थों को एक मंच के नीचे लाने का अभिनव कार्य करती रही है , उन्होने बताया कि चित्रांश समागम के लिए कायस्थ महासभा के सदस्य एवं समाज के लोग विगत दो महीने से लगातार लगन के साथ मेहनत कर इस भव्य एवं विशाल समागम को मूर्त रूप देने मे कामयाब हुए है, उन्होने बताया कि कायस्थ महासभा एवं समाज ने सर्वप्रथम प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी द्वारा निशक्तजनों को दिव्यांग कहने के आहवाहन को सामाजिक स्तर पर कहने की शुरुआत की है पूर्व मे राष्ट्रीय मंत्री अजय श्रीवास्तव “नीलू” ने चित्रांश समागम को बताया कि आज प्रातः काल आयोजित हुई राष्ट्रीय परिषद की बैठक मे लगातार तीसरी बार श्री कैलाश नारायण सारंग को राष्ट्रीय अध्यक्ष के पद पर निर्विरोध निर्वाचित किया गया, मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान ने अजय श्रीवास्तव नीलू के साथ मिलकर यह घोषणा की
चित्रांश समागम मे मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान, राष्ट्रीय अध्यक्ष श्री कैलाश नारायण सारंग, भोपाल महापौर आलोक शर्मा एवं समाज के राष्ट्रीय एवं प्रांतीय जनप्रतिनिधि द्वारा कायस्थ महासभा की स्मारिका “बंधन” का विमोचन किया गया
भोपाल से सांसद कायस्थ रत्न श्री आलोक संजर ने प्रातः काल आकार चित्रांश समागम को संबोधित किया और कहा कि ऐसे समागम से आपसी संबंध प्रगाण होते है, लोग एक सूत्र मे बंधते है , उन्होने सभ्य मानव जगत के प्रथम तीन शब्दो को परिलक्षित करते हुए कहा कि इससे समाज का निर्माण होता है, श्री सारंग ने महासभा के राष्ट्रीय अध्यक्ष श्री कैलाश नारायण सारंग द्वारा समाज को एकत्रित कर एक सूत्र मे पिरोने के लिए किया गए प्रयासो, एवं प्रवासों की सराहना की l उन्होने नेवरी मंदिर के इतिहास को बताते हुए कहा कि आज यहाँ बनने वाले संबंधो को लोग सदैव याद रखेंगे और चित्रांश समाज की इस प्राचीन धरोहर मे आते रहेंगे , उन्होने चित्रांश समागम के भव्य आयोजन के लिए कायस्थ महासभा एवं नरेला विध्यक श्री विश्वास सारंग को बधाई दी
प्रातः मे अखिल भारतीय कायस्थ महासभा ने प्राचीन नेवरी मंदिर मे अखिल भारतीय चित्रांश समागम मे कायस्थ महासभा की राष्ट्रीय महिला अध्यक्ष श्री मति शीला भटनागर, प्रांतीय अध्यक्ष श्री सुनील श्रीवास्तव, राष्ट्रीय मंत्री अजय श्रीवास्तव “नीलू” , नरेला से लोकप्रिय विधायक श्री विश्वास सारंग सहित कायस्थ महासभा के जिला कार्यकारिणी के पदाधिकारियों ने भगवान चित्रगुप्त की प्रतिमा के सामने दीप प्रज्वलन ,पुष्प अर्पण एवं भगवान चित्रगुप्त आरती गाकर किया, चित्रांश समागम मे कायस्थ समाज के लोग मध्य प्रदेश उत्तरप्रदेश झारखंड बिहार राजस्थान दिल्ली समेत देश के कई प्रांतो से पधारे, कार्यक्रम प्रातः 10.30 बजे प्रारम्भ हुआ, दीप प्रज्ज्वलन के पश्चात युवक युवतियों का परिचय सम्मेलन प्रारम्भ हुआ जिसमे 2000 रजिस्ट्रेशन कायस्थ महासभा द्वारा किए गए एवं लगभग 1000 युवक युवतियों ने चित्रांश समागम मे आकार अपना परिचय दिया l कायस्थ महासभा मे युवक युवती परिचय सम्मेयन 5 श्रेणीओं मे आयोजित किया गया, जिसमे सामान्य श्रेणी मे लगभग 500 युवक युवतियों ने अपना परिचय सम्मेलन दिया, 35 वर्ष से अधिक आयु वर्ग मे लगभग 250 युवक युवती उपस्थित हुए, विधवा विधुर श्रेणी मे लगभग 100, दिव्यांग श्रेणी मे 50 और तलाकशुधा श्रेणी मे लगभग 100 युवक युवती परिचय सम्मेलन के लिए उपस्थित हुए , प्रातः काल हुए कार्यक्रम मे राष्ट्रीय महिला अध्यक्ष श्री मति शीला भटनागर एवं प्रांतीय अध्यक्ष सुनील श्रीवास्तव ने समागम को संबोधित करते हुए समाज के विकास, एकजुटता, प्रतिभा सम्मान की बात कही
आज सम्पन्न हुई राष्ट्रीय परिषद बैठक मे मंच संचालन श्री अजय श्रीवास्तव नीलू , युवक- युवती परिचय सम्मेलन मे मंच संचालन ब्रजेश श्रीवास्तव , आराधना संजर श्रीवास्तव, उषा खरे एवं रमेश सक्सेना ने किया
चित्रांश समागम मे प्रांतीय महामंत्री श्री ब्रजेश श्रीवास्तव, वारिस्थ उपाध्यक्ष श्री अभय प्रधान , महिला प्रांतीय अध्यक्ष श्रीमति दीपा खरे, भोपाल अध्यक्ष महेंद्र श्रीवास्तव, माओज सक्सेना विनीता श्रीवास्तव, आराधना संजर श्रीवास्तव, डॉ अंजलि खरे मनोज सक्सेना, सत्येंद्र खरे सहित कायस्थ समाज के लोग, प्रबुद्धजन एवं बड़ी संख्या मे युवक युवती चित्रांश समागम मे सम्मिलित हुए ।

अंतरराष्ट्रीय बधिर दिवस पर कार्यक्रम का आयोजन
Our Correspondent :30 September 2015
विकलांगजन सशक्तिकरण विभाग, सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्रालय भारत सरकार के अधीन क्षेत्रीय विकलांग पुनर्वास केंद्र, भोपाल तथा स्थानीय डी.बी. मॉल के संयुक्त तत्वाधान में दिनांक 27 सितंबर 2015 को अंतरराष्ट्रीय बधिर दिवस के उपलक्ष में एक कार्यक्रम का आयोजन डी.बी.मॉल में सायं 5 से 7 बजे के मध्य किया गया। इस कार्यक्रम में भोपाल में संचालित विभिन्न विशेष विद्यालयों के श्रवण बाधित बच्चों द्वारा सांस्कृतिक प्रस्तुतियां दी गईं। आम जनता के लिए प्रश्नोत्तरी प्रतियोगिता का भी आयोजन किया गया। इस कार्यक्रम का विशेष आकर्षण क्षेत्रीय विकलांग पुनर्वास केंद्र द्वारा सांकेतिक राष्ट्रगान था जिसकों श्रवण बाधित विद्यार्थियों तथा सामान्य विद्यार्थियों के द्वारा संकेतों के माध्यम से गाया गया। सामूहिक नृत्य की प्रस्तुति आशा निकेतन बधिर उच्चतर माध्यमिक विद्यालय के श्रवण बाधित बच्चों द्वारा दी गई तथा श्री अरुण सक्सेना द्वारा माइम शो की प्रस्तुति दी गई। श्रवण बाधित निःशक्तजनों के लिए पूरे कार्यक्रम को सांकेतिक भाषा अनुवादक द्वारा सांकेतिक भाषा में अनुवाद किया गया।


दृष्टिबाधित का कल्याण हम सबका कर्त्तव्य
Our Correspondent :15 September 2015
राज्यपाल श्री यादव ने की उद्योगपतियों से आर्थिक सहायता देने की अपील

भोपाल। मप्र के राज्यपाल श्री राम नरेश यादव ने कहा है कि दृष्टिबाधितों की सहायता और मदद पुण्य का काम तो है ही, इनके पुनर्वास और कल्याण के लिए सक्रिय भागीदारी निभाना हम सबका कर्त्तव्य है। राज्यपाल श्री यादव ने उद्योगपति, व्यवसाइयों और समृद्ध परिवारों से इस अभियान में अधिक से अधिक आर्थिक सहायता और योगदान देने की अपील की है। उन्होंने कहा कि पिछले कुछ वर्षों में दृष्टिबाधित की मदद के लिए विभिन्न उपकरणों के शोध और उत्पादन के क्षेत्र में क्रांति आई है। सरकार द्वारा दृष्टिबाधित के लिए किये जा रहे प्रयासों के संतोषजनक परिणाम परिलक्षित हो रहे हैं।
राज्यपाल श्री यादव आज राजभवन में दृष्टिबाधित की सहायतार्थ ध्वज दिवस का शुभारंभ कर रहे थे। इस अवसर पर नेशनल एसोसिएशन फॉर द ब्लाइंड और दि ब्लाइंड रिलीफ एसोसिएशन की ओर से राज्यपाल को ध्वज लगाया गया। राज्यपाल ने संस्थाओं के पदाधिकारियों को सहयोग राशि प्रदान की। राज्यपाल के प्रमुख सचिव श्री अजय तिर्की, नेशनल एसोसिएशन फार द ब्लाइंड के संरक्षक और पूर्व पुलिस महानिदेशक श्री अरुण गुर्टू और दृष्टिहीन कल्याण संघ के अध्यक्ष श्री नासिर हुसैन उपस्थित थे। पूर्व में नेत्रहीन विद्यार्थियों ने राज्यपाल श्री यादव को पुष्प भेंट किये।