लाइफस्टाइल | बिजनेस | राजनीति | कैरियर व सफलता | राजस्थान पर्यटन | स्पोर्ट्स मिरर | नियुक्तियां | वर्गीकृत | येलो पेजेस | परिणय | शापिंगप्लस | टेंडर्स निविदा | Plan Your Day Calendar



:: संस्कृति कला ::

 
भोपाल में हो रही है हैप्पीनेस इंडेक्स इंटरनेशनल वर्कशॉप
21 February 2018
नई दिल्ली. 26 सेकंड के वीडियो क्लिप से चर्चा में आई मलयालम अभिनेत्री प्रिया प्रकाश वारियर की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट बुधवार को सुनवाई करेगा। प्रिया ने उनके खिलाफ दर्ज एफआईआर रद्द करने, आपराधिक कार्रवाई रोकने और दूसरे राज्यों को भी ऐसा नहीं करने का निर्देश देने की मांग की है। प्रिया के वकील हरीश बीरन ने तुरंत सुनवाई का अनुरोध किया, जिसे चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा की पीठ ने स्वीकार कर लिया। फिल्म ‘अरु अदार लव’ के गाने ‘मानिक्य मलाराया पूवी’ को लेकर तेलंगाना में प्रिया के खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई है। - शिकायत में कहा गया है कि गाने में पैगम्बर मोहम्मद की पत्नी का जिक्र कर मुस्लिम समुदाय की भावनाएं आहत की गई हैं।
बुक लॉंच कार्यक्रम कल शाम 5 बजे
16 February 2018
क्लब लिटराटी द्वारा कल स्वामी विवेकानंद लाइब्रेरी में एक बुक लॉंच कार्यक्रम आयोजित किया जा रहा है । इस कार्यक्रम में 2009 बैच के आईएएस अधिकारी तरुण पिथोड़े की दूसरी किताब "Happiness" लॉंच की जाएगी । रियल एस्टेट रेगुलरिटी अथॉरिटी के अध्यक्ष व मध्यप्रदेश के पूर्व मुख्य सचिव श्री एंटनी डिसा इस कार्यक्रम के मुख्य अतिथि होंगे । इंग्लिश में लिखी गयी किताब में लेखक ने 'लोगों को बेहतर जीवन जीने में मदद करने के लिए कई बेहतरीन आइडियाज सामने रखे हैं ' । इससे पूर्व इंग्लिश व हिन्दी में प्रकाशित हुई तरुण की पहली किताब " आई एम पॉसिबल" हर आयु वर्ग के लोगों द्वारा काफी पसंद की गयी थी । मूलतः मध्यप्रदेश के निवासी तरुण कुमार पिथोड़े ने भोपाल स्थित मौलाना आज़ाद राष्ट्रीय प्रद्योगिकी संस्थान ने बी टेक किया है । वे भारतीय प्रशासनिक सेवा में आने से पहले भारतीय इंजीनियरिंग सेवा में भी रह चुके हैं । सीहोर के पहले वे राजगढ़ जिले के कलेक्टर थे तथा उससे पहले उन्होने प्रोफेशनल एग्जामिनेशन बोर्ड के डायरेक्टर के रूप में कार्य किया । स्वामी विवेकानंद लाइब्रेरी में कल शाम 5 बजे आयोजित होने वाला कार्यक्रम सभी शहरवासियों के लिए ओपन है । इच्छुक व्यक्ति 4.45 तक लाइब्रेरी पहुँचकर इस कार्यक्रम का हिस्सा बन सकते हैं ।
कार्यक्रम का विवरण इस प्रकार है कार्यक्रम का नाम - बुक लॉंच कार्यक्रम दिनांक - 17 फरवरी 2018 शनिवार समय - शाम 5 बजे स्थान - स्वामी विवेकानंद लाइब्रेरी आयोजक - क्लब लिटराटी किताब का नाम - Happiness : A New Model of Human Behaviour लेखक - तरुण कुमार पिथोड़े मुख्य अतिथि - एंटनी डिसा

श्रवणबेलगोला की तीर्थ यात्रा ट्रेन के जिला क्रम में परिवर्तन
16 February 2018
मुख्यमंत्री तीर्थ दर्शन योजना के अन्तर्गत जैन तीर्थ श्रवणबेलगोला को जाने वाली विशेष ट्रेन के जिलों के क्रम और अनुरक्षकों की संख्या में परिवर्तन किया गया है। इसमें अब आगर-मालवा जिले को भी शामिल किया गया है। यह ट्रेन शाजापुर से 27 फरवरी को प्रारंभ होकर इंदौर, उज्जैन, भोपाल होते हुए श्रवणबेलगोला जाने वाली थी। अब यह यात्रा इसी तारीख को शाजापुर से प्रारंभ होकर इंदौर-उज्जैन-हबीबगंज (भोपाल) होते हुए श्रवणबेलगोला जायेगी। इस ट्रेन में शाजापुर से 120 बर्थ (8 सुरक्षा), उज्जैन से 125 (3 सुरक्षा), इंदौर से 170 (3 सुरक्षा) भोपाल से 275 (5 सुरक्षा) सीहोर से 100 (2 सुरक्षा) रायसेन से 110 बर्थ (2 सुरक्षा) आवंटित की गई है। हरदा जिले के तीर्थ यात्री हबीबगंज (भोपाल) से ट्रेन में बैठेंगे। इनके लिए 25 बर्थ (1 सुरक्षा) आवंटित की गई है। आगर-मालवा जिले के तीर्थ यात्री उज्जैन से ट्रेन में बैठेंगे। इनके लिए 50 बर्थ (1 सुरक्षा) आवंटित की गई हैं। यह विशेष ट्रेन 4 मार्च को श्रवणबेलगोला से रवाना होकर हबीबगंज (भोपाल) से होते हुए उज्जैन, इंदौर से शाजापुर वापस जाएगी
आदिवासी लोक कला को जन-जन तक पहुँचाना आवश्यक- राज्यपाल
15 February 2018
राज्यपाल श्रीमती आनंदीबेन पटेल ने आज राजभवन में ट्रायल पेंटिग वर्कशाप का उदघाटन करते हुए कहा कि आदिवासी लोक कला को स्कूलों में अतिरिक्त पाठ्यक्रम के रूप में शुरू किया जाये तथा इसकी प्रतियोगिता आयोजित की जायें। प्रायमरी, मिडिल और हायर सेकेण्डरी तीन स्तर पर सिलेबस तैयार किये जायें । स्कूलों में इस विषय में रूचि लेने वाले छात्रों की प्रतियो‍गिता आयोजित कर प्रमाण-पत्र दिया जाये तथा विजेता छात्रों की अंकसूची में अतिरिक्त बोनस अंक जोड़ें। उन्होंने कहा कि आदिवासी लोक कला को जन-जन तक पहुँचाने और इसके प्रचार-प्रसार की बहुत आवश्यकता है। इस अवसर पर राज्यपाल के प्रमुख सचिव डॉ.एम मोहनराव, प्रमुख सचिव संस्कृति श्री मनोज श्रीवास्तव, आयुक्त आयुष श्रीमती शिखा दुबे, संचालक श्री अक्षय कुमार सिंह , समन्वयक जनजाति संग्रहालय श्री अशोक मिश्र, और निदेशक श्रीमती वंदना पांड्या भी उपस्थित थीं। राज्यपाल ने स्वास्तिक की आकृति बनाकर वर्कशाप का शुभारंभ किया। राजभवन परिसर में स्थित क्षिप्रा अतिथिगृह में 15 फरवरी से 23 फरवरी, 2018 तक चलने वाले इस वर्कशाप का आयोजन संस्कृति विभाग, आदिवासी लोक कला परिषद और लोक कला एवं बोली विकास अकादमी, भोपाल द्वारा आयोजित किया गया है। इस वर्कशाप में दस भील और दस गौंड जाति के कलाकार पर अपनी पेंटिंग का प्रदर्शन करेंगे। वर्कशाप प्रतिदिन प्रात: 11 बजे से शाम 6 बजे तक चलेगी।
बड़वाले महादेव मंदिर पहुंचे मुख्यमंत्री श्री चौहान
13 February 2018
मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान आज सपत्निक यहां पुराने शहर स्थित बड़वाले महादेव मंदिर पहुंचे और पूर्जा-अर्चना की। उन्होंने प्रदेश की समृद्धि की कामना करते हुए प्रदेशवासियों को महाशिवरात्रि की बधाई और शुभकामनाएं दी। श्री चौहान ने शिव बारात में शामिल होने वाले पारंपरिक रथ को भी खींचा। मुख्यमंत्री श्री चौहान ने कहा कि हिन्दू संस्कृति और आध्यात्मिक परंपरा में शिव की आराधना का विशेष महत्व है। उन्होंने कहा कि विष पीकर अमृत देने वाले आदिदेव शिव स्वयं में सृष्टि निर्माता मंगलकारी देव हैं। मुख्यमंत्री के साथ भोपाल के महापौर श्री आलोक शर्मा भी थे।
भारत भवन की 36वीं वर्षगाँठ के दस दिवसीय समारोह का शुभारंभ आज
12 February 2018
बहुकला केन्द्र भारत भवन की 36वीं वर्षगाँठ को समारोहपूर्वक भोपाल में 13 से 23 फरवरी तक आयोजित किया जा रहा है। इस समारोह में कला प्रदर्शनियाँ, गायन, वादन, कला शिविर, लोक संगीत, नृत्य, कविता-पाठ, कहानी-पाठ, फिल्म नाटक पर केन्द्रित प्रस्तुतियाँ होंगी। प्रमुख सचिव संस्कृति एवं न्यासी सचिव भारत भवन श्री मनोज श्रीवास्तव ने यह जानकारी देते हुए बताया है कि समारोह का शुभारंभ 13 फरवरी की शाम 6.30 बजे लब्ध प्रतिष्ठित नृत्यांगना सुश्री सोनल मानसिंह करेंगी। शाम 6.45 बजे श्री रामसिंह उर्वेती के चित्रों की प्रदर्शनी का शुभारंभ होगा। इसके बाद शाम 7 बजे 'संकल्प से सिद्धि'' में सुश्री सोनल मानसिंह द्वारा परिकल्पित और निर्देशित भरतनाट्यम पर आधारित नृत्य-नाटिका की प्रस्तुति होगी। समारोह के दूसरे दिन 14 फरवरी को दोपहर 2 बजे बैजूबावरा फिल्म का प्रदर्शन होगा। शाम 7 बजे श्रीमती अश्विनी भिड़े देशपाण्डे तथा संजीव अभ्यंकर का शास्त्रीय गायन होगा। तीसरे दिन 15 फरवरी को शाम 7 बजे दयाशंकर की डायरी नाटक की प्रस्तुति होगी। इसका निर्देशन सुश्री नादिरा बब्बर ने किया है। चौथे दिन 16 फरवरी को दोपहर 12 बजे चित्रकला शिविर का शुभारंभ होगा। यह शिविर 23 फरवरी तक चलेगा। शाम 7 बजे श्री मोहित टाकलकर द्वारा निर्देशित मैथमेजिशियन नाटक की प्रस्तुति होगी। अगले दिन 17 फरवरी को शाम 7 बजे श्री जय देशमुख द्वारा निर्देशित 'नट सम्राट'' नाटक की प्रस्तुति होगी। यह प्रस्तुति एकरंग थिएटर सोसायटी भोपाल द्वारा की जाएगी। पाँचवे दिन 18 फरवरी को दोपहर 11 बजे कहानी पाठ होगा। इसमें श्री अशोक मिश्र, श्री उदयन वाजपेयी, श्री जयशंकर, श्री तरुण भटनागर एवं श्री रिजवानुल हक कहानी पाठ करेंगे। रात्रि में सुश्री गगन गिल, श्री पंकज राग, श्री एकान्त श्रीवास्तव, श्री कुमार अनुपम, श्री विवेक निराला, सुश्री राजुला शाह, सुश्री बाबुआ कोहली एवं सुश्री उपासना झा कविता पाठ करेंगे। छठवें दिन 19 फरवरी को दोपहर 2 बजे 'चोखेरवाली' फिल्म का प्रदर्शन होगा। रात्रि में श्री मधुसूदन कर्था तथा साथी कलाकारों द्वारा चेण्डा मेलम समूह वादन और इसके बाद श्री अनूपरंजन पाण्डे के निर्देशन में 'बस्तर बैण्ड'' की आकर्षक प्रस्तुति होगी। 20 फरवरी को शाम 7 बजे 'मीरा'' नृत्य-नाटिका की प्रस्तुति होगी। इसे सुश्री लता सिंह मुंशी और साथी कलाकार प्रस्तुति देंगे। 21 फरवरी की शाम 7 बजे मध्यप्रदेश के लोक अंचलों की प्रस्तुतियाँ होंगी। अगले दिन 22 फरवरी को शाम 7 बजे श्री रोजू मजूमदार और श्री कदरी गोपालनाथ की बांसुरी और सेक्सोफोन जुगलबंदी होगी। भारत भवन की 36वीं वर्षगाँठ के आखरी दिन 23 फरवरी को शाम 7 बजे सातवीं समकालीन भारतीय कला द्वैवार्षिकी में ग्रेण्ड अवार्ड तथा विशेष प्रशंसा पुरस्कार प्राप्त कलाकारों का सम्मान होगा।
किसी जरूरतमंद को रास्ता देने तुम झुक गए विंध्याचल इसलिए तुम पहाड़ हो
12 February 2018
शनिवार-रविवार 10-11 फरवरी 2018 दो दिवसीय कार्यक्रम के समापन सत्र में रविवार 11 फरवरी को देश के जाने माने कवियों साहित्यकारों लेखकों ने अपनी कविताओं का पाठ किया। राज्य संग्रहालय में आयोजित यह कविता पाठ मुक्तिबोध के जन्म के सौ वर्ष पूर्ण होने पर उनके लिए समर्पित किया गया। कविता पाठ से पहले प्रगतिशील लेखक संघ के इतिहास पर केंद्रित पुस्तक का विमोचन हुआ। इसके बाद आयोजित कविता पाठ में देश भर से कवियों ने अपनी प्रतिरोधी स्वर की कविताओं का पाठ किया। इनमें सर्वश्री मलय, राजेश जोशी, राजेन्द्र शर्मा, कुमार अंबुज, कात्यायनी, हरिओम राजोरिया, मोहन कुमार डहेरिया, नीलेश रघुवंशी, अनिल करमेले और अरबाज़ खान अपनी कविताएं सुनाईं। युवा कवि अरबाज खान ने नमाजियों के बीच बच्चों की ऊधम पट्टी पर केंद्रित कविता सुनाई। उन्होंने दूसरी कविता में उन्होंने सवाल उठाया कि क्या किसी को इसलिए मार दिया जाएगा कि उसके रिश्तेदार और धर्मबंधु अलग देश में हैं। उड़ती चिडिय़ा का धोखा देकर मेरा भी खतना किया गया इसलिए मैं मारा जाऊंगा। अनिल करमेले ने अपनी कविताओं का पाठ किया टेलीग्राफ सहित चार कविताओं का पाठ किया। मोहन डहेरिया ने कौन गा रहा है ये गीत से श्रोताओं को प्रभावित किया। हरिओम राजोरिया ने पता न था से कविता के माध्यम से मनुष्य की गरिमा के हनन को व्यक्त किया। उन्होंने विरासत और अन्य कविताओं का पाठ किया। नीलेश रधुवंशी ने अपनी कविता साइकिल में बताया कि साइकिल चलाते हुए जमीन पर रहते हुए भी दो इंच ऊंची उठी मैं राजेंद्र शर्मा ने चब्बनी कविता के माध्यम से मनुष्य की प्रवृत्तियों पर प्रकाश डाला। दिल्ली से आई कात्यायनी ने आस्था कविता के माध्यम से बताया कि आस्था की आंखें नहीं होतीं / वह संसस में भीम की तरह प्रवेश कर सकती है/ तर्क को गहरे गढ्डे में दफन कर सकती है/ इतिहास की कपाल क्रिया कर फिर से लिख सकती है। कुमार अंबुज ने इंसान के गलत तरीकों से अमर होने की आकांक्षा को रखांकित किया। राजेश जोशी ने शिवालिक की पहाडिय़ां कविता के माध्यम से समाज के तथाकथित बड़े लोगों की प्रवृत्यिों पर आक्षेप किया। उनकी कविता में वे बताते हैं कि उन्होंने कई बार विंध्याचल के कानों में जोर जोर से चिल्ला कर कहा / कि ऋषियों की बातों पर भरोसा छोड़, तुम्हीं ने मुझे सिखाया कि झुक जाना छोटा हो जाना नहीं है। किसी जरूरतमंद को रास्ता देने तुम झुक गए इसलिए तुम पहाड़ हो। वरिष्ठ कवि मलय ने अपनी कविता में पानी, कैसे छोड़ दूं यह दुनिया आदि कविताएं सुनाईं। दो दिवसीय इस सम्मेलन में तमिलनाडू, झारखंड, पंजाब, राजस्थान, छत्तीसगढ़, से आए साहित्यकारों लेखकों सांस्कृतिक कार्यकताओं ने विचार विनियम करते हुए नई ऊर्जा और चेतना का संचार हुआ।
साहित्य का अर्थ है आत्मा से संवाद'
4 February 2018
भोपाल, 04 फरवरी, 2018। समाचार-पत्र जो काम नहीं कर सकते, वह काम साहित्य करता है। साहित्य के शब्द आत्मा से संवाद करते हैं। जब हम एकांत में होते हैं तो साहित्य के शब्द गुनगुनाते हैं। जब हम आत्मा के पास जाते हैं, तब भी हम साहित्य से संवाद करते हैं। यह विचार वरिष्ठ साहित्यकार डॉ. विजय बहादुर सिंह ने पंडित बृजलाल द्विवेदी अखिल भारतीय साहित्यिक पत्रकारिता सम्मान समारोह में व्यक्त किए। मीडिया विमर्श की ओर से आयोजित समारोह में दसवाँ पं. बृजलाल द्विवेदी सम्मान साहित्यिक पत्रिका 'अलाव' के संपादक रामकुमार कृषक को दिया गया। साहित्यिक पत्रकारिता की निष्पक्षता के संबंध में डॉ. सिंह ने कहा कि पत्रकारिता राजनीति के पक्ष में खड़ी हो सकती है, किंतु साहित्य कभी किसी के पक्ष या विपक्ष में नहीं लिखा जाता। उन्होंने कहा कि साहित्य सत्य पर टिका होता है। जब कभी सच संदिग्ध दिखाई देता है, तो लोग सच जानने के लिए साहित्य के पास जाते हैं। महाभारत और रामायण यह कभी झूठे नहीं पड़ेंगे। उन्होंने कहा कि भारतीय परंपरा में शब्द को ब्रह्म कहा गया है। वेद-उपनिषद ब्रह्म हैं। डॉ. सिंह ने जोर देकर कहा कि शब्द के ब्रह्म होने की सबसे अधिक संभावना जिस क्षेत्र में बनती है, वह साहित्य का क्षेत्र है। कवि में निवास करती है संस्कृति : साहित्यकार डॉ. विजय बहादुर सिंह ने कहा कि कवि में एक पूरी संस्कृति निवास करती है। जब पूछा जाता है कि आपकी संस्कृति क्या है, तब हम कहते हैं कि महाभारत और रामायण हमारी संस्कृति है। अर्थात् कवि हमारी संस्कृति की पहचान होते हैं। उन्होंने कहा कि कोई भी विश्वविद्यालय कवि नहीं बना सकता। कवि पैदा होते हैं। जिस प्रकार पीपल का वृक्ष उगता है, पहाड़ से नदी निकलती है, उसी तरह कवि भी नैसर्गिक होता है। त्रुटियों की अपेक्षा समाधान की बात हो : कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता एवं संचार विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. बृज किशोर कुठियाला ने कहा कि हम वर्तमान परिदृश्य की त्रुटियों की ओर ध्यान देते हैं। संगोष्ठियों में सामाजिक संवाद के माध्यमों को विवादित बना कर चल देते हैं। हम समाधान और सहमति के लिए संवाद क्यों नहीं करते हैं? उन्होंने कहा कि उस समय की प्रतीक्षा है जब विमर्श में शामिल होने वाले विभिन्न विचारधारा के विद्वान सहमति बनाकर उठना शुरू करेंगे। उन्होंने कहा कि सामाजिक संवाद में पक्षहीन हस्तक्षेप होना चाहिए। प्रो. कुठियाला ने कहा कि नये मीडिया में युवाओं द्वारा जो सृजन किया जा रहा है, वह समाज में प्रभाव उत्पन्न कर रहा है। यह माध्यम बहुत तेजी से विस्तारित हुआ है। इसलिए हमें इस माध्यम की ओर ध्यान देना चाहिए। उन्होंने यह भी कहा कि इस प्रकार के बौद्धिक आयोजनों में हमें विचार करना चाहिए कि समाज से नकारात्मकता को समाप्त करने के लिए क्या उपाय किए जा सकते हैं। पत्रकारिता एक लोकतांत्रिक कर्म : समारोह में सम्मानित साहित्यकार एवं संपादक रामकुमार कृषक ने कहा कि पत्रकारिता एक लोकतांत्रिक, जनतांत्रिक कर्म है। इसका पक्ष-विपक्ष हो सकता है। उन्होंने कहा कि मुख्यधारा की पत्रकारिता की पहुँच समाज में व्यापक होती है। वहीं, साहित्यिक पत्रकारिता की पहुँच सीमित होती है। ऐसे में साहित्यिक पत्रकारिता के प्रयासों को जब हम सम्मान देते हैं तो इसका अर्थ होता है कि हम मूल्यों से जुड़े रहना चाहते हैं। अपनी पत्रिका अलाव के संबंध में उन्होंने कहा कि अगस्त, 1988 में अपने कुछ मित्रों के साथ उन्होंने इसकी शुरुआत की थी। वह यात्रा 51वें अंक तक पहुँच गई है। हमारी कोशिश रही है कि अपने समय के सामाजिक, राजनीतिक, सांस्कृतिक और भाषा-साहित्य से जुड़े मुद्दों पर बेबाकी से बात की जाए। इस अवसर पर मुख्य अतिथि एवं वरिष्ठ पत्रकार डॉ. हिमांशु द्विवेदी ने कहा कि हम जिस पत्रकारिता को जी रहे हैं, उसे गणेश शंकर विद्यार्थी जैसे पत्रकारों ने सींचा है। साहित्यिक पत्रकारिता एवं साहित्यकार आज मुख्यधारा की पत्रकारिता को समृद्ध करने में अपना योगदान दे सकते हैं। डॉ. द्विवेदी ने कहा कि भारत में पत्रकारिता का गौरवशाली इतिहास रहा है। जब भी देश का प्रश्न आता है, पत्रकारिता अपने सभी प्रकार के हित छोड़कर देशहित में सामने आती है। इससे पूर्व वरिष्ठ साहित्यकार गिरीश पंकज ने श्री कृषक के योगदान की सराहना करते हुए कहा कि वे विचारों की ऐसी खेती करते हैं, जिसकी फसल अलाव के रूप में सामने आती है, जो समाज का बौद्धिक पोषण करती है। उन्होंने हम देखते हैं कि आज साहित्यकारों के अनेक चश्मे हैं। किंतु, एक चश्मा ऐसा भी होना चाहिए जो वंचित समाज की पीड़ा को देख सके। मतभेद कभी भी मनभेद में परिवर्तित नहीं होने चाहिए। आज हम देखते हैं कि मतभेद न केवल मनभेद में बदले हैं, बल्कि हिंसक भी हो गए हैं। श्री पंकज ने कहा कि साहित्यिक पत्रकारिता के संपादकों को समाज को बेहतर बनाने के प्रयास करने चाहिए। इस अवसर पर कवि एवं पत्रकार डॉ. सुधीर सक्सेना ने कहा कि आज बड़े समाचार-पत्रों में साहित्य के लिए स्थान सिकुड़ता जा रहा है। जबकि एक समय में समाचार-पत्र साहित्य की नर्सरी हुआ करते थे। उन्होंने इस पुरस्कार के संबंध में कहा कि मीडिया विमर्श का यह सम्मान साहित्यिक पत्रकारिता के क्षेत्र में स्थापित हो चुका है। दस वर्षों में कभी भी पुरस्कार को लेकर कोई विवाद की स्थिति नहीं बनी। मीडिया विमर्श के चयन मण्डल ने सदैव ही श्रेष्ठता का चयन किया है। कार्यक्रम की शुरुआत में स्वागत भाषण एवं पुरस्कार की पृष्ठभूमि मीडिया विमर्श के कार्यकारी संपादक प्रो. संजय द्विवेदी ने रखी। कार्यक्रम का संचालन डॉ. सुभद्रा राठौर ने किया और धन्यवाद ज्ञापन डॉ. सौरभ मालवीय ने किया। इस अवसर पर शहर के गणमान्य नागरिक, देशभर से आए पत्रकार एवं संचार के क्षेत्र में कार्यरत लोग उपस्थित रहे। पुस्तकों का विमोचन : इस अवसर पर दो पुस्तकों का विमोचन भी किया गया। युवा पत्रकार केशव पटेल की पुस्तक 'न्यू मीडिया : न्यू फ्रंटियर्स ऑफ कम्युनिकेशन' और युवा पत्रकार हेमंत पाणिग्रह की पुस्तक 'मोदी युग : एक मूल्यांकन'। मोदी युग : एक मूल्यांकन प्रो. संजय द्विवेदी की पुस्तक 'मोदी युग' की समीक्षाओं का संकलन है।
दसवाँ बृजलाल द्विवेदी सम्मान आज
3 February 2018
भोपाल, 03 फरवरी, 2018। हिंदी की साहित्यिक पत्रकारिता का प्रतिष्ठित सम्मान 'पं. बृजलाल द्विवेदी अखिल भारतीय साहित्यिक पत्रकारिता सम्मान' रविवार को सुबह 11 बजे 'अलाव' (दिल्ली) के संपादक रामकुमार कृषक को दिया जाएगा। सम्मान समारोह का आयोजन गांधी भवन में किया जाएगा। मीडिया विमर्श की ओर से दिए जाने वाले इस सम्मान का यह दसवाँ वर्ष है। पिछले वर्ष यह सम्मान 'अक्षरा' (भोपाल) के संपादक कैलाशचंद्र पंत को दिया गया था। मीडिया विमर्श के कार्यकारी संपादक संजय द्विवेदी ने बताया कि आयोजन के मुख्यअतिथि वरिष्ठ पत्रकार डॉ. हिमांशु द्विवेदी होंगे और अध्यक्षता माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता एवं संचार विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. बृजकिशोर कुठियाला करेंगे। कार्यक्रम के मुख्य वक्ता प्रख्यात समालोचक डॉ. विजय बहादुर सिंह होंगे। साथ ही डॉ. सुधीर सक्सेना (संपादक : दुनिया इन दिनों) तथा गिरीश पंकज कार्यक्रम के विशिष्ट अतिथि होंगे। उन्होंने बताया कि रामकुमार कृषक साहित्यिक पत्रकारिता के एक महत्वपूर्ण हस्ताक्षर होने के साथ-साथ देश के जाने-माने संस्कृतिकर्मी, कवि एवं लेखक हैं। 1989 से वे लोकोन्मुख साहित्य चेतना पर केंद्रित महत्वपूर्ण पत्रिका 'अलाव' का संपादन कर रहे हैं। गजल और गीत विधाओं में विशेष योगदान के साथ-साथ कहानी, संस्मरण, साक्षात्कार और आलोचना आदि गद्य विधाओं में भी उल्लेखनीय स्थान। सात कविता संग्रहों के अलावा विविध विधाओं में एक दर्जन से अधिक किताबें प्रकाशित।1978 से 1992 तक राजकमल प्रकाशन में संपादक और संपादकीय प्रमुख रहे। श्री द्विवेदी ने बताया कि त्रैमासिक पत्रिका 'मीडिया विमर्श' द्वारा प्रारंभ किए गए इस अखिल भारतीय सम्मान के अंतर्गत साहित्यिक पत्रकारिता के क्षेत्र में महत्वपूर्ण योगदान करने वाले संपादक को ग्यारह हजार रुपये, शाल, श्रीफल, प्रतीक चिन्ह और सम्मान पत्र से अलंकृत किया जाता है।
मीडिया विमर्श के आयोजन में सम्मानित होगें ‘अलाव’ के संपादक रामकुमार कृषक
30 January 2018
भोपाल, 30 जनवरी, 2018। हिंदी की साहित्यिक पत्रकारिता को सम्मानित किए जाने के लिए दिया जाने वाला पं. बृजलाल द्विवेदी अखिल भारतीय साहित्यिक पत्रकारिता सम्मान इस वर्ष ‘अलाव’ (दिल्ली) के संपादक श्री रामकुमार कृषक को दिया जाएगा। सम्मान कार्यक्रम आगामी 4, फरवरी, 2018 को गांधी भवन, भोपाल में दिन में 11 बजे आयोजित किया गया है। मीडिया विमर्श पत्रिका के कार्यकारी संपादक संजय द्विवेदी ने बताया कि आयोजन के मुख्यअतिथि वरिष्ठ पत्रकार डा. हिमांशु द्विवेदी होंगें तथा अध्यक्षता माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता एवं संचार विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. बृजकिशोर कुठियाला करेंगे। कार्यक्रम के मुख्यवक्ता प्रख्यात समालोचक डा. विजय बहादुर सिंह रहेंगे। साथ ही डा. सुधीर सक्सेना(संपादकः दुनिया इन दिनों) तथा श्री गिरीश पंकज कार्यक्रम के विशिष्ट अतिथि होगें। श्री रामकुमार कृषक साहित्यिक पत्रकारिता के एक महत्वपूर्ण हस्ताक्षर होने के साथ-साथ देश के जाने-माने संस्कृतिकर्मी,कवि एवं लेखक हैं। 1989 से वे लोकोन्मुख साहित्य चेतना पर केंद्रित महत्वपूर्ण पत्रिका ‘अलाव’ का संपादन कर रहे हैं।पुरस्कार के निर्णायक मंडल में सर्वश्री विश्वनाथ सचदेव, रमेश नैयर, डा. सच्चिदानंद जोशी शामिल हैं। इसके पूर्व यह सम्मान वीणा(इंदौर) के संपादक स्व. श्यामसुंदर व्यास, दस्तावेज(गोरखपुर) के संपादक विश्वनाथ प्रसाद तिवारी, कथादेश (दिल्ली) के संपादक हरिनारायण, अक्सर (जयपुर) के संपादक डा. हेतु भारद्वाज, सद्भावना दर्पण (रायपुर) के संपादक गिरीश पंकज, व्यंग्य यात्रा (दिल्ली) के संपादक डा. प्रेम जनमेजय,कला समय के संपादक विनय उपाध्याय (भोपाल) संवेद के संपादक किशन कालजयी(दिल्ली) और अक्षरा(भोपाल) के संपादक कैलाशचंद्र पंत को दिया जा चुका है। त्रैमासिक पत्रिका ‘मीडिया विमर्श’ द्वारा प्रारंभ किए गए इस अखिलभारतीय सम्मान के तहत साहित्यिक पत्रकारिता के क्षेत्र में महत्वपूर्ण योगदान करने वाले संपादक को ग्यारह हजार रूपए, शाल, श्रीफल, प्रतीकचिन्ह और सम्मान पत्र से अलंकृत किया जाता है। कौन हैं रामकुमार कृषकः 1 अक्टूबर, 1943 को अमरोहा (मुरादाबाद-उप्र) के एक गांव गुलड़िया में जन्मे रामकुमार कृषक ने मेरठ विश्वविद्यालय से हिंदी में एमए की उपाधि और प्रयाग विवि से साहित्यरत्न की उपाधि प्राप्त की। दिल्ली में लंबे समय पत्रकारिता की। अध्यापन और लेखन करते हुए आठवें दशक के प्रमुख प्रगतिशील-जनवादी कवियों में शुमार हुए। गजल और गीत विधाओं में विशेष योगदान के साथ-साथ कहानी, संस्मरण, साक्षात्कार और आलोचना आदि गद्य विधाओं में भी उल्लेखनीय स्थान। सात कविता संग्रहों के अलावा विविध विधाओं में एक दर्जन से अधिक किताबें प्रकाशित।1978 से 1992 तक राजकमल प्रकाशन में संपादक और संपादकीय प्रमुख रहे। 1989 से अलाव पत्रिका के संपादक।
मध्यप्रदेश की सुख-समृद्धि का आधार है नर्मदा नदी : मुख्यमंत्री श्री चौहान
24 January 2018
मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा है कि नर्मदा नदी मध्यप्रदेश की सुख-समृद्धि का आधार है। नर्मदा जल भारतीय संस्कृति में आस्था, श्रद्धा और भक्ति का प्रतीक है। उन्होंने कहा कि माँ नर्मदा की गोद में मल-जल की एक बूँद भी नहीं जाने दी जायेगी। इसके लिये नर्मदा नदी से लगे शहरों में सीवरेज वॉटर ट्रीटमेंट प्लांट लगाये जा रहे हैं। ये ट्रीटमेंट प्लांट आने वाले डेढ़ साल में बनकर तैयार हो जायेंगे। मुख्यमंत्री श्री चौहान आज नरसिंहपुर जिले के बरमानकलां में नर्मदा जयंती कार्यक्रम को संबोधित कर रहे थे। मुख्यमंत्री ने बरमानकलां में अंत्योदय मेले में 11 हजार 263 हितग्राहियों को 96.28 करोड़ के हित-लाभ-पत्र वितरित किये। श्री चौहान ने 25 करोड़ की लागत के 10 निर्माण एवं विकास कार्यों का भूमि-पूजन एवं लोकार्पण भी किया। 2 जुलाई को नर्मदा कछार में 8 करोड़ पौधे लगेंगे मुख्यमंत्री श्री चौहान ने कहा कि नर्मदा नदी किसी ग्लेशियर से नहीं निकलती है। नर्मदा के दोनों तटों पर लगे पेड़ वर्षा का जल सोखते हैं और बूँद-बूँद करके नर्मदा में छोड़ते हैं। इससे ही नर्मदा नदी में जल की आपूर्ति होती है। उन्होंने कहा कि नर्मदा नदी के संरक्षण के लिये दोनों तटों पर पेड़-पौधे लगाना आवश्यक है। मुख्यमंत्री ने कहा कि इस वर्ष 2 जुलाई को नर्मदा केचमेंट क्षेत्र में 8 करोड़ पौधे लगाये जायेंगे। पिछले वर्ष नर्मदा के तटों पर 6 करोड़ 63 लाख पौधे लगाये गये थे। मुख्यमंत्री द्वारा विकास कार्यों की घोषणाएँ मुख्यमंत्री ने बरमानकलां में सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट, रैन-बसेरा भवन, रानी कोठी के जीर्णोद्धार, राजमार्ग-26 से बरमानकलां में नर्मदा तट तक के पहुँच मार्ग को चौड़ा करने और घाटों का सौंदर्यीकरण कराने की भी घोषणा की। कार्यक्रम में बताया गया कि जिले में 71 नर्मदा सेवा समितियाँ गठित की गई हैं। नदी के 32 प्रमुख घाटों पर नियमित नर्मदा आरती और साफ-सफाई की योजना तैयार की गयी है। नर्मदा के 21 घाटों के सौंदर्यीकरण की करीब डेढ़ सौ करोड़ रुपये की परियोजना मंजूरी के लिये राज्य सरकार को भेजी गई है। इस अवसर पर लोक निर्माण, विधि-विधायी कार्य और नरसिंहपुर जिले के प्रभारी मंत्री श्री रामपाल सिंह, सांसद श्री राव उदय प्रताप सिंह, विधायक श्री जालम सिंह पटेल, जिला पंचायत अध्यक्ष श्री संदीप पटेल, जिला सहकारी केन्द्रीय बैंक के अध्यक्ष श्री वीरेन्द्र फौजदार, जिला पंचायत उपाध्यक्ष श्रीमती शीलादेवी ठाकुर, अन्य जन-प्रतिनिधि और बड़ी संख्या में नागरिक उपस्थित थे
जयपुर में मध्यप्रदेश उर्दू अकादमी सर्वश्रेष्ठ घोषित 24 January 2018
राष्ट्रीय उर्दू भाषा विकास परिषद नई दिल्ली और राजस्थान उर्दू अकादमी के संयुक्त तत्वावधान में जयपुर में हुई तीन-दिवसीय कॉन्फ्रेंस में देशभर की 14 अकादमियों में से मध्यप्रदेश उर्दू अकादमी को सर्वाधिक सक्रिय और सर्वश्रेष्ठ घोषित किया गया है। राजस्थान उर्दू अकादमी के सचिव श्री मोअज़्ज़म अली ने अपनी तक़रीर में कहा कि मध्यप्रदेश उर्दू अकादमी का नाम फ़ज़ल ताबिश के ज़माने में उभरा था। उसके बाद वहाँ सन्नाटा रहा, लेकिन आज इस अकादमी ने फ़ज़ल ताबिश के कामों को आगे बढ़ाने के साथ ही तालीम, ज़बान और अदब तीनों से मुताल्लिक अपनी सरगर्मियों के हवाले से अद्भुत प्रयास किये हैं। कॉन्फ्रेंस में अकादमी के अध्यक्ष, उपाध्यक्ष एवं सचिव मौजूद थे। मध्यप्रदेश उर्दू अकादमी की सचिव डॉ. नुसरत मेहदी ने अकादमी की गतिविधियों, कार्यक्रमों और आयोजनों की जानकारी देते हुए कहा कि प्रदेश में उर्दू अकादमी की गतिविधियों को बढ़ाने, भव्यता प्रदान करने एवं नई योजनाएँ लागू करवाने का पूरा श्रेय मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान को जाता है। कॉन्फ्रेंस में राष्ट्रीय उर्दू भाषा विकास परिषद और देश की विभिन्न उर्दू अकादमियों के मध्य बेहतर तालमेल के साथ उर्दू भाषा, साहित्य एवं शिक्षा के क्षेत्र में कारगर कदम उठाने पर बल दिया गया।
आदि शंकराचार्य के एकात्मवाद में है दुनिया की समस्याओं का हल
22 January 2018
मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा है कि आतंकवाद और नक्सलवाद जैसी दुनिया की सारी समस्याओं का हल आदि शंकराचार्य के एकात्मवाद में है। विश्व शांति का मार्ग युद्ध में नहीं है बल्कि आदि शंकर के अद्ववैत दर्शन में है। उन्होंने कहा कि अद्ववैत दर्शन के प्रसार के लिये ओंकारेश्वर में आदि शंकर सांस्कृतिक एकता न्यास स्थापित किया जायेगा। न्यास के माध्यम से नैतिक, सामाजिक, सांस्कृतिक और आध्यात्मिक पुन-र्जागरण का कार्य किया जायेगा। मुख्यमंत्री श्री चौहान आज आदि शंकराचार्य की दीक्षा-स्थली ओंकारेश्वर में एकात्म यात्रा की पूर्णता पर आयोजित एकात्म पर्व को संबोधित कर रहे थे। इस अवसर पर भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष और राज्यसभा सदस्य श्री अमित शाह का वीडियो संदेश दिखाया गया। चार स्थान से शुरू हुई यात्रा यह एकात्म यात्रा सामाजिक समरसता और एकात्मता का संदेश देने के लिये आदि शंकराचार्य से जुड़े चार धार्मिक स्थानों से 19 दिसम्बर को प्रारंभ हुई थी। इन स्थानों में अमरकंटक, उज्जैन, रीवा का पचमठा एवं ओंकारेश्वर शामिल हैं। यात्रा के दौरान जगह-जगह जनसंवाद किये गये। यात्रा को भारी जन-समर्थन मिला। यात्रा की पूर्णता पर ओंकारेश्वर में अद्वैत वेदान्त दर्शन के विश्व स्तर पर प्रसार के लिये आचार्य शंकर संग्रहालय और अंतर्राष्ट्रीय वेदान्त संस्थान तथा ओंकार पर्वत पर आदि शंकराचार्य की 108 फीट ऊँची विशाल धातु प्रतिमा स्थापना के लिये भूमि-पूजन किया गया। इस मौके पर एकात्मता का संकल्प भी लिया गया। सब में है एक ही चेतना - मुख्यमंत्री श्री चौहान मुख्यमंत्री श्री चौहान ने कहा कि शंकराचार्य ने पूरे भारत को सांस्कृतिक एकता के सूत्र में बाँधा तथा समूचे विश्व को एकात्मता का संदेश दिया। केवल मनुष्य ही नहीं अपितु समस्त जड़, चेतन में आत्मिक एकता है। उन्होंने कहा कि ओंकारेश्वर में वेदांत संस्थान बनाया जाएगा जो विश्व को अद्वैत वेदांत दर्शन की जानकारी देगा। ओंकारेश्वर में ब्रह्मा पुरी, विष्णु पुरी एवं शिव पुरी को आकाशीय फुटओवर ब्रिज से जोड़ा जाएगा। आदि शंकर संस्थान में आधुनिक तकनीक से माया और ब्रह्म के शंकर के संदेश को दिखाया जाएगा। साथ ही शंकर के जीवन-दर्शन एवं जीवन चरित को ऑडियो-वीडियो के माध्यम से प्रदर्शित किया जाएगा। मुख्यमंत्री ने घोषणा की कि ओंकारेश्वर में स्थापित किया जा रहा आदि शंकराचार्य सांस्कृतिक एकता न्यास आध्‍यात्मिक, सामाजिक, सांस्कृतिक एवं नैतिक पुनर्जागरण का कार्य करेगा। उन्होंने कहा कि ओंकारेश्वर की यह पवित्र भूमि सांस्कृतिक एवं आत्मिक पुनर्जागरण का केंद्र बनेगी। आदि शंकराचार्य की गुफा का जीर्णोद्धार किया जायेगा, आदि शंकर स्मृति केन्द्र बनाया जायेगा। उन्होंने बताया कि एकात्म यात्रा में 23 हज़ार ग्राम-पंचायतों से 30 हज़ार धातु कलश आए हैं, जो आदि शंकराचार्य की यहाँ स्थापित होने वाली प्रतिमा का आधार बनेंगे। राष्ट्रीय सरकार्यवाह श्री भैयाजी जोशी राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के राष्ट्रीय सरकार्यवाह श्री भैयाजी जोशी ने कहा कि केरल से निकलकर आदि शंकर ने हम सबको यह संदेश दिया कि हम सब एक हैं। आज आदि शंकर से प्रेरणा प्राप्त कर हम यह संदेश सारे विश्व को दें। भारत की शक्ति संरक्षक की है, विध्वंसक की नहीं है। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री श्री चौहान ने एकात्म यात्रा आयोजित कर अद्भुत एवं प्रशंसनीय कार्य किया है। श्री अमित शाह का वीडियो संदेश कार्यक्रम में भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष श्री अमित शाह का वीडियो संदेश दिखाया गया। इसमें उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री श्री चौहान ने नर्मदा यात्रा एवं एकात्म यात्रा के माध्यम से सांस्कृतिक एकता का उत्कृष्ट कार्य किया है। उन्होंने मुख्यमंत्री को हृदय से साधुवाद दिया और कहा कि आदिशंकर के योगदान को ओंकारेश्वर में मूर्त रूप देने का श्री चौहान का यह उत्कृष्ट प्रयास है। यहां पर आदि शंकराचार्य को गुरु मिले, यह स्थान जनता की अपार श्रद्धा एवं आस्था का केंद्र है। पूज्य स्वामी श्री अवधेशानंदगिरि जी महामण्डलेश्वर पूज्य स्वामी श्री अवधेशानंदगिरि ने कहा कि आदि शंकराचार्य के संदेश को प्रसारित करने वाली यह महती यात्रा है। मुख्यमंत्री को बधाई देते हुए उन्होंने कहा कि नर्मदा के तट पर एक और कुंभ का आयोजन हुआ। उन्होंने शुभकामनाएँ देते हुए कहा कि ओंकारेश्वर पाटलीपुत्र और तक्षशिला जैसा विश्व प्रसिद्ध केन्द्र बने। स्वामी सत्यमित्रानंदजी भारत माता मंदिर के स्वामी सत्यमित्रानंदजी ने कहा कि सारे संसार में एक ही तत्व व्याप्त है। आँखें अलग-अलग हैं पर देखने वाला एक है। यह अद्वैतवाद का संदेश है। मुख्यमंत्री ने आदि शंकराचार्य सांस्कृतिक एकता न्यास बनाकर पूरे देश को बाँधने वाली योजना बनाई है, यह अति विशिष्ट एवं दिव्य है। वे इसके लिए बधाई के पात्र है। श्री सत्यमित्रानंदजी ने न्यास के लिए 5 लाख की राशि देने की घोषणा की। सदगुरू श्री जग्गी वासुदेव ईशा फाउण्डेशन के संस्थापक श्री जग्गी वासुदेव ने कहा कि भारत के हृदय प्रदेश मध्यप्रदेश को आध्यात्मिक केन्द्र बनाने का पावन कार्य किया जा रहा है। ओंकारेश्वर में स्थापित किये जाने वाला वेदांत केन्द्र ज्ञान का भंडार होगा। यहाँ से पूरे विश्व को ज्ञान प्राप्त होगा। उन्होंने कहा कि आदि शंकराचार्य आने वाली पीढ़ी को सर्वाधिक प्रभावित करेंगे, क्योंकि उनमें बौद्धिक विलक्षणता एवं तार्किकता थी। उनका ज्ञान बुद्धि की कसौटी पर खरा उतरता है। उन्होंने कहा कि ज्ञान गुरू के चरणों में बैठने से मिलता है। हमारी संस्कृति विनम्रता की है। हमने नदी, पहाड़ एवं प्रकृति के अवयवों से ज्ञान प्राप्त किया। हमें हमारी इसी संस्कृति की पुन-र्स्थापना करनी है। इसी तरह अन्य संत और मनीषियों ने भी अपने विचार व्यक्त किये। भव्य समारोह में पधारे धर्माचार्य और अतिथिगण इस अवसर पर चिन्मय मिशन के प्रमुख पूज्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती ने मुख्यमंत्री द्वारा घोषित न्यास की स्थापना के लिये मिशन की ओर से 25 लाख रुपये की राशि देने की घोषणा की। महामण्डलेश्वर पूज्य स्वामी परमानंद गिरि, पूज्य स्वामी परमात्मानंद सरस्वती, पूज्य स्वामी संवित सोमगिरि और पूज्‍य स्वामी अखिलेश्‍वरानंद, रामकृष्ण मिशन के स्वामी सुप्रतिप्तानंद, चिन्मय मिशन के स्वामी प्रबोधानंद, प्रजापति ब्रह्माकुमारी की अवधेश दीदी, कबीर पंथ के प्रहलाद टिपानिया, आर्ट ऑफ लिविंग के भव्यतेज, प्रसिद्ध चित्रकार वासुदेव कामथ, प्रसिद्ध मूर्तिकार श्री चरणजीत यादव, विष्णु फाउंडेशन चेन्नई के स्वामी हरिप्रसाद, माता अमृतानंदन, स्वामी प्रजनानामृतानंद, श्रंगेरी पीठ से श्री गौरीशंकर, स्वरूपानंद आश्रम केरल के स्वामी शेवर गिरि, धर्माचार्य डॉ डेविड फाईले दिल्ली विभिन्न धर्मों के धर्मगुरू, संत-महात्मा, मनीषी तथा भारतीय जनता पाटी के प्रदेश अध्यक्ष और सांसद श्री नंदकुमार सिंह चौहान, ऊर्जा मंत्री श्री पारसचंद्र जैन, संस्कृति राज्य मंत्री श्री सुरेन्द्र पटवा, मुख्यमंत्री श्री चौहान की धर्मपत्नी श्रीमती साधना सिंह, जन-प्रतिनिधि और देशभर से आये समाजसेवी तथा विभिन्न स्वैच्छिक संगठनों के पदाधिकारी और बड़ी संख्या में आम जनता मौजूद थी। वैदिक मंत्रों एवं शंखनाद से हुआ शुभारम्भ मुख्यमंत्री श्री चौहान ने धर्माचार्यों और अन्य अतिथियों का शॉल-श्रीफल से अभिनंदन किया। पूर्व में श्री चौहान आदि शंकराचार्य की चरण पादुकाएँ और श्रीमती साधना सिंह चौहान द्वादश कलश सिर पर लेकर मंच पर पहुँचे। कार्यक्रम का शुभारंभ स्वस्ति-वाचन और आदि शंकराचार्य के श्लोकों के वाचन से हुआ। कार्यक्रम स्थल पर मुख्य मंच के आसपास चारों मठों और चार वेदों ऋग्वेद, सामवेद, अथर्ववेद एवं यजुर्वेद के दर्शन पर आधारित मंचों का निर्माण किया गया था, जो भारतीय संस्कृति का संदेश दे रहे थे। मंच पर आदि गुरू शंकराचार्य की प्रतिमा की प्रतिकृति का अनावरण भी किया गया। कलाकारों ने दिया सांस्कृतिक एकता का संदेश प्रदेश की जीवन-रेखा नर्मदा नदी के पावन तट पर आयोजित प्राणी मात्र में एकात्मता और सांस्कृतिक एकता का संदेश देते इस कार्यक्रम में मणिपुर और उड़ीसा के कलाकारों द्वारा शंखघोष, पश्चिम बंगाल के कलाकारों द्वारा पुरूलिया छाऊ नृत्य तथा असम के बिहू नृत्य खूबसूरती के साथ प्रस्तुत किये गये। भोपाल के ध्रुवा बैंड द्वारा सांस्कृतिक चेतना और भावनात्मक एकता की मनमोहक प्रस्तुति दी गई। इस दौरान देशभर से आये कलाकारों ने गीत-संगीत एवं नृत्य के माध्यम से सांस्कृतिक एकता के संदेश को रेखांकित किया।
पुरातत्व संग्रहालयों के उन्नयन के लिये 877.51 लाख रूपये स्वीकृत
21 January 2018
संचालनालय पुरातत्व, अभिलेखागार एवं संग्रहालय के अधीन संग्रहालय और स्थानीय संग्रहालयों में उन्नयन और विकास कार्य करवाये जाकर नया स्वरूप दिया गया है। वर्ष 2017-18 में अब तक विदिशा, राजगढ़, मंदसौर, भोपाल, सतना, जबलपुर, शहडोल एवं इंदौर के संग्रहालय में उन्नयन एवं विकास कार्य कराये जा चुके हैं। पुरातत्व आयुक्त श्री अनुपम राजन ने यह जानकारी देते हुए बताया कि भारत सरकार द्वारा केन्द्रीय सहायता के तहत स्थानीय संग्रहालयों के उन्नयन एवं विकास कार्य के लिये 877.51 लाख रूपये की मंजूरी दी गई है। स्वीकृत राशि में से राज्य संग्रहालय भोपाल, गुजरी महल संग्रहालय ग्वालियर एवं नवीन संग्रहालय सिरोंज जिला विदिशा में विकास कार्य कराये जायेंगे। श्री राजन ने पुरातत्व विभाग की वित्तीय वर्ष 2017-18 की उपलब्धियों की जानकारी देते हुए बताया कि रायसेन जिले की ग्राम पंचायत हर्रई के ग्राम ढावला में शिव मंदिर के मलवा सफाई कार्य में 4 मंदिर के अवशेष प्रकाश में आये हैं। ये अवशेष 11वीं-12वीं शती ई. के इस क्षेत्र के परमार कालीन शिल्पकला के प्रमाण दर्शाते हैं। उन्होंने बताया कि वित्तीय वर्ष में अब तक खण्डवा, धार, खरगोन, उज्जैन, बुरहानपुर एवं सीहोर जिले की 12 तहसीलों के 751 ग्रामों का सर्वेक्षण और मुरैना, बैतूल एवं सीहोर जिले की 14 तहसीलों में पूर्ण रूप से सर्वेक्षित कार्य कराये जा चुके हैं। भिण्ड जिले के गोहद किला में करवाये गये अनुरक्षण कार्य के लिये यूनिस्को के बैंकाक स्थित कार्यालय द्वारा 'यूनेस्को एशियन पेसिफिक हैरिटेज अवार्ड-2107' दिये जाने की घोषणा की गई है। उल्लेखनीय है कि विभिन्न देशों के 43 प्रोजेक्टस में से अंतर्राष्ट्रीय संरक्षण विशेषज्ञों की समिति द्वारा भारत के 7 प्रोजेक्ट्स का चयन अवार्ड के किया गया है। इसमें गोहद के किला को यह गौरव हासिल हुआ है।
ओंकारेश्वर में सांस्कृतिक न्यास एवं वेदांत संस्था की स्थापना की जाएगी : मुख्यमंत्री श्री चौहान
18 January 2018
मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान ने आज होशंगाबाद जिले के बाबई में एकात्म यात्रा में आयोजित जनसंवाद कार्यक्रम में कहा है कि दुनिया से आतंकवाद एवं नस्लवाद की समाप्ति आदि गुरू शंकराचार्य के अद्वैत वेदांत दर्शन से ही संभव है। श्री चौहान ने इस मौके पर ओंकारेश्वर में आदि गुरू शंकराचार्य सांस्कृतिक न्यास एवं वेदांत संस्था की स्थापना कराने की घोषणा की। मुख्यमंत्री ने जनसंवाद में कहा कि परमात्मा को प्राप्त करने के तीन रास्ते हैं। पहला ज्ञान, दूसरा भक्ति और तीसरा कर्म। उन्होंने कहा कि अधिकांश व्यक्ति कर्म के मार्ग पर चलते हैं। कर्म वह है जब एक शिक्षक बच्चों को सही तरीके से पढ़ाये, कर्म वह है जब एक डॉक्टर मरीज का उपचार सही तरीके से करे, कर्म वह है जब एक इंजीनियर पुल का निर्माण बेहतर तरीके से करे और कर्म वह है जब जनप्रतिनिधि शुद्ध मन से जनता की सेवा करे। डॉ. श्रीकृष्ण गोपाल ने जनसंवाद कार्यक्रम में कहा कि आदि गुरू शंकराचार्य का जन्म तो केरल में हुआ, लेकिन अध्ययन करने के लिए वे नर्मदा तट के किनारे आए थे। केदार नाथ से केरल तक भारत एक है। इस विश्वास के आधार पर उन्होंने दक्षिण के मठ में उत्तर के एवं उत्तर के मठ में दक्षिण के पुजारियों की नियुक्ति की। डॉ. गोपाल ने कहा कि आदि गुरू का दर्शन आज भी श्रेष्ठ है। उन्होंने कहा कि आदि गुरू ने नर्मदा नदी के तट पर दीक्षा प्राप्त की। इससे मध्य प्रदेश की धरती धन्य हुई। महामण्डलेश्वर अखिलेश्वरानंद ने कहा कि पचमठा से शुरू हुई एकात्म यात्रा के प्रति आम जनता में आदर का भाव है। एकात्म यात्रा में शामिल हुए मुख्यमंत्री मुख्यमंत्री श्री चौहान बाबई में एकात्म यात्रा में शामिल हुए। मुख्यमंत्री आदि गुरू शंकराचार्य की सांकेतिक चरण पादुका को सिर पर रखकर पैदल जनसंवाद स्थल तक पहुंचे। श्री चौहान ने इस अवसर पर स्कूलों में हुई चित्रकला प्रतियोगिता के विजेताओं को प्रशस्ति पत्र देकर सम्मानित किया। जनसंवाद कार्यक्रम में धुव्रा बैण्ड के 9 सदस्यीय दल ने आदि गुरू शंकराचार्य विरजित संस्कृत श्लोकों एवं स्त्रोतों की शानदार प्रस्तुति दी। धुव्रा बैण्ड ने म.प्र. गान की भी संस्कृत में प्रस्तुति दी। उल्लेखनीय है कि धुव्रा बैण्ड विश्व का एक मात्र ऐसा संगीत बैण्ड है जो संस्कृत भाषा में अपनी प्रस्तुति देती है। धुव्रा बैण्ड की इस अनोखी एवं शानदार प्रस्तुति नेसभी लोगों का मन मोह लिया। धुव्रा बैण्ड पचमठा से एकात्म यात्रा में शामिल हुआ है और 22 जनवरी को ओंकारेश्वर में भी प्रस्तुति देगा। एकात्म यात्रा के जनसंवाद कार्यक्रम में जिले के प्रमुख विभागों ने जनकल्याणकारी योजनाओं की प्रदर्शनी भी लगाई। जनसंवाद कार्यक्रम में पहुंचे मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान से होशंगाबाद जिले के अटल बाल पालकों ने भेट की और जिले को कुपोषण मुक्त करने हेतु किए जा रहे प्रयासों एवं अनुभव से मुख्यमंत्री को अवगत कराया। जनसंवाद कार्यक्रम में म.प्र. विधान सभा के अध्यक्ष डॉ. सीताशरण शर्मा, यात्रा के समन्वयक श्री शिव चौबे, सांसद श्री उदय प्रताप सिंह, विधायक श्री सरताज सिंह, श्री विजयपाल सिंह और श्री ठाकुर दास नागवंशी, राज्य अंत्योदय समिति के सदस्य श्री हरिशंकर जयसवाल, नगरपालिका होशंगाबाद के अध्यक्ष श्री अखिलेश खंडेलवाल, आचार्य उमेश, आचार्य बलराम, साध्वी संयम भारती, जनप्रतिनिधिगण, ग्रामीणजन एवं प्रिन्ट एवं इलेक्ट्रॉनिक मीडिया के प्रतिनिधिगण मौजूद थे।
आदि गुरू श्री शंकराचार्य ज्ञान, भक्ति एवं कर्म के त्रिवेणी संगम : मुख्यमंत्री श्री चौहान
18 January 2018
मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान ने शाजापुर में आयोजित जनसंवाद कार्यक्रम में कहा कि एकात्म यात्रा से मध्यप्रदेश की धरती से जगत के कल्याण का मार्ग प्रशस्त हो रहा है। यह यात्रा हर प्रकार के भेदभाव मिटाकर सामाजिक समरसता का भाव जागृत कर रही है। उन्होंने कहा कि आदि गुरू शंकराचार्य का अद्वैत दर्शन ही समाज से भेदभाव मिटा सकता है। समाज को एकजुट कर सामाजिक समरसता का मूलमंत्र देने वाला भी अद्वैत वाद है। मुख्यमंत्री श्री चौहान ने कहा कि आदि गुरू श्री शंकराचार्य ज्ञान, भक्ति एवं कर्म का त्रिवेणी संगम हैं। मुख्यमंत्री ने जनसंवाद में उपस्थित विशाल जनसमुदाय को एकात्मवाद का संकल्प दिलवाया और एकात्म यात्रा पर आधारित चित्रकला एवं अन्य प्रतियोगिताओं के विजेता छात्र-छात्राओं को प्रशस्ति पत्र प्रदान कर सम्मानित किया। इस अवसर पर श्री वी. भागैया ने कहा कि आदि गुरू ने न केवल भारत बल्कि संपूर्ण विश्व को अद्वैत दर्शन दिया है। विश्व-कल्याण, सामाजिक एकता, सामाजिक समरसता के लिए अद्वैत दर्शन एक मात्र उपाय है। संत स्वामी आध्यात्मानंद जी महाराज अहमदाबाद ने आदि गुरू शंकराचार्य के जीवन वृत्त पर विस्तार से प्रकाश डालते हुए कहा कि उन्होंने मध्यप्रदेश के ओंकारेश्वर की धरती को पवित्र किया है। स्वामी श्री संवित सोमगिरी जी महाराज बिकानेर ने कहा कि एकात्म यात्रा से देश और प्रदेश में ऐसा वातावरण निर्मित हुआ है कि संपूर्ण देश अब मध्यप्रदेश की ओर देख रहा है। उन्होंने कहा कि एकात्म यात्रा प्रेम, आनंद, सौहार्द एवं आत्मीयता की यात्रा है। प्रारंभ में मुख्यमंत्री श्री चौहान ने संतगणों का पुष्पहार एवं शाल पहनाकर स्वागत किया। इस मौके पर चैन्नई के समूह द्वारा आदि गुरू शंकराचार्य के जीवन वृत पर आधारित नाटिका का मंचन किया एवं नृत्य नाटिका 'भज गोविन्दम-भज गोविन्दम' प्रस्तुत की। एकात्म यात्रा में शामिल हुए मुख्यमंत्री श्री चौहान मुख्यमंत्री श्री चौहान एकात्म यात्रा में शामिल हुए। मुख्यमंत्री श्री चौहान ने ध्वज हाथ में लेकर और मुख्यमंत्री की धर्मपत्नी श्रीमती साधना सिंह ने सिर पर कलश रखकर नगर भ्रमण किया। यात्रा का नगर के गणमान्य नागरिकों ने पुष्प वर्षा कर स्वागत किया। इस मौके पर प्रभारी मंत्री श्री दीपक जोशी, सिंहस्थ समिति के अध्यक्ष श्री माखन सिंह चौहान, सांसद श्री मनोहर ऊँटवाल, श्री वी. भागैया, ऊर्जा विकास निगम के अध्यक्ष श्री विजेन्द्र सिंह सिसोदिया, पाठ्य पुस्तक निगम के अध्यक्ष श्री रायसिंह सेंधव, खादी ग्रामोद्योग बोर्ड चेयरमेन श्री सुरेश आर्य, यात्रा के प्रदेश सह संयोजक श्री नारायण व्यास, जनअभियान परिषद के प्रदेश उपाध्यक्ष श्री प्रदीप पाण्डेय, विधायकगण, जिला सहकारी केन्द्रीय बैंक अध्यक्ष श्री शिवनारायण पाटीदार, जिला यात्रा प्रभारी श्री गिरीराज भाई मण्डलोई एवं अन्य जनप्रतिनिधि उपस्थित थे। जनसंवाद में स्वामी श्री संवित सोमगिरी जी महाराज बिकानेर, स्वामी भूमानंद जी महाराज जोधपुर, स्वामी नर्मदानंद जी महाराज ओंकारेश्वर, स्वामी आध्यात्मानंद जी महाराज अहमदाबाद एवं संत श्री रघुनाथदास जी, रामदास जी, त्रिलोकदास जी, श्री बालकदास जी, श्री हरिदास जी, श्री गोविन्द दास जी, श्री उमेशनाथ जी, श्री तिलकनाथ भी मौजूद थे
आज से इन्टरनेशनल पाँच दिवसीय स्प्रिचुअल फिल्म फेस्टिबल
18 January 2018
प्रदेश में चल रही एकात्म यात्रा के सांस्कृतिक आयाम के रूप में भोपाल में 5 दिवसीय स्प्रिचुअल फिल्म फेस्टीवल एक साथ तीन सांस्कृतिक स्थल भारत भवन, जनजातीय संग्रहालय एवं राज्य संग्रहालय में आयोजित किया जा रहा है। इसमें विश्व सिनेमा की चुनिंदा आध्यात्म केन्द्रित फिल्में, जिनका सतत रूप से महत्व रहा है, को प्रदर्शित किया जायेगा। प्रमुख सचिव,संस्कृति श्री मनोज श्रीवास्तव ने यह जानकारी देते हुए बताया है कि संस्कृति विभाग द्वारा आईएसएफएफआई कोलकाता के समन्वय से यह आयोजन किया जा रहा है। आदि शंकराचार्य पर केन्द्रित फिल्म के प्रदर्शन से होगा शुभारंभ भोजपुरी साहित्य अकादमी द्वारा समन्वित इस समारोह का शुभारंभ 19 जनवरी को सुबह 11 बजे भारत भवन में प्रख्यात फिल्मकार श्री जी.वी.अय्यर की आदि शंकराचार्य पर केन्द्रित फिल्म के प्रदर्शन से होगा। इसी स्थान पर गौर हरि दास्तान, उप्पिना काकड़ा आदि फिल्म का प्रदर्शन होने के साथ ही ' चेतना जगाता सिनेमा' विषय पर परिचर्चा होगी। राज्य संग्रहालय में इसी दिन दोपहर 2 बजे से फिल्म प्रदर्शन एवं कार्यशाला आयोजित होगी। इसमें फिल्म समीक्षा को लेकर संवाद,मुक्ति भवन, बुद्धा एवं द थिंकिंग बॉडी फिल्मों के प्रदर्शन होंगे। दूसरे दिन भारत भवन में सुबह 10 बजे से कॉफीन मेकर, डॉ. प्रकाश बाबा ऑमटे, रेधा एवं अदामिन्ते माकान अबू फिल्म प्रदर्शन,सिनेमा में आध्यात्म की धूरि, संगीत एवं कला पर चर्चा होगी। जनजातीय संग्रहालय में सुबह 10 बजे से योग कार्यशाला, इन सर्च आफ शंकरा, आउकास्ट दर हाऊस देट केरोल बिल्ट एवं पाथ टू हेप्पीनेस आदि का फिल्म प्रदर्शन होगा। तीसरे दिन 21 जनवरी को भारत भवन में सुबह 11 बजे से यात्रिक, रस-यात्रा, अवेक द लाइफ ऑफ योगानन्द आदि फिल्मों के प्रदर्शन के साथ ही परिचर्चा होगी। इसी दिन सुबह 10 बजे से जनजातीय संग्रहालय में कार्यशाला के अलावा ' बेक्कू द कैट फिल्म का प्रदर्शन होगा। चौथे दिन के समारोह की शुरूआत भारत भवन में सुबह 10 बजे से कठोपनिषद, सौबाला,खोभ आदि फिल्मों के प्रदर्शन के साथ ही कार्यशाला, उद्बोधन एवं संवाद सत्र आयोजित होंगे। इसी दिन जनजातीय संग्रहालय में सुबह 10 बजे से ही फोटोग्राफी कार्यशाला एवं फिल्म बनारस द अनएक्सप्लोर्ड को दिखाया जायेगा। समारोह के आखरी दिन 23 जनवरी को भारत भवन में सुबह 10 बजे से अल्जीरिया ए ह्यूमेनिटेरियन एक्सपीडिशन, स्वामी विवेकानंद, समाधि मया द इल्यूजन एवं धुन में ध्यान फिल्मों का प्रदर्शन होगा। फेस्टिबल का समापन इसी दिन भारत भवन में शाम 6 बजे से होगा। प्रमुख सचिव ने बताया है कि इन्टरनेशनल स्प्रिचुअल फिल्म फेस्टिबल में देश- दुनिया के प्रतिष्ठित फिल्मकलाकार, सिने-विश्लेषकों, मीडिया एवं आलोचकों की भागीदारी हो रही है । । इसमें अनंत नारायण महादेवन, अजीत राय, रत्नोत्तमा सेनगुप्ता, डी.आर.कार्तिकेय, राजीव मेहरोत्रा, सोमा घोष, अखिलेश, मानसी महाजन, बिन्नी सरीन,यू.राधाकृष्णन, टी.एस. नागभरणा एवं चन्द्रशेखर तिवारी विभिन्न संवाद, परिचर्चा सत्रों में विचार प्रसतुत करेंगे। समारोह को फिल्मकार सुश्री सुमना मुखर्जी क्यूरेट करेंगी।
भोपाल में 26 से 30 जनवरी तक लोकरंग राष्ट्रीय समारोह
17 January 2018
संस्कृति विभाग द्वारा प्रति वर्ष गणतंत्र दिवस को लोकपर्व के रूप में राष्ट्रीय समारोह 'लोकरंग'' का प्रतिष्ठापूर्ण आयोजन किया जाता है। तीन दशक की इस कला यात्रा में लोकरंग ने अपनी जनोन्मुखी पहचान और सर्वव्यापी प्रतिष्ठा बनाई है। इस वर्ष भी यह समारोह 26 से 30 जनवरी तक बीएचईएल दशहरा मैदान भोपाल में आयोजित होगा। उल्लेखनीय है कि वर्ष 1986 से प्रारंभ हुए इस आयोजन का यह 33वाँ वर्ष है। प्रमुख सचिव, संस्कृति श्री मनोज श्रीवास्तव ने जानकारी देते हुए बताया है कि परम्परा के बहुवर्णी उत्सव लोकरंग को प्रति वर्ष किसी एक विषय पर एकाग्र आयोजन परिकल्पित किया जाता है। इस वर्ष के समारोह का केन्द्रीय विषय 'कलाओं के नाग'' (सर्प) रखा गया है। समारोह में इस वर्ष सुषिर वाद्यों पर वृहद प्रदर्शनी, चित्र शैलियों में नाग अंकन पर एकाग्र प्रदर्शनी, विश्व के अन्य देशों के हिन्दू मंदिर और स्थापत्य पर एकाग्र प्रदर्शनी, शक्ति के 108 स्वरूपों की पहली चित्र प्रदर्शनी का संयोजन किया जायेगा। लोकरंग के इस भव्य आयोजन में समवेत नृत्य-नाट्य प्रस्तुति 'पिथौरा एक अनोखी भीली जलकथा', जनजातीय और लोक के प्रदर्शनकारी नृत्य रूपों का प्रदर्शन, शिल्प मेला, बच्चों के लिये गतिविधियाँ, व्यंजन मेला मुख्य आकर्षण होंगे। लोकरंग के अंतिम दिन राष्ट्रपिता महात्मा गाँधी की पुण्य-तिथि के अवसर पर भक्ति संगीत संध्या भी होगी।
आदि गुरू शंकराचार्य के प्रयासों से भारतीय संस्कृति आज भी अक्षुण्ण है
11 January 2018
देश में एक नहीं अनेक मत-मतान्तर दिखाई देते हैं। ऐसे में आदि गुरू शंकराचार्य द्वारा बताए गए अद्वैतवाद दर्शन में विश्व की समस्याओं का समाधन निहित है। मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान ने यह बात आज विदिशा में एकात्म यात्रा में जन-संवाद को सम्बोधित करते हुए कही। उन्होंने कहा कि विश्व में आंतकवाद जैसी प्रवृत्तियों को समाप्त करने और शांति स्थापित करने की दिशा में शंकराचार्य का एकात्म दर्शन सही दिशा दे सकता है। मुख्यमंत्री श्री चौहान ने कहा कि शंकराचार्य द्वारा समाज सुधार के लिए दो हजार वर्ष पूर्व किये गये प्रयास अकल्पनीय हैं। उन्होंने देश को पूर्व-पश्चिम, उत्तर-दक्षिण से जोड़ने का जो कार्य किया, वह अद्वितीय है। आज भी उत्तराखण्ड में स्थित बद्रीनाथ मंदिर में दक्षिण भारत के नम्बूदिरी ब्राह्मण पुजारी हैं। यह देश को एक करने के लिए शंकराचार्य द्वारा देश की संस्कृति को जोड़ने का अभूतपूर्व प्रयास है। उन्होंने देश को ''जियो और जीने दो'' का दर्शन दिया। मुख्यमंत्री ने कहा कि ''वसुधैव कुटुम्बकम'' के माध्यम से सारी दुनिया को एक ही परिवार मानना और सभी प्राणियों को एक समान दर्जा देना शंकराचार्य की विशेषता थी। उन्होंने विश्व के कल्याण का आव्हान किया और कहा कि सभी में एक ही चेतना है। छोटे-बड़े के बीच कोई भेद नहीं है। शंकराचार्य के प्रयासों से भारतीय संस्कृति आज भी अक्षुण्ण है। हमें इस संस्कृति का संवर्धन कर इसकी रक्षा करनी चाहिए। शंकराचार्य भगवान शंकर के अवतार थे, जिन्होंने मात्र 32 वर्ष की आयु में संसार त्याग दिया। मुख्यमंत्री श्री चौहान ने इस अवसर पर संकल्प लिया कि वे सभी त्यौहार समाज के सभी वर्गो के साथ मनाकर एकात्म यात्रा के मूल स्वरूप को सार्थक करेंगे। जीव, जगत और जगदीश मूलभूत एकात्म भाव को आत्मसात कर स्वयं को और समाज को उन्नत करने का कार्य करेंगे। सरसंघ संचालक श्री मोहन भागवत ने कहा कि हमारे देश के सभी पंथ-संप्रदाय एकता और भाईचारे का संदेश देते हैं। हम प्रवचनों के माध्यम से दी गई सीख को अपने आचरण में उतारें। ऊँच-नीच से परे रहकर समाज के हर वर्ग के कल्याण के लिए काम करें। ऐसा करने से ही शंकराचार्य के वेदांत दर्शन को हम आत्मसात कर सकते हैं। उन्होंने कहा कि अद्वैत वेदांत की भावना को मिलकर आगे बढ़ाएं। अद्वैत वेदांत ही सम्पूर्ण विश्व को मैत्री का संदेश देता है। स्वामी अखिलेश्वरानंद ने कहा कि यात्रा के दौरान सामाजिक समरसता का अभूतपूर्व स्वरूप देखने को मिला। स्वामी अखिलेश्वरानंद ने प्रदेश सरकार द्वारा नर्मदा के प्रवाह को अविरल रखने के प्रयास की सराहना करते हुए कहा कि नदियों को ''सदा नीरा'' रखने के लिए समुचित प्रयास जरूरी हैं। इसके पूर्व सरसंघ चालक श्री मोहन भागवत, मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान, उद्यानिकी राज्यमंत्री श्री सूर्यप्रकाश मीणा तथा साधु-संतों ने प्रतीक स्वरूप लाई गई शंकराचार्य की चरण पादुका का पूजन किया। कार्यक्रम में विदिशा जनपद पंचायत की सभी ग्राम पंचायतों और नगरपालिका के सभी वार्डों से एकात्म यात्रा के लिए धातु कलश एकत्र कर जन-संवाद कार्यक्रम स्थल पर लाए गए, यहाँ कलशों का पूजन किया गया। धु्रवा बैंड द्वारा संस्कृत भाषा में अपनी आकर्षक प्रस्तुतियां दी गई। पुलिस परेड ग्राउण्ड में हुए कार्यक्रम में विधायक द्वय श्री कल्याण सिंह ठाकुर, श्री वीर सिंह पवार, जिला पंचायत अध्यक्ष श्री तोरण सिंह दांगी, एकात्म यात्रा के जिला समन्वयक श्री श्यामसुन्दर शर्मा, नगरपालिका अध्यक्ष श्री मुकेश टण्डन समेत अन्य जन-प्रतिनिधि तथा प्रशासनिक अधिकारी, सामाजिक संगठनों के प्रतिनिधि तथा यात्रा में शामिल हुए सहभागी तथा बड़ी संख्या में आमजन उपस्थित थे।
एकात्म यात्रा को अदभुत जनसमर्थन : मुख्यमंत्री श्री चौहान
11 January 2018
एकात्म यात्रा आगामी 22 जनवरी को ओंकारेश्वर पहुँचेगी। यात्रा के समापन कार्यक्रम में आदि गुरू शंकराचार्य की भव्य प्रतिमा, शंकर संग्रहालय और वेदांत संस्थान स्थल का भूमि पूजन किया जायेगा। मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान ने आज यहाँ एकात्म यात्रा के संबंध में समीक्षा बैठक ली। मुख्यमंत्री श्री चौहान ने बैठक में कहा कि एकात्म यात्रा को अदभुत जनसमर्थन मिल रहा है। इसमें समाज के हर वर्ग के लोग शामिल हो रहे हैं। अद्वैत दर्शन में वर्तमान की सभी समस्याओं का समाधान है। यात्रा के समापन के अवसर पर आयोजित भव्य और गरिमामय समारोह के माध्यम से दुनिया को अद्वैत दर्शन का संदेश दिया जायेगा। इस विचार के प्रसार के लिये सांस्‍कृतिक एकता न्यास की स्थापना की जायेगी। समापन समारोह में धार्मिक और आध्यात्मिक धर्मगुरू उनके अनुयायी और बुद्धिजीवी वर्ग के प्रतिनिधि शामिल होंगे। आदि शंकराचार्य की भव्य प्रतिमा ओंकार पर्वत पर स्थापित की जायेगी। यात्रा में शामिल हुए 17 लाख से ज्यादा लोग बैठक में बताया गया कि मुख्य समारोह बड़वाह-ओंकारेश्वर मार्ग पर ग्राम थापना में आयोजित होगा। इसके लिये 800 से ज्यादा विषय-विशेषज्ञों और धर्माचार्यों को आमंत्रित किया जा रहा है। गत 19 दिसम्बर से प्रारंभ हुई यह यात्रा अब तक दो हजार 231 ग्रामों और शहरों से गुजरी है तथा यात्रा के दौरान 6 हजार 624 किलो मीटर दूरी तय की गई है। यात्रा के दौरान 17 लाख से अधिक लोग शामिल हुये हैं तथा 20 हजार 519 धातु पात्र अब तक संकलित किये गये हैं। चार यात्राएं ओंकारेश्वर, उज्जैन, पचमठा और अमरकंटक से निकली है। इसके अलावा एक यात्रा केरल के कालड़ी से शुरू हुई है जो पूरे देश में घूम रही है। यह पाँचों यात्राएं ओंकारेश्वर पहुँचेगी। कार्यक्रम स्थल का आकल्पन आदि गुरू शंकराचार्य के जीवन की प्रमुख घटनाओं के चित्र तैयार कर किया जायेगा। बैठक में जनअभियान परिषद के उपाध्यक्ष श्री प्रदीप पांडेय, मुख्यमंत्री के प्रमुख सचिव श्री अशोक वर्णवाल, प्रमुख सचिव मुख्यमंत्री श्री एस.के. मिश्रा, प्रमुख सचिव संस्कृति श्री मनोज श्रीवास्तव, मुख्यमंत्री के प्रमुख सचिव श्री विवेक अग्रवाल, मुख्यमंत्री के प्रमुख सचिव श्री हरिरंजन राव, आयुक्त जनसंपर्क श्री पी. नरहरि, कमिश्नर एवं आई.जी. इंदौर, कलेक्टर और एस.पी. खण्डवा सहित संबंधित विभागों के अधिकारी उपस्थित थे।
वेदान्त दर्शन परमात्मा के दर्शन का सशक्त मार्ग: मंत्री श्री पवैया
11 January 2018
उच्च शिक्षा मंत्री श्री जयभान सिंह पवैया ने कहा है कि वेदान्त दर्शन जड़, चेतन और प्राणी मात्र में परमात्मा के दर्शन का सशक्त मार्ग है। साधु-संत चलते-फिरते तीर्थ हैं, उनके एक ही मंच पर दर्शन का सौभाग्य मिलना गौरवपूर्ण क्षण का एहसास कराता है। श्री पवैया महर्षि आश्रम में आयोजित महर्षि महेश योगी जन्म शताब्दी वर्ष पूर्णता समारोह को संबोधित कर रहे थे। मंत्री श्री पवैया ने विद्यार्थियों और युवाओं का आव्हान किया कि शिक्षा के भौतिक ज्ञान के साथ-साथ विद्यावान बनकर राष्ट्र की सेवा में सक्रिय भागीदारी निभायें। उन्होंने महर्षि योगी द्वारा प्रतिपादित उच्च आदर्शों और ज्ञान की परम्पराओं को आत्मसात करने की जरूरत बताई। संस्कृति राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) श्री सुरेन्द्र पटवा ने कहा कि मानव जन्म की सार्थकता तभी होगी, जब हम अपनी संस्कृति, परम्पराओं और रीति-रिवाजों को कायम रखते हुए सकारात्मक वातावरण निर्मित कर अपने जीवन का आनंद ले सकें। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार विकास कार्य के साथ-साथ संस्कृति के संरक्षण एवं संवर्धन के लिए प्रतिबद्ध है। सांसद श्री आलोक संजर ने कहा कि जीवन के आनंद को खोजने के लिए व्यक्ति इधर-उधर भटकता है जबकि आनंद हमारे बीच में ही विद्यमान है, उसकी अनुभूति की आवश्यकता है। मंत्री द्वय एवं सांसद की मौजूदगी में महर्षि महेश योगी जन्म शताब्दी में हुए पिछले वर्ष 102 कान्फ्रेंस की रिपोर्ट पर आधारित चित्रमय दर्शन पुस्तक, बाल एवं सीट कलेण्डर का विमोचन किया गया। मंत्री द्वय ने पूज्य पाद स्वामी वसुदेवानंद सरस्वती जी महाराज, अयोध्या एवं अन्य धार्मिक स्थलों से आए साधु-संतों से आशीर्वाद प्राप्त किया। समारोह के सूत्रधार ब्रम्हृचारी डॉ. गिरीश ने जन्म शताब्दी समारोह की उपयोगिता रेखांकित करते हुए बताया कि महर्षि के ब्रम्हृ वाक्य, 'जीवन आनंद है' के फलितार्थ करने के लिए 11 से 13 जनवरी तक आशीर्वाद दिवस के रूप में मनाया जा रहा है। इसमें देश-विदेश से साधु-संत, विद्वान एवं विद्यार्थी शामिल होंगे।
मुरैना में स्वामी विवेकानन्द स्मृति समारोह 11-12 जनवरी को
9 January 2018
मध्यप्रदेश साहित्य अकादमी द्वारा स्वामी विवेकानन्द समारोह 11-12 जनवरी को मुरैना में आयोजित किया जायेगा। पहले दिन दोपहर में निबंध, लेखन प्रतियोगिता होगी। इसमें विद्यालय और महाविद्यालय के छात्र-छात्राएं भाग लेंगी। दूसरे दिन 'वर्तमान परिदृश्य में स्वामी विवेकानन्द के विचारों की प्रासांगिता' विषय पर व्याख्यान होगें। डॉ. लखनलाल खरे (करैरा) एवं डॉ. राम कुमार सिंह (मुरैना) के वक्तव्य होगे। कार्यक्रम की अध्यक्ष्ता डॉ. भागीरथ कुमरावत करेंगे। तृतीय और अंतिम सत्र में सरस्वती विद्या मंदिर में रात्रि 6 बजे रचनापाठ होगा। इसमें स्थानीय साहित्यकार श्री राम प्रबल श्रीवास्तव, श्री सीताराम बघेल, श्री मुन्नालाल 'मृदुल' श्री वासुदेव 'व्यग्र', श्री रवि तोमर एवं श्रीमती संध्या सुरभि अपना पाठ करेंगे। श्री प्रमोद प्रयासी कार्यक्रम का संचालन करेंगे।
पुरातत्व आयुक्त श्री राजन ने किया शिवलिंगम प्रदर्शनी का शुभारंभ
9 January 2018
पुरातत्व आयुक्त श्री अनुपम राजन ने राज्य संग्रहालय, श्यामला हिल्स, भोपाल में 'शिवलिंगम' छायाचित्र प्रदर्शनी का शुभारंभ किया। आठ दिवसीय यह प्रदर्शनी 6 जनवरी तक लगेगी। आम जन सुबह 10.30 बजे से 5.30 बजे शाम तक अवलोकन कर सकते हैं। 'शिवलिंगम' छायाचित्र प्रदर्शनी आकर्षण शिवलिंग शिव का प्रतीक है, जो उनके निश्छल ज्ञान और तेज को प्रतिबिम्बित करता है। शिव का अर्थ है 'कल्याणकारी, लिंग का अर्थ है- 'सृजन'। सृजनहार के रूप में और उत्पादकता शक्ति के रूप में लिंग की पूजा होती है। स्कंध पुराण में लिंग का आशय 'लय' (प्रलय) बताया गया है। प्रलय के समय अग्नि में सब भस्म होकर शिवलिंग में समा जाता है और सृष्टि के आदि में लिंग से सब प्रकट होता है। लिंग मानव सभ्यता के प्राचीन धार्मिक प्रतीक में से एक है। शिवलिंग की महत्ता, उसकी रचना, दुर्लभता के साथ स्थापित स्थल पर भी निर्भर करती है। शिवलिंगों के कई रूपों का निर्माण विभिन्न कालक्रमों में किया गया है। प्राकृतिक रूप से नदी के बहाव के साथ अद्भुत शिवलिंगों का निर्माण होता है। सिंधु घाटी की सभ्यता से लेकर इतिहास में सामान्य शिवलिंग, एकमुखी शिवलिंग, चतुर्मुखी शिवलिंग, पंचमुखी शिवलिंग और अष्टमुखी आदि शिवलिंग निर्मित हुए हैं। लिंगाकृति में कभी-ब्रह्मा, विष्णु, महेश, सूर्य तो कभी पार्वती, गणेश या नन्दी आदि की प्रतिमाओं की रचना की गई है। इन्हीं सभी प्रतिमाओं को लेकर शिवलिंग, मुखलिंग एवं लिंगोद्भव प्रतिमाओं पर केन्द्रित तकरीबन 70 छायाचित्रों की प्रदर्शनी राज्य संग्रहालय श्यामला हिल्स भोपाल के प्रदर्शनी कक्ष में लगाई गई है। उल्लेखनीय है कि सानफ्रांसिस्को के संग्रहालय की 4-5वीं शती ई. की शिव की जटाधारी प्रतिमा, इसी काल का विदिशा में उदयगिरि का मनोहारी एक मुखलिंग, 5वीं से 6वीं शती ई. की मध्यप्रदेश की ही एकमुखी शिवलिंग प्रतिमाएँ इस प्रदर्शनी में देखी जा सकती है, जो खोह, भूमरा, नचना आदि स्थलों से प्राप्त हैं। इसी तरह उत्तरप्रदेश के मथुरा की अद्भुत मुखलिंगी प्रतिमाएँ भी प्रदर्शनी का आकर्षण हैं।
एकात्म यात्रा की पूर्व संध्या पर 1.21 लाख दीप जलाकर कर रचा इतिहास
8 January 2018
रतलाम में जन-अभियान परिषद की नगर विकास प्रस्फुटन समिति ने एकात्म यात्रा की पूर्व संध्या पर आदिगुरू शंकराचार्य के अद्वैत दर्शन को जन-जन तक पहुँचाने के लिये झाली तालाब में 1 लाख 21 हजार दीप एक साथ प्रज्ज्‍वलित किये। दीप यज्ञ में सभी जाति, धर्म और वर्ग के लोगों ने दीप प्रज्ज्वलन कर भारतीय संस्कृति की अनेकता में एकता की पहचान का परिचय दिया। प्रस्फुटन समिति ने रतलाम जिले के प्रमुख स्वयंसेवी, धार्मिक एवं सामाजिक संगठनों के साथ शहर के युवा वर्ग और महिलाओं को पंजीयन के माध्यम से इस मुहीम से जोड़ा था। इसके लिये 15 दिनों से तैयारी चल रही थी। गायत्री परिवार द्वारा एकात्म से सामाजिक समरसता और सद्भाव को पोषित करने के लिये वैदिक रीति से दीप यज्ञ का आयोजन किया गया। लोगों ने 36 स्थानों पर दीप दान किया। इस अवसर पर आदि गुरू शंकराचार्य द्वारा रचित नर्मदाष्टक गान के साथ 108 दीप माला से माँ भारती की आरती की गई। रतलाम के लोगों ने तन-मन-धन से योगदान देकर दीपक को एकात्मता का प्रतीक मानकर दीप दान को अनूठा बनाया।
उज्जैन में आज से तीन दिवसीय शैव महोत्सव
4 January 2018
महाकाल की पवित्र नगरी उज्जैन में शुक्रवार 5 जनवरी से तीन दिवसीय द्वादश ज्योतिर्लिंग सम्मेलन 'शैव महोत्सव'' का आयोजन किया जा रहा है। यह महोत्सव भारत सरकार एवं मध्यप्रदेश के संस्कृति विभाग द्वारा श्री महाकालेश्वर मंदिर प्रबंध समिति के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित किया जा रहा है। महोत्सव में सभी मंदिरों के अधिदैविक, अधिभौतिक एवं आध्यात्मिक महात्म्य, पूजन एवं परम्पराओं पर चर्चा की जायेगी। इस दौरान विभिन्न सत्रों में कर्मकाण्ड, वेद-वेदांग, सामाजिक समरसता आदि विषयों पर संगोष्ठी आयोजित कर मंथन किया जायेगा। महोत्सव में श्री महाकालेश्वर मंदिर प्रबंध समिति द्वारा 'श्री महाकालेश्वर वेद अलंकरण'' सम्मान भी दिया जायेगा। आयोजन का उद्देश्य शैव महोत्सव के आयोजन का उद्देश्य विश्व-स्तर पर द्ववादश ज्योतिर्लिंग के महात्म्य को प्रसारित करना है। हिन्दू धर्म-संस्कृति एवं दर्शन पर गहन विचार-मंथन एवं चिन्तन कर उन्हें समसामयिक संदर्भ में प्रतिपादित करना, हिन्दू धर्म संस्थानों की गरिमा के अनुरूप वेदोक्त पूजा पद्धति की साम्य के साथ निरूपित करना, वेदोक्त एवं पुराणिक संदर्भों के अनुरूप आधुनिक प्रबंधन तकनीक एवं संसाधनों का प्रयोग करते हुए पर्यावरण एवं पारिस्थितिकी के अनुकूल उत्कृष्ट व्यवस्था का निर्माण करना एवं इसके लिये द्वादश ज्योतिर्लिंगों के व्यवस्था प्रबंधन एवं समन्वयन करना, सामाजिक लोक उत्तरदायित्व के कार्यों का विस्तार किये जाने पर विचार एवं इसके माध्यम से सामाजिक समरसता के स्थापन का कार्य करना शामिल है। राष्ट्रोत्थान के लिये द्वादश ज्योतिर्लिंग संस्थानों की प्रतिभागिता एवं समन्वय, शैव एवं वैष्णव देवस्थान जो कि आदिकाल से राष्ट्रीय चेतना के केन्द्र रहे हैं, के गौरव की पुनर्स्थापना तथा आध्यात्मिक मनोभाव के साथ धार्मिक पर्यटन को बढ़ावा देना इस महोत्सव का मुख्य उद्देश्य है। शैव महोत्सव में प्रबोधन के विषय शैव महोत्सव में भगवान के निराकार स्वरूप का विवेचन और विभिन्न शैव दर्शनों का प्रतिपादन होगा। साथ ही आगम/तंत्र ग्रंथ, पुराण, स्मृति वेदांत में भगवान के साकार स्वरूप का विवेचन किया जायेगा। मंदिरों की व्यवस्था एवं प्रबंधन पर पौराणिक सन्दर्भों को दृष्टिगत रखते हुए आधुनिक प्रबंधन पद्धति एवं संस्थान का प्रयोग करते हुए उत्कृष्ट व्यवस्था का निर्माण किया जायेगा। सामाजिक एवं शैक्षिक प्रकल्पों के माध्यम से सामाजिक समरसता की चेतना का प्रसार कैसे किया जाये, इस विषय पर चर्चा की जायेगी। गौ-सेवा, शिक्षा, जैविक कृषि, शून्य बजट कृषि एवं भारतीय चिकित्सा पद्धति पर चिन्तन भी किया जायेगा। शोभायात्रा का मार्ग शैव महोत्सव के दौरान 5 जनवरी को शाम 4 बजे भव्य शोभायात्रा श्री महाकालेश्वर मंदिर से निकलेगी। शोभायात्रा का मार्ग महाकाल मंदिर से कोट मोहल्ला चौराहा, गुदरी चौराहा, रामानुजकोट, कार्तिक चौक, दानीगेट, ढाबा रोड, कंठाल चौराहा, सतीगेट, छत्रीचौक, गोपाल मंदिर, पटनी बाजार होते हुए वापस महाकाल मंदिर पर सम्पन्न होगी। शैव कला संगम एवं प्रदर्शनी शैव महोत्सव के अंतर्गत 5, 6 एवं 7 जनवरी को बारह ज्योतिर्लिंगों की प्रतिकृति, भगवान शिव के विभिन्न स्वरूपों के चित्रों तथा सभी वेदों के वैज्ञानिक पक्ष पर आधारित चित्र एवं शैवदर्शन पर प्रदर्शनी का भी आयोजन किया गया है। इसमें चित्रकारों को आमंत्रित कर उनके चित्रांकनों का भी प्रदर्शन किया जायेगा। यह प्रदर्शनी स्वामी सन्तदास उदासीन आश्रम नृसिंह घाट रोड पर आयोजित की गई है। कार्यक्रम की रूपरेखा शैव महोत्सव-2018 के अंतर्गत प्रथम दिवस 5 जनवरी को आयोजन स्थल सन्तदास उदासीन आश्रम नृसिंह घाट पर प्रात: 8 से 9 बजे तक पंजीयन के उपरान्त प्रात: 9.30 से 11.30 तक उद्घाटन सत्र होगा, 11.45 से 1.30 तक उद्बोधन सत्र होगा तथा दोपहर 1.30 से 3 बजे तक महाप्रसादी के पश्चात सायं 4 बजे से शोभायात्रा श्री महाकालेश्वर मंदिर से प्रारंभ होगी। शैव महोत्सव के द्वितीय दिवस 6 जनवरी को प्रात: 9.30 से 11 बजे तक उद्बोधन सत्र होगा, 11.15 से एक बजे तक द्वितीय उद्बोधन सत्र होगा। एक बजे से 2.30 तक महाप्रसादी के पश्चात दोपहर 3 बजे से 4.30 बजे तक तृतीय उद्बोधन सत्र होगा। चतुर्थ उद्बोधन सत्र का समय सायं 4.45 से 6.30 तक रहेगा। सायं 6.30 बजे से 9 बजे तक सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित होंगे। सभी उद्बोधन सत्र सभी चार व्यासपीठों पर समानान्तर रूप से आयोजित होंगे। शैव महोत्सव के तृतीय एवं अंतिम दिवस पर प्रात: 9 बजे से 10 बजे तक स्वामी सन्तदास उदासीन आश्रम नृसिंह घाट पर आयोजित कार्यक्रम में अनुभव कथन होंगे। समापन सत्र प्रात: 10.30 से प्रारंभ होगा, जो कि महाप्रसादी भोजन के साथ सम्पन्न होगा।
एकात्म यात्रा का 9 जनवरी को विदिशा में प्रवेश
29 December 2017
एकात्म यात्रा 9 जनवरी को विदिशा जिले में प्रवेश करेगी और 11 जनवरी को विदिशा जिला मुख्यालय पर जनसंवाद के उपरांत भोपाल के लिए रवाना होगी। एकात्म यात्रा के भव्य आयोजन और व्यापक प्रचार-प्रसार के लिये कल एसएटीआई के कैलाश सत्यार्थी सभागृह में बैठक आहूत की गई। बैठक में एकात्म यात्रा के रूटचार्ट की विस्तृत जानकारी दी गई। व्यापक प्रचार-प्रसार हेतु ग्रामों की दीवारों पर लेखन कार्य, मुख्य जनसंवाद स्थलों पर की जाने वाली व्यवस्थाओं से अवगत कराया गया। नगरपालिका अध्यक्ष श्री मुकेश टण्डन ने कहा कि निकाय क्षेत्रों के सभी वार्डो से एक-एक कलश पवित्र मिट्टी जन-संवाद स्थलों पर संग्रहित की जाएगी। निकाय क्षेत्र में यात्रा के भव्य स्वागत के लिये लोगों का आव्हान किया गया है। कलेक्टर श्री अनिल सुचारी ने एकात्म यात्रा के रूटचार्ट के संबंध में जानकारी देते हुए बताया कि नौ जनवरी की सुबह सांची से एकात्म यात्रा विदिशा जिले में प्रवेश करेगी। नगर के विभिन्न संगठनों, सामाजिक संस्थाओं के साथ-साथ धार्मिक संगठनों के प्रतिनिधि यात्रा में शामिल होंगे। इस दौरान विदिशा, गुलाबगंज मैरिज गार्डन, बासौदा नौलखी मंदिर, सिरोंज श्री कृष्ण गौशाला, लटेरी थाना परिसर में जन-संवाद होंगे। विदिशा में 11 जनवरी को मुख्य संवाद कार्यक्रम होगा। इस कार्यक्रम में मुख्यमंत्री एवं राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक शामिल होंगे। बैठक में विदिशा जिला व्यापार महासंघ के अध्यक्ष श्री मुन्ना भैया जैन, श्री संदीप डोंगर सिंह समेत अन्य जनप्रतिनिधि, गणमान्य नागरिक एवं यात्रा हेतु नियुक्त ग्राम समन्वयक तथा विभिन्न विभागों के अधिकारी, कर्मचारी मौजूद थे।
संतों के दिखाए सन्मार्ग से ही कल्याण होगा : मुख्यमंत्री श्री चौहान
27 December 2017
मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान ने आज ओरछा में श्री रामराजा मंदिर में दर्शन किये। श्री चौहान ने ओरछा में श्री मुरारी बापू की रामकथा भी सुनी तथा संतों का आशीर्वाद लिया। मुख्यमंत्री ने कहा कि बापूजी स्वयं भक्ति, ज्ञान और कर्म योग के संत शिरोमणि हैं। उन्होंने कहा कि जब हर क्षेत्र में लोग अपने दायित्वों का ईमानदारी और निष्ठा से निर्वहन करेंगे, तभी देश और समाज की प्रगति होगी तथा सबका विकास होगा। श्री चौहान ने कहा िक संतों के दिखाये सन्मार्ग पर चलने से ही सभी का कल्याण होगा। इस अवसर पर प्रभारी मंत्री श्री रूस्तम सिंह, विधायक श्री अनिल जैन, श्रीमती अनीता नायक, श्री के.के. श्रीवास्तव, ओरछा विकास प्राधिकरण के अध्यक्ष श्री सुरेन्द्र सिंह राठौर और अन्य जन-प्रतिनिधि मौजूद रहे।
पांच जनवरी 2018 से उज्जैन में तीन दिवसीय भव्य शैव महोत्सव
23 December 2017
महाकाल की नगरी उज्जैन में पांच से सात जनवरी 2018 तक तीन दिवसीय शैव महोत्सव का आयोजन किया जाएगा। इसमें प्रतीक रूप में सभी बारह ज्योतिर्लिंगों का समागम होगा। शैव दर्शन एवं परंपरा से जुडे संत-महात्मा बड़ी संख्या में शामिल होंगे। पांच जनवरी को भव्य शोभा यात्रा के साथ इसका शुभारंभ होगा। सभी द्वादश ज्योतिर्लिंगों की प्रतिकृतियां शोभा यात्रा का मुख्य आकर्षण होंगी। मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान ने आज यहां निवास पर शैव महोत्सव की तैयारियों की समीक्षा करते हुए कहा कि इसे भव्य आध्यात्मिक समागम बनाने में किसी प्रकार की कमी नहीं होगी। सभी संतों को आदरपूर्वक आमंत्रित किया जायेगा। उन्होने आम श्रद्धालुओं के अलावा विदयार्थियों को भी इस महोत्सव से जोड़ने के निर्देश दिये। शैव महोत्सव 2018 के माध्यम से हिन्दू धर्म, संस्कृति एवं दर्शन पर गहन विचार-मंथन कर वर्तमान संदर्भों में इसके महत्व को प्रसारित किया जायेगा। इस दौरान विभिन्न सत्रों में आध्‍यात्मिक विषयों पर वेदाचार्यों द्वारा चिंतन होगा। इस तीन दिवसीय शैव महोत्सव में शोभायात्रा, शैव कला संगम एवं प्रदर्शनी, वेद अलंकरण, डाक टिकट विमोचन मुख्य आकर्षण होंगे। शैव महोत्सव केन्द्रीय आयोजन समिति उज्जैन द्वारा पूरी तैयारियां की जा रही है। समिति के संरक्षक मुख्यमंत्री श्री चौहान एवं अध्यक्ष श्री माखन सिंह चौहान और उपाध्यक्ष श्री दिनेश चन्द्र हैं। बैठक में श्री माखन सिंह चौहान, प्रमुख सचिव मुख्यमंत्री श्री अशोक बर्णवाल, उज्जैन आयुक्त श्री एम.बी.ओझा, कलेक्टर श्री संकेत भेंडवे महाकाल मंदिर प्रबंध समिति के प्रतिनिधि उपस्थित थे।

aaप्रसिद्ध पयर्टन स्थल "कुकुरू" में तीन दिवसीय फेस्टीवल 26 दिसम्बर से होगा शुरू


22 December 2017

बैतूल जिले में सतपुड़ा की हसीन वादियों के बीच बसे प्रसिद्ध पयर्टन स्थल 'कुकुरू' में 26 से 28 दिसम्बर तक सैलानियों के लिए ईको टूरिज्म, एडवेंचर स्पोर्ट्स के फेस्टीवल का भव्य आयोजन किया जायेगा। इसके समीप स्थित कुर्सी जलाशय में जारबिंग बाल बनाना राइड मोटरवोट एंव टेंट कैंपिग जैसी गतिविधियाँ आकर्षण का मुख्य केन्द्र रहेंगी। ज्ञातव्य है कि कुकुरू के बिट्रिश कालीन काफी बागान वेलीआफ फ्लॉवर्स, हिल्स व्यू, सिपना उदगम स्थल बुच प्वाइंट, भौडिया कुण्ड का सनसेट, देड़पानी की पवन चक्की एवं लोकलदरी का आकर्षण पर्यटन सैलानियों के लिए मौजूद रहेगा।
तीन दिन के कार्यक्रम
पहले दिन फेस्टीवल के शुभारंभ पश्चात दोपहर 3 बजे से रस्साकशी, मार्शल आर्ट प्रदर्शन तथा शाम 7 बजे सांस्कृतिक कार्यक्रम होंगे। इसके समानांतर पूरे दिन वोटिंग, मोटर बोट (कुर्सी जलाशय), पैराग्लाइडिंग, पैरासेंलिंग, साइकिलिंग, रॉक क्लाइंबिंग, वेली क्रॉसिंग, टेंट केपिंग, हॉट एअर बैलून, ट्रेडिंग, जारबिन बाल, बनाना राइड जैसी एडवेंचर्स गतिविधियां होंगी। दूसरे दिन 27 दिसम्बर को सुबह 10.30 बजे से सायं 5 बजे तक स्कूली बच्चों की क्विज प्रतियोगिता, नृत्य, रंगोली एवं पेटिंग प्रतियोगिता के साथ ही समानांतर पूरे दिन एडवेंचर्स गतिविधियाँ होंगी। फेस्टीवल के अंतिम दिन सुबह 10.30 बजे से दोपहर 1 बजे तक स्कूली बच्चों द्वारा कुर्सी दौड़, चम्मच दौड़ और अंताक्षरी कार्यक्रम किए जायेंगे। दोपहर 3 बजे पर्यटन स्थल कुकुरू के मुख्य स्थलों को भ्रमण और शाम को सांस्कृतिक कार्यक्रम होंगे। इस दिन भी समानांतर एडवेंचर्स गतिविधियां होंगी।
पर्यटकों को बस सुविधा
फेस्टीवल में पर्यटकों और दर्शकों के लिए जिला प्रशासन द्वारा सशुल्क बस सुविधा उपलब्ध कराई जायेगी। स्थानीय बस स्टेण्ड एवं रेलवे स्टेशन से प्रात: 7 बजे एवं 9 बजे बस सुविधा उपलब्ध होगी। इसके अलावा पर्यटकों को सशुल्क ठहरने के लिये भी इंतजाम किये गए हैं।


aaओंकारेश्वर वेदान्त दर्शन का अदभुत केन्द्र बनेगा – मुख्यमंत्री श्री चौहान


19 December 2017

मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा है कि ओंकारेश्वर वेदान्त दर्शन के अदभुत केन्द्र के रूप में स्थापित होगा। उन्होंने कहा कि ओंकारेश्वर में आदिशंकराचार्य की प्रतिमा स्थापित कर उनके योगदान को चिरस्मरणीय बनाया जायेगा। समाज ठीक दिशा में चले, इसलिये सन्तों के नेतृत्व में आदिशंकराचार्य के अद्वैतवाद का प्रचार-प्रसार किया जायेगा। आज सनातन धर्म बचा है तो वह शंकराचार्य की देन है। वे न होते तो भारत का यह स्वरूप ही न होता। उन्होंने उत्तर, दक्षिण, पूरब, पश्चिम को जोड़ा। सांस्कृतिक रूप से देश को एक किया। मुख्यमंत्री श्री चौहान ने यह बात आज उज्जैन में एकात्म यात्रा का शुभारंभ करते हुए कही। मुख्यमंत्री ने कहा कि यह एक अदभुत बात है कि बद्रीनाथ मन्दिर में केरल के नंबुरिपाद ब्राह्मण पुजारी हैं। द्वादश ज्योतिर्लिंग की कल्पना भी शंकराचार्यजी ने की। दुनिया के सामने आज जितने संकट हैं, उन सबका समाधान अद्वैत वेदान्त में है। शंकराचार्य सर्वज्ञ थे। ओंकारेश्वर में गुरू से ज्ञान प्राप्त कर वे भारत भ्रमण पर निकल गये और स्थान-स्थान पर शास्त्रार्थ कर अपनी विद्वता स्थापित की। वे सभी रूढ़ियों को समाप्त करने वाले सन्यासी थे। ‘वसुधैव कुटुम्बकम’ के दर्शन के माध्यम से सारी दुनिया को एक ही परिवार के रूप में मानना, प्राणियों को भी अपने समान दर्जा देना उनकी विशेषता थी। आदि शंकराचार्य ने कहा कि धर्म की जय हो, अधर्म का नाश हो। प्राणियों में सद्भावना हो। उन्होंने विश्व कल्याण का आव्हान किया और कहा कि एक ही चेतना सभी में है। कोई भी छोटा-बड़ा नहीं है। पशु, पक्षी, पेड़, पौधों सभी को उन्होंने एक समान माना। मुख्यमंत्री ने कहा कि एकात्म यात्रा में अद्वैत वेदान्त का प्रचार-प्रसार तो होगा ही, माता, बहनों, बेटियों का सम्मान करने की शिक्षा भी दी जायेगी। मुख्यमंत्री ने कहा कि मध्य प्रदेश सरकार ने बच्चियों के साथ दुराचार करने वालों को मृत्युदण्ड देने का प्रावधान किया है। एकात्म यात्रा के माध्यम से पर्यावरण बचाने, भेदभाव मिटाने का सन्देश भी दिया जायेगा। इसके पूर्व मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान, स्वामी परमात्मानन्द सरस्वती, स्वामी विश्वेरानन्द, सन्त रामेश्वरदासजी, स्वामी अतुलेश्वरानन्द सरस्वती एवं अन्य गणमान्य सन्तों द्वारा आदिशंकराचार्य के चित्र के संमुख दीप प्रज्वलन कर कार्यक्रम का शुभारम्भ किया। इसके बाद पादुका पूजन किया एवं एकात्म यात्रा का ध्वज यात्रा के लिये सौंपा गया। कार्यक्रम में सभी सन्तों की ओर से स्वामी परमात्मानन्द एवं स्वामी विश्वेरानन्द द्वारा मुख्यमंत्री को रूद्राक्ष की माला पहनाकर आशीर्वाद दिया गया। आचार्य परिषद के सचिव सन्त परमात्मानन्द सरस्वतीजी ने कहा कि भारतीय संस्कृति वेद पर आधारित है और निरन्तर है। विश्व में कई संस्कृतियां खड़ी हुईं और नष्ट हो गईं, लेकिन भारतीय संस्कृति आज भी जीवित है। हमें इस संस्कृति का संवर्धन कर इसकी रक्षा करना होगी। हिन्दू धर्म ऐसा धर्म और संस्कृति है, जो सर्वग्राही है। द्वैत होने पर भी अद्वैत का दर्शन कराने वाली हमारी संस्कृति है। शंकराचार्य ने हमारे पारम्परिक व सामाजिक मूल्य को समृद्ध किया। मातृ देवो भव:, अतिथि देवो भव: के सिद्धान्त का पालन करते हुए शंकराचार्य ने सन्यास लेने के बाद भी परम्पराओं को तोड़ते हुए अपनी मां का अन्तिम संस्कार किया। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान ने एकात्म यात्रा के माध्यम से आन्तरिक विकास करने का बीज स्थापित कर दिया है। सन्त विश्वेश्वरानन्दजी ने कहा कि आदि शंकराचार्य ने अदभुत कार्य किया। वे सैकड़ों वर्ष पूर्व दक्षिण में जन्मे और ओंकारेश्वर में आकर उन्होंने सन्यास ग्रहण किया। तत्कालीन समय में हमारा देश विभक्त हो रहा था, उसको जोड़ने का काम उन्होंने किया। आदिशंकराचार्य की देन हमारे देश के तीर्थ हैं। जब हम बद्रीनाथ और रामेश्वरम जाते हैं तो उन्हें स्मरण करते हैं। सभी तीर्थों की पृष्ठभूमि में कोई है तो वह आचार्य शंकर हैं। उन्होंने देश की तीन बार पदयात्रा की। शास्त्रार्थ करके वैदिक धर्म की पुनर्स्थापना करने में उनका महती योगदान है। वे हमारे धर्म, संस्कृति के आधार स्तंभ हैं। चारों दिशाओं में स्थापित चारों मठों की सुरक्षा करने का दायित्व हमारा है। बत्तीस वर्ष की आयु में उन्होंने शरीर त्याग दिया। शंकराचार्य ने समाज को एक किया और समरसता प्रदान की है। एकात्म यात्रा के उज्जैन प्रखण्ड के प्रभारी श्री राघवेन्द्र गौतम ने बताया कि ओंकारेश्वर में 108 फीट ऊंची शंकराचार्य जी की मूर्ति की स्थापना होगी और इसके लिये धातु संग्रहण करने के लिये एकात्म यात्रा निकाली जा रही है। कार्यक्रम में मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान ने मौजूद सभी सन्तगणों का पुष्पहारों से नमन कर स्वागत किया। इस अवसर पर मुख्यमंत्री ने आदिशंकराचार्य के जीवन पर आधारित चित्रकला प्रतियोगिता के विजेता देव परमार, आध्या द्विवेदी एवं सिद्धार्थ वर्मा को प्रमाण-पत्र एवं पुरस्कार वितरित किया।
इमली चौराहा अब शंकराचार्य चौराहा
मुख्यमंत्री श्री चौहान ने घोषणा की कि उज्जैन के इमली चौराहे का नामकरण अब शंकराचार्य चौराहा किया जायेगा। साथ ही यहां शंकराचार्य की आदमकद प्रतिमा भी स्थापित की जायेगी।
मुख्यमंत्री ने ध्वज थामा
कार्यक्रम के समापन पर मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान ने एकात्म यात्रा का ध्वज थामा। उनकी धर्मपत्नी श्रीमती साधना सिंह ने मंगल कलश थामा। कार्यक्रम के अध्यक्ष स्वामी विश्वेश्वरानन्दजी ने शंकराचार्यजी की चरण पादुकाएं थामी तथा भगवान आदि शंकराचार्य की एकात्म यात्रा का नेतृत्व किया। कार्यक्रम में सन्त श्री रामेश्वरदास, श्री अतुलेश्वरानन्द सरस्वती, श्री रामेश्वरदास तराना, श्री उमेशनाथजी महाराज, श्री रंगनाथजी महाराज, ब्रह्मकुमारी उषा दीदी, श्री दिग्विजयदास, श्री विष्णुदास, श्री कृष्णदास महाराज, श्री शेषानन्दजी महाराज, श्री राधेबाबा, श्री राघवदास महाराज, नित्यऋषि, मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान की धर्मपत्नी श्रीमती साधना सिंह चौहान, ऊर्जा मंत्री श्री पारस जैन, महापौर श्रीमती मीना जोनवाल, विधायक डॉ.मोहन यादव, श्री दिलीपसिंह शेखावत, श्री बहादुरसिंह चौहान, श्री मुकेश पण्ड्या, मेला प्राधिकरण अध्यक्ष श्री विजय दुबे, यूडीए अध्यक्ष श्री जगदीश अग्रवाल, मप्र पर्यटन विकास निगम के अध्यक्ष श्री तपन भौमिक, एकात्म यात्रा ग्रामीण प्रभारी श्री किशोर मेहता उपस्थित थे


aaश्री महाकाल मंदिर में होगा शैव महोत्सव : पूजन एवं परम्पराओं पर होगा वैचारिक मंथन


29 November 2017

द्वादश ज्योतिर्लिंग सम्मेलन शैव महोत्सव के रूप में 5 से 7 जनवरी 2018 तक श्री महाकाल मंदिर उज्जैन में मनाया जावेगा। यह आयोजन भारत सरकार एवं मध्यप्रदेश सरकार के संस्कृति विभाग द्वारा श्री महाकालेश्वर मंदिर प्रबंध समिति के संयुक्त तत्वावधान में उज्जैन में होगा। शैव महोत्सव के प्रथम दिन भव्य शोभायात्रा निकाली जाएगी। महोत्सव में भारत के वैदिक विद्वान को वैदिक अलंकरण सम्मान दिया जाएगा। सभी मंदिरों के अधिदैविक, अधिभैतिक एवं आध्यात्मिक महात्मय, पूजन एवं परम्पराओं पर चर्चा की जाएगी। इस दौरान विभिन्न सत्रों में कर्मकाण्ड, वेद-वेदांग, सामाजिक समरसता आदि विषयों पर संगोष्ठी आयोजित कर मंथन किया जाएगा। शैव महोत्सव का उद्देश्य एक ऐसा मंच तैयार करना है, जिसके माध्यम से बारह ज्योतिर्लिंगों के विषय में किसी भी स्थान पर कोई चर्चा होती है, तो धार्मिक एवं राष्ट्र उत्थान के महत्व को ध्यान में रखते हुए सभी एक साथ उस विषय पर सहमति दे सकें। महोत्सव में प्राचीन परम्पराओं तथा पद्धतियों एवं सामाजिक समरसता का ध्यान रखते हुए जातिगत भेद दूर करने का संदेश दिया जाएगा। महोत्सव में धर्म, दर्शन, कर्मकाण्ड, प्रबन्धन, पूजा-पद्धति, उपासना, परम्परा आदि का आदान-प्रदान भी होगा। बारह ज्योतिर्लिंग के सम्मेलन में शैव के अतिरिक्त अन्य मंदिरों श्री तिरूपति बालाजी, श्री वैष्णव देवी, पद्मनाभ मंदिर, द्वारका, पुरी आदि के पुजारी एवं प्रबंधन अधिकारियों के अतिरिक्त आध्यात्मिक एवं सामाजिक संगठन के प्रतिनिधियों को भी आमंत्रित किया जाएगा। मंदिर प्रबन्ध समिति द्वारा सभी मंदिरों की अनादिकाल से चली आ रही पूजा-पद्धति, उत्सवों, परम्पराओं का संग्रह कर एक पुस्तक का प्रकाशन भी होगा। श्री महाकालेश्वर मंदिर समिति द्वारा शैव महोत्सव के सफल संचालन के लिए 17 उप-समितियां बनायी गई हैं। देश के बारह ज्योर्तिलिंग देश के बारह ज्योर्तिलिंग में श्री सोमनाथ मंदिर सौराष्ट्र, श्री मल्लिकार्जुन मंदिर, श्री महाकालेश्वर मंदिर, श्री ओंकारेश्वर मंदिर, श्री वैद्यनाथ मंदिर, श्री भीमाशंकर मंदिर, श्री रामेश्वरम् मंदिर, श्री नागेश्वर मंदिर, श्री विश्वनाथ मंदिर, श्री त्रयंम्बकेश्वर मंदिर, श्री केदारनाथ मंदिर और श्री घुश्मेश्वर मंदिर शामिल है।


aaभोपाल में दो दिवसीय राष्ट्रीय ज्योतिष कार्यशाला


28 November 2017

भोपाल में 28 नवम्बर से दो दिवसीय राष्ट्रीय ज्योतिष कार्यशाला शुरू हो रही है। स्कूल शिक्षा मंत्री कुंवर विजय शाह कार्यशाला का शुभारंभ इस दिन प्रात: 11.30 बजे करेंगे। कार्यशाला बागसेवनिया स्थित राष्ट्रीय संस्कृत संस्थान मानित विश्वविद्यालय में आयोजित की जा रही है। कार्यशाला में ज्योतिष शास्त्र की वैज्ञानिकता एवं वर्तमान समय में प्रासंगिकता विषय पर परिचर्चा में राष्ट्रीय स्तर के संस्कृत एवं ज्योतिष के प्रकाण्ड विद्ववान भाग लेंगे। कार्यशाला में मुख्य रूप से व्यक्ति व समाज पर पड़ने वाले ग्रहों के प्रभाव, आजीविका निर्धारण में ज्योतिष की भूमिका, रोगों के निदान एवं समाधान में ज्योतिष शास्त्र की भूमिका और प्राकृतिक आपदाओं के फलादेश में ज्योतिष की भूमिका पर विशेष रूप से चर्चा होगी। कार्यशाला का समापन 29 नवम्बर को होगा। समापन समारोह में स्कूल शिक्षा मंत्री कुंवर विजय शाह और स्कूल शिक्षा राज्य मंत्री श्री दीपक जोशी मौजूद रहेंगे। समापन समारोह शाम 4 बजे होगा। भोपाल का राष्ट्रीय संस्कृत संस्थान देश के 12 संस्थानों में से एक है, जहां पिछले 7 सालों से भोपाल के अक्षांश एवं देशांतर पर आधारित श्री भोजराज पंचांग तथा ज्योतिष मीमांसा शोध पत्रिका का प्रकाशन, अनुसंधान एवं प्रायोगिक ज्ञान को बढ़ावा देने के लिए ज्योतिष प्रयोगशाला की स्थापना, ज्योतिष परिचय पाठ्यक्रम एवं वस्तु परिचय पाठ्यक्रम के साथ एक वर्षीय वास्तुशास्त्र डिप्लोमा का संचालन किया जा रहा है। महर्षि पतंजलि संस्कृत संस्थान का उद्देश्य संस्कृत भाषा और साहित्य का ज्ञान, ज्योतिष, वास्तु, कर्मकाण्ड आदि के अध्ययन की सुविधा उपलब्ध कराने के साथ-साथ रोजगारोन्मुखि पाठ्यक्रम का संचालन करना है


भोपाल में 28-29 नवम्बर को राष्ट्रीय ज्योतिष कार्यशाला


25 November 2017

महर्षि पतंजलि संस्थान और राष्ट्रीय संस्कृत संस्थान द्वारा 28 एवं 29 नवम्बर, 2017 को भोपाल में दो दिवसीय राष्ट्रीय ज्योतिष कार्यशाला आयोजित की जा रही है। 'ज्योतिष शास्त्र की वैज्ञानिकता एवं वर्तमान समय में प्रासंगिकता' विषय पर होने वाली इस कार्यशाला में राष्ट्रीय स्तर के संस्कृत एवं ज्योतिष के प्रकाण्ड विद्वान भाग लेंगे। स्कूल शिक्षा मंत्री कुँवर विजय शाह 28 नवम्बर को प्रात: 10.30 बजे बागसेवनिया स्थित राष्ट्रीय संस्कृत संस्थान मानित विश्वविद्यालय में कार्यशाला का शुभारंभ करेंगे। महर्षि पतंजलि संस्कृत संस्थान का संचालन राज्य शासन के स्कूल शिक्षा विभाग और राष्ट्रीय संस्कृत संस्थान का संचालन केन्द्रीय मानव संसाधन विकास मंत्रालय द्वारा किया जाता है। भोपाल का राष्ट्रीय संस्कृत संस्थान देश के 12 संस्थानों में से एक है, जहाँ पिछले 7 सालों से भोपाल के अक्षांश एवं देशांतर पर आधारित श्री भोजराज पंचांग तथा ज्योतिष मीमांसा शोध पत्रिका का प्रकाशन, अनुसंधान एवं प्रायोगिक ज्ञान को बढ़ावा देने के लिए ज्योतिष प्रयोगशाला की स्थापना, ज्योतिष परिचय पाठ्यक्रम एवं वास्तु परिचय पाठ्यक्रम के साथ एक वर्षीय वास्तुशास्त्र डिप्लोमा का संचालन किया जा रहा है। महर्षि पतंजलि संस्कृत संस्थान का उद्देश्य संस्कृत भाषा और साहित्य का ज्ञान, ज्योतिष, वास्तु, कर्मकाण्ड आदि के अध्ययन की सुविधा उपलब्ध कराने के साथ-साथ रोजगारोन्मुखी पाठ्यक्रम का संचालन करना है।


aaचीन में मध्यप्रदेश के हस्तशिल्पी ने किया बाग प्रिंट कला का प्रदर्शन


20 November 2017

विश्व भर में अपनी पहचान बना चुकी मध्यप्रदेश की बाग हस्तशिल्प कला ने चीन में भी लोकप्रियता हासिल की है। भारत की ओर से चीन में दूसरी बार बाग प्रिंट का प्रदर्शन किया गया है। हाल ही में मध्यप्रदेश के बाग प्रिंट में राष्ट्रीय एवं पुरस्कार विजेता मोहम्मद बिलाल खत्री ने ‘‘चाइना (गुझाओ) में अन्तर्राष्ट्रीय फॉक कल्चर टूरिज्म प्रोडक्ट एक्सपो-2017 में परम्परागत आदिवासी बाग प्रिन्ट हस्तकला का जीवंत प्रदर्शन किया। चीन के गुझाओ प्रांत के गुयांग शहर में हुई एक्सपो में विश्व के 50 देशों ने हिस्सा लिया। बाग प्रिन्टर्स श्री खत्री ने चीन की भौगोलिक एंव सांस्कृतिक परिस्थितियों को मद्देनजर रखते हुए आधुनिक एंव परम्परागत परिधान डिजाइन किए थे। इन परिधानों को चीन वासियो को उनके आधुनिक परिधानों के साथ भारतीय कलेवर की परम्परागत रिमिक्स के साथ प्रस्तुत किया गया था। बाग प्रिन्ट कृतियों को चीन वासियो ने पसंद किया। फॉक एक्सपो की डायरेक्टर सुश्री सन युकि ने बाग प्रिन्ट की सराहना करते हुए बाग प्रिन्ट के कलाकारों को आगे और भी मौके दिए जाने की बात कही। मोहम्मद बिलाल खत्री चीन के दोंगयोंग में वर्ल्ड क्राफ्ट्स काउंसिल की 50 वी गोल्डन जुबली सेलीब्रेशन समिट एंव एक्जीबिशन-2014 मे भी यादगार प्रदर्शन कर चुके हैं। साथ ही रूस के कालुगा गॉव मे तीसरे अर्न्तराष्ट्रीय इथनोमिर एस्पो 2014, रूस की मॉस्को स्टेट युनिवर्सिटी फॉर द हुमनिटीज के फाईन आर्ट के स्टूडेंट्स को बाग प्रिन्ट कला की मास्टर क्लासेस देकर प्रशिक्षण दिया। वर्ष 2014, मॉस्को में इन्डिया शो 2014, रूस की सेन्ट पीटर्सबर्ग स्टेट अकादमी ऑफ आर्ट एंड डिजाईन कॉलेज एंड यूनिवर्सिटी मे बाग प्रिन्ट हस्तकला की मास्टर क्लासेस 2014, बेहरीन फेस्टीवल ऑफ इंडिया-2012, ईरान के इस्फ़हान मे समुर्घ इंटरनेशनल हैंडीक्राफ्ट्स एक्जीबिशन-2016 सहित देश के कई महानगरो मे भी अपनी कला का जीवंत प्रदर्शन कर चुके हैं।


aaइंदिरा गांधी सौहार्द्र और मिश्रीलाल गंगवाल सद्भावना पुरस्कार घोषित


20 November 2017

राज्य सरकार द्वारा वर्ष 2012 के इंदिरा गांधी साम्प्रदायिक उपद्रव रोकथाम एवं सौहार्द्र पुरस्कार और भैया श्री मिश्रीलाल गंगवाल सद्भावना पुरस्कार की घोषणा कर दी गयी है। इंदिरा गांधी साम्प्रदायिक उपद्रव रोकथाम एवं सौहार्द्र पुरस्कार के लिए श्री कवीन्द्र कियावत तत्कालीन कलेक्टर खण्डवा और श्री हरिनाराणचारी मिश्रा तत्कालीन पुलिस अधीक्षक खण्डवा का चयन किया गया है। प्रत्येक को 15-15 हजार रुपये और प्रशस्ति-पत्र से सम्मानित किया जाएगा। इसी प्रकार भैया श्री मिश्रीलाल गंगवाल सद्भावना पुरस्कार शुभम विकलांग एवं समाज-सेवा समिति और कादम्बिनी शिक्षा एवं समाज कल्याण सेवा समिति, भोपाल को दिया जाएगा। प्रत्येक को 50-50 हजार रुपये और प्रशस्ति-पत्र दिये जाएंगे। इस संबंध में पूर्व में जारी आदेश को निरस्त कर दिया गया है।


भारत भवन में बुरहानपुर उत्सव 20 से 22 नवम्‍बर को
Our Correspondent :19 November 2017

बुरहानपुर की भाषा, भूषा, भोजन सहित नृत्य, संगीत और लोक-कलाओं से राजधानी भोपाल के लोगों को रू-ब-रू करवाने के लिये संस्कृति विभाग द्वारा भारत भवन में 20 से 22 नवम्बर तक प्रतिदिन शाम 6:30 बजे बुरहानपुर उत्सव किया जा रहा है। उत्सव में नृत्य, संगीत, कवि सम्मेलन, मुशायरा जैसे कार्यक्रम किए जाएंगे। साथ ही बुरहानपुर के प्रसिद्ध व्यंजन भी रसास्वादन के लिये उपलब्ध होंगे। राज्य सरकार द्वारा पहली बार किसी जिले के प्रसिद्ध कलाकारों को एक साथ भारत भवन में कार्यक्रम प्रस्तुत करने के लिए आमंत्रित किया जा रहा है। बुरहानपुर उत्सव में 20 नवम्बर को शहनाई वादन, शास्त्रीय गायन तथा नृत्य की प्रस्तुति होगी। दूसरे दिन 21 नवम्बर को कत्थक, गुजराती गरबा, ठिलिया पाटी के साथ ही बाँसुरी वादन, कीर्तन, भजन तथा आदिवासी नृत्य होंगे। अंतिम दिन 22 नवम्बर को कवि सम्मेलन तथा मुशायरा होगा। उत्सव में बुरहानपुर का प्रसिद्ध काँच तरंग, बंजारा नृत्य सहित हवेली संगीत, लावणी पर आधारित प्रस्तुतियां भी होंगी। उत्सव में आनंद मेला के अंतर्गत बुरहानपुरी व्यंजनों जैसे दरावा-चुड़वा, मावा जलेबी, देग वाले दाल-चावल, ज़र्दा (मीठे चावल), केला चिप्स, तुरखाटी सेंव, मसाला सेंव, प्याज के पत्ते के चावल, निमाड़ी दाल-बाटी, तली हुई उन्दीयू, वाल की सब्जी, दाल पकवान, कमल ककड़ी की सब्जी ठेसा, ज्वार की रोटी, भरित पूरी, छोटी सूरती, भाखड़ बड़ी आदि के स्टॉल भी लगाए जाएंगे। उल्लेखनीय है कि बुरहानपुर में निमाड़-महाराष्ट्र की मिली-जुली संस्कृति विकसित हुई जिस पर गुजरात तथा वनवासी परम्पराओं का गहरा प्रभाव पड़ा। साथ ही राजस्थान, सिंध का असर भी यहाँ की जीवन-शैली और कला पर झलकता है। फारूकी और मुगल काल में मुशायरा, कव्वाली तथा अन्य कला अभिव्यक्तियों का चलन यहाँ रहा है जो आज भी बरकरार है। बुरहानपुर में सिखों के प्रथम गुरू नानक देव जी एवं दसवें गुरू श्री गोविन्द सिंह जी आ चुके हैं। गुरू दशमेश ने गुरूवाणी की कई रचनाएँ लिखी, उनके द्वारा कई रागों की उत्पत्ति की गई। यहाँ वैष्णव संप्रदाय के मंदिरों में हवेली संगीत और गुरूद्वारों में राग, जैन संप्रदाय के मंदिरों में भगवान महावीर पर लिखित रचनाएँ गायी जाती हैं। ऐसा शहर जहाँ विभिन्न पंथ समाजजनों द्वारा लोक गीत एवं संगीत और संस्कृति को सहेजा गया। प्रसिद्ध संगीतज्ञ श्री पुंडलिक विठ्ठल और मृदंगाचार्य श्री गोविंदराव बुरहानपुरकर का संबंध इस नगर से रहा। भारत रत्न पंडित श्री भीमसेन जोशी, श्री पुरणादास जी सहित गुलाम अली, अमीर खाँ साहब, अल्लारखा साहब आदि कलाकारों की कला और अदा को इस शहर की आबो-हवा ने सुना, समझा और अपनाया है।


मुख्यमंत्री तीर्थ-दर्शन योजना में अब तक सवा पाँच लाख से अधिक तीर्थ-यात्री लाभान्वित
Our Correspondent :3 November 2017

मुख्यमंत्री तीर्थ-दर्शन योजना में अब तक 5 लाख 26 हजार बुजुर्ग तीर्थ-यात्रियों को तीर्थ-दर्शन करवाये गये हैं। योजना में अब तक 526 ट्रेन संचालित की गई हैं। यह जानकारी आज यहाँ मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान द्वारा की गई समीक्षा में दी गई। मुख्यमंत्री श्री चौहान ने निर्देश दिये कि गुरू गोविन्दसिंह जी के जन्म-स्थान पटना साहिब तथा श्रवण बेलगोला के लिये योजना की ट्रेन शीघ्र शुरू करें। बैठक में मुख्य सचिव श्री बी.पी. सिंह भी उपस्थित थे। मुख्यमंत्री श्री चौहान ने कहा है कि इस वर्ष मुख्यमंत्री तीर्थ-दर्शन योजना में 200 ट्रेन संचालित की जायें। तीर्थ-यात्रियों के लिये ऐसे रूट बनाये जायें जिसमें वे एक से अधिक स्थानों का भ्रमण कर सकें। तीर्थ-स्थान के समीप स्थित ऐतिहासिक और महत्वपूर्ण स्थल का भी भ्रमण करायें। यात्रियों को तीर्थ-स्थान के विषय में संक्षिप्त जानकारी भी दें। बैठक में बताया गया कि जारी वर्ष में योजना का लाभ दो लाख तीर्थ-यात्रियों को दिया जायेगा। योजना में पाँच वर्ष पूर्ण होने के बाद पहले यात्रा कर चुके यात्रियों को तीर्थ-यात्रा का एक अवसर और दिया जायेगा। बैठक में अपर मुख्य सचिव वित्त श्री ए.पी. श्रीवास्तव, प्रमुख सचिव धार्मिक न्यास एवं धर्मस्व श्री मनोज श्रीवास्तव और मुख्यमंत्री के प्रमुख सचिव श्री एस.के. मिश्रा सहित संबंधित विभाग के अधिकारी उपस्थित थे


aaराष्ट्रीय लता मंगेशकर अलंकरण से गीत-संगीत क्षेत्र की तीन विभूतियाँ विभूषित


26 October 2017

वित्त मंत्री श्री जयंत मलैया ने आज इंदौर में मध्यप्रदेश शासन के प्रतिष्ठित राष्ट्रीय लता मंगेशकर सम्मान अलंकरण से सुप्रसिद्ध गायिका सुश्री ऊषा खन्ना को वर्ष 2012, सुप्रसिद्ध गायक श्री उदित नारायण को वर्ष 2015 और सुप्रसिद्ध संगीतकार श्री अनु मलिक को वर्ष 2016 के लिए सम्मानित किया। अलंकरण समारोह की अध्यक्षता पर्यटन एवं संस्कृति राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) श्री सुरेन्द्र पटवा ने की। श्री मलैया ने इस अवसर पर कहा कि गीत-संगीत को बढ़ावा देने के लिए स्थापित इस पुरस्कार से अब तक 28 विभूतियों को सम्मानित किया जा चुका है। सम्मानित हस्तियों के उज्जवल भविष्य की कामना करते हुए उन्होंने कहा कि यह अलंकरण समारोह हर वर्ष नियमित रूप से होना चाहिए। पर्यटन एवं संस्कृति राज्य मंत्री श्री पटवा ने कहा कि प्रदेश में प्रतिभाओं को निखरने का अवसर देने के लिए प्रतिभा खोज प्रतियोगिता आयोजित की जा रही है। श्री उदित नारायण ने कहा कि लता मंगेशकर के नाम से सम्मान मिलना माँ सरस्वती का आशीर्वाद मिलने के बराबर है। श्री अनु मलिक ने कहा कि लता मंगेशकर जी के नाम से स्थापित पुरस्कार अपने-आप में सबसे बड़ा सम्मान है। सुश्री ऊषा खन्ना ने कहा कि लता मंगेशकर के नाम से पुरस्कार मिलना मेरे लिए सबसे बड़ा आशीर्वाद है। महापौर श्रीमती मालिनी गौड़, विधायक श्री सुदर्शन गुप्ता, श्री रमेश मेंदोला और सुश्री ऊषा ठाकुर, इंदौर विकास प्राधिकरण के अध्यक्ष श्री शंकर लालवानी, जिला पंचायत अध्यक्ष श्रीमती कविता पाटीदार, संभागायुक्त और आयोजन समिति के अध्यक्ष श्री संजय दुबे और प्रमुख सचिव संस्कृति श्री मनोज श्रीवास्तव, भी मौजूद थे।
ख्यातिलब्ध कलाकार श्री सुदेश भोंसले ने दी रंगारंग प्रस्तुति-
अलंकरण समारोह में देश के जाने-माने गायक श्री सुदेश भोंसले ने अपने दल के साथ गीत-संगीत की सुमधुर प्रस्तुतियाँ देकर समाँ बाँधा। समारोह में बड़ी संख्या में कला एवं संगीत प्रेमी मौजूद थे।


संगीत उत्सव 21-22 अक्टूबर को भोपाल में होगा
Our Correspondent :18 October 2017

राजधानी भोपाल में दो दिवसीय 'हदय-दृश्यम' संगीत उत्सव का आयोजन 21 अक्टूबर से किया जा रहा है। इस संगीत समारोह में पहले दिन 21 अक्टूबर को शाम 5 बजे शौर्य स्मारक पर अमन एण्ड अयान बंगस और शाम 6 बजे गौहर महल में पंडित विश्व मोहन भट्ट का कार्यक्रम होगा। इसी दिन शाम 7 बजे भारत भवन में जोए अल्वेरश और अनुराधा पाल तथा रात 9 बजे इकबाल मैदान पर धारूव संगारी का कार्यक्रम होगा। प्रमुख सचिव संस्कृति श्री मनोज श्रीवास्तव ने बताया कि संगीत उत्सव के दूसरे दिन 22 अक्टूबर की शाम 5 बजे शौर्य स्मारक पर शैफाली एण्ड परपल स्टूडियो की प्रस्तुति और शाम 6 बजे गौहर महल परिसर में ड्रम्स ऑफ इडिया के तहत उस्ताद फजल कुरैशी की प्रस्तुति होगी। इसी दिन शाम 7 बजे भारत भवन में शबीर खान एण्ड सबरास की प्रस्तुति और रात 9 बजे इकबाल मैदान पर भूपेन्द्रर एण्ड मिताली की प्रस्तुति होगी। संगीत के रसिकों के लिए प्रवेश नि:शुल्क रहेगा।


सामाजिक संस्था 'गांधी विचार मंच' ने अनूठे ढंग से गाँधी जयंती मनाई
Our Correspondent :2 October 2017

मुंबई। सामाजिक संस्था 'गांधी विचार मंच' द्वारा गाँधी जयंती के अवसर पर यानि २ अक्टूबर को एक कार्यक्रम का आयोजन मालाड (वेस्ट) में स्टेशन के सामने स्थित ऑफिस में किया था।संस्था 'गांधी विचार मंच' के राष्ट्रीय अध्यक्ष श्री मनमोहन गुप्ता ने गाँधी जी के फोटो पर हारफूल चढाकर व् मिठाई बांटकर गाँधी जयंती मनाई। और इस अवसर पर गाँधी जी के ऊपर लिखी पुस्तक एम् एम् मिठाईवाला के सामने मुफ्त में जनता को वितरित किया गया। मनमोहनजी का मानना है कि इससे लोगों को गाँधीजी के बारे में और उनके विचारों के बारे में लोगों को सही जानकारी मिलेगी और जनता उनके बताये रास्ते पर चलकर देश को प्रगति के रास्ते पर लेकर जाएगी। सचमुच इससे ज्यादा अनूठे ढंग से गाँधी जयंती नहीं मनाई जा सकती है। लोग गाँधी जयंती और गाँधीजी के बारे थोड़ा बहुत जरूर जानते है लेकिन उनके बारे में और उनके विचारों के बारे में पूरी जानकारी बहुत कम लोगों को होगी। लेकिन मुफ्त में पुस्तक मिलने पर लोग उसे पढ़ेंगे और गाँधी जी के विचारों को सही ढंग से जानेंगे। इस अवसर पर सामाजिक संस्था 'गांधी विचार मंच' के सभी लोग व रितेश मेढ़िया, महेशभाई, जयप्रकाश पांडे इत्यादि उपस्थित होकर कार्यक्रम को शोभा को बढ़ाया।


१४ वां अंतर्राष्ट्रीय हिंदी सम्मेलन राजस्थान में राकेश अचल शामिल होंगे
Our Correspondent :21 September 2017

ग्वालियर/राजस्थान में आगामी १ से १२ अक्टूबर तक आयोजित होने वाले १४ वे अंतर् राष्ट्रीय हिंदी सम्मेलन में शामिल होने के लिए ग्वालियर के वरिष्ठ पत्रकार और साहित्यसेवी राकेश अचल ३० सितंबर को राजस्थान के लिए रवाना होंगे .ग्यारह दिन के इस सम्मेलन में देश भर के साहित्यकार शामिल हो रहे हैं. इस सम्मेलन के तहत राजस्थान के जयपुर,अजमेर,बीकानेर,माउन्ट आबू और उदयपुर में विभिन्न सत्रों का आयोजन किया जाएगा इस सम्मेलन में राजस्थान की ९ प्रमुख संस्थाएं भी शामिल होंगीं . सम्मेलन के समन्वयक श्री जयप्रकाश मानस के अनुसार सम्मेलन का उद्घाटन प्रसिद्ध साहित्यकार डॉ शरद पगारे करेंगे .उन्होंने बताया की सम्मेलन के मार्गदर्शक मंडल के सदस्य और वरिष्ठ पत्रकार राकेश अचल अजमेर में गीत और गजल के सामर्थ्य तथा सरोकार पर अपना वक्तव्य देंगे .उल्लेखनीय है की इससे पहले ये सम्मेलन यूएई,चीन,कम्बोडिया,वियतनाम,थाईलैंड ,श्रीलंका,नेपाल और अन्य देशों में भी समपन्न हो चुके हैं .


सेंट्रल लाइब्रेरी में "हिन्दी उत्सव -2017"
Our Correspondent :13 September 2017

युवाओं में हिन्दी की समझ को बढ़ावा देने के उद्देश्य से शासकीय मौलाना आज़ाद केन्द्रीय पुस्तकालय भोपाल आगामी शुक्रवार और शनिवार को दो दिवसीय हिन्दी उत्सव का आयोजन करने का जा रहा है । इस उत्सव में शहर के सही लोगों के लिए ओपन तीन प्रतियोगिताओं का आयोजन किता जाएगा । इन प्रतियोगिताओं में बाग लेने के लिए कोई भी व्यक्ति लाइब्रेरी आ सकता है ।
कार्यक्रम का विवरण
आयोजन का नाम - हिन्दी उत्सव -2017
दिनांक - 15 एवं 16 सितंबर 2017
स्थान - सेंट्रल लाइब्रेरी भोपाल
तीन ओपन प्रतियोगिताएं
हिन्दी निबंध प्रतियोगिता
दिनांक - 15 सितंबर (शुक्रवार )
समय - सुबह 10 बजे
पुरुसकार - 6000/ - रुपये नगद
भाग लेने के लिए - सुबह 9.30 बजे लाइब्रेरी पहुँचें
हिन्दी क्विज़
दिनांक - 15 सितंबर 2017 (शुक्रवार )
समय - सुबह 11.30 बजे
पुरुस्कार - 6000/- रुपये नगद
भाग लेने के लिए - दो लोगों की टीम बनाकर सुबह 11 बजे तक सेंट्रल लाइब्रेरी पहुँचें
तात्कालिक भाषण
दिनांक - 16 सितंबर 2017 (शनिवार )
समय - सुबह 11 बजे
कितने लोग भाग ले सकते हैं - केवल 20
पुरुस्कार - 6000/- रुपये नगद
भाग लेने के लिए - सुबह 10 बजे लाइब्रेरी पहुँचकर सबसे पहले अपना नाम नोट करा दें
कुल नगद पुरुस्कार - रुपये 18000/-


छात्र जीवन में व्हाइटअप और फेसबुक से बचना चाहिए
Our Correspondent :1 September 2017


छात्र जीवन में व्हाइटअप और फेसबुक से बचना चाहिए- प्राचार्य छतरपुर -नौगांव (छतरपुर) वर्तमान समय में शिक्षा का कार्यक्षेत्र बहुत अत्यधिक बढ़ गया है प्रत्येक माता पिता अपनी संतान को उच्च शिक्षा ग्रहण करने के लिए तन मन धन से मदद कर पुरुष आहत करते हैं लेकिन कुछ विद्यार्थी अपनी संस्कृति और संस्कारों को भूल कर गुमराह हो रहे हैं जिस कारण से विद्यार्थी अपने लक्ष्य से भटक जाते हैं प्रत्येक विद्यार्थी को शिक्षा के पूर्व अपने लक्ष्य को क्या करना होगा लक्ष्य तय करने के बाद शिक्षा ग्रहण करने वाले विद्यार्थी अपने उच्च शिखर तक पहुंचते हैं उपरोक्त विचार शासकीय पालीटेक्निक नौगांव में आयोजित भारतीय संस्कारों एवं स्वच्छ भारत अभियान आयोजन में नौगांव नगर निरीक्षक श्री विनायक शुक्ला ने कहा उन्होंने कहा कि वर्तमान में शिक्षण संस्थाओं में समाजसेवी संतोष गंगेले द्वारा इस प्रकार के आयोजन कर भारतीय संस्कृति के संस्कार को बचाने के लिए जो अलग जगह जा रही है उसकी सभी को सराहना करना चाहिए इस अवसर पर पॉलिटेक्निक कॉलेज के प्राचार्य श्री बृजेश नारायण सक्सेना ने कहा कि बच्चे एक कच्ची मिट्टी की तरह होते हैं उन्हें संभाल लें और सजाने में अत्यधिक प्रयास करना पड़ता है वर्तमान समय में इंटरनेट के माध्यम से वर्तमान छात्र-छात्राएं इतिहास को अत्यधिक समय देकर शिक्षा के रास्ते से भटक रहे हैं इसलिए प्रत्येक छात्र छात्रा को जीवन में कम से कम अध्ययन करते समय ऐसे सोशल नेटवर्किंग से बचना चाहिए। इस अवसर पर सांसद प्रतिनिधि श्री धीरे से भरे ने बच्चों को प्रसन्न करते हुए कहा कि हमें भारत की संस्कृति और महापुरुषों के जीवन के बारे में ज्ञान होना आवश्यक है जब तक हमें अपने इतिहास का ज्ञान नहीं होगा हम शिक्षा की ओर नहीं भर सकते हैं इसलिए नैतिक शिक्षा और व्यवहारिक शिक्षा दोनों का समावेश जीवन में आवश्यक है कार्यक्रम में विशिष्ट अतिथि के रुप में पधारी बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ अभियान लोगों की अध्यक्ष श्रीमती भारती साहू ने बच्चों को प्रेरणा देते हुए अपने से बड़ों का आदर भाव जीवन में समय की पाबंदी और संस्कारों को जीवन में अपनाने पर बल दिया कार्यक्रम के संयोजक संतोष गंगेले ने विचार रखते हुए बताया जब तक व्यक्ति अपनी कमियों का सुधार नहीं करेगा वह विकास नहीं कर सकता है प्रत्येक व्यक्ति को अपने अंदर बुरे विचारों का परित्याग करना होगा क्रोध को स्थान नहीं देना होगा तभी समाज का कार्य संभव है देश विकास के लिए सभी को सामाजिक समरसता के काम करना चाहिए कार्यक्रम का संचालन करते हुए श्री रितेश अग्रवाल ने बच्चों को बौद्धिक ज्ञान पर बल दिया इस अवसर पर संस्था के प्राध्यापक श्री आर के गोस्वामी एसके नागौर जे एस डाबर जी आदि व्याख्याताओं ने भी विचार रखे स्वच्छ भारत जन जागृति अभियान बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ अभियान पर विस्तार से विचार-विमर्श किए गए इस अवसर पर नौगांव प्रेस क्लब के अध्यक्ष श्री नन्हें राजा बुंदेला ने बच्चों को संबोधित किया तथा शिक्षा के अध्ययन के बारे में बताया कार्यक्रम के अंत में संस्था प्रमुख द्वारा अतिथियों आपके द्वारा संस्था के 21 छात्र छात्राओं को सम्मानित कर प्रोत्साहन दिया गया


दुष्यंत कुमार पांडुलिपि संग्रहालय में ओपन बुक्स ऑनलाइन की त्रैमासिक साहित्यिक संगोष्ठी
Our Correspondent :31 July 2017

दुष्यंत कुमार पांडुलिपि संग्रहालय के सभागार में वरिष्ठ साहित्यकार रामप्रकाश त्रिपाठी की अध्यक्षता में ओपनबुक्स ऑनलाईन डॉट कॉम की त्रैमासिक साहित्यिक संगोष्ठी का आयोजन संपन्न हुआ. विशिष्ट अतिथि ग़ज़लकार जहीर कुरेशी एवं जयप्रकाश त्रिपाठी उपस्थित रहें। बलराम धाकड़ ने ." आभासी संसार और वास्तविक संसार का साहित्य" विषय पर बीज वक्तव्य देते हुए आभासी और वास्तविक संसार के साहित्य को एक दूसरे का सम्पूरक बताया। जयप्रकाश त्रिपाठी ने कहा कि आभासी संसार मे साहित्य को उचित मार्गदर्शन आवश्यक है। रामप्रकाश त्रिपाठी ने अपने अध्यक्षीय उद्बोधन में कहा कि आभासी संसार उत्तर आधुनिकता की देन है। जिन्हें छंद और शब्द की समझ नहीं है वह भी आभासी संसार के खुद को महाकवि मान लेते हैं। ओपन बुक्स ऑनलाइन का परिचय देते हुए कल्पना भट्ट ने कहा कि यह एक ऐसी साहित्यिक वेबसाइट हैं जो साहित्य की पाठशाला भी है और प्रकाशन भी। साहित्यिक पत्रिका कविकुम्भ की संपादिका रंजीता सिंह ने अपनी पत्रिका के विषय मे बताया। कार्यक्रम का संचालन वरिष्ठ कवि गीतकार अशोक निर्मल द्वारा किया गया। व्याख्यान के बाद काव्य पाठ हुआ।जहीर कुरेशी ने ग़ज़ल सुनाकर श्रोताओं को मंत्र मुग्ध कर दिया। मिथिलेश वामनकर ने किसान के जीवन पर आधारित ग़ज़ल सुनाई । इसके अतिरिक्त रंजीता सिंह, दिनेश प्रभात, ऋषि श्रृंगारी, ममता बाजपेयी, तिलकराज कपूर, हरिवल्लभ शर्मा, विमल कुमार शर्मा, दिनेश मालवीय, सीमा हरि शर्मा, शशि बंसल, हरिओम श्रीवास्तव, सीमा पाण्डे, अरविंद जैन, रक्षा दुबे, प्रतिभा पांडे, मोतीलाल आलम चन्द्र , अर्पणा शर्मा ने भी काव्य पाठ किया।



फिल्मफेयर अवॉर्ड में छाई 'बर्फी'
मुंबई। 'बर्फी' को भले ही ऑस्कर से निराशा हाथ लगी हो लेकिन 58वें आइडिया फिल्मफेयर अवॉर्ड में छाई रही। रविवार की रात मुंबई में अंधेरी के वाईआरएफ स्टूडियो में सितारों महफिल ऐसी सजी कि हर कोई एक झलक पाने के लिए बेताब दिखा। उन सितारों में सबसे ज्यादा रणबीर कपूर के चेहरे पर चमक थी। ऐसा लग रहा था कि कपूर खानदान का कोई सपूत दावा कर रहा हो कि हां मेरी रगों में राज कपूर का लहू बहता है। फिल्मफेयर अवॉर्ड सेरिमनी में 'बर्फी' को कुल 7 अवॉर्ड्स मिले। इसमें रणबीर कपूर को बेस्ट ऐक्टर और 'बर्फी' को बेस्ट फिल्म का अवॉर्ड शामिल है। इस फिल्म में रणबीर कपूर ने मूक-बधिर की शानदार भूमिका निभाई थी। फिल्म 'कहानी' के लिए विद्या बालन को बेस्ट ऐक्ट्रेस का अवॉर्ड मिला। विद्या अपने पति सिद्धार्थ रॉय कपूर के साथ सेरिमनी में मौजूद थीं। अवॉर्ड की घोषणा होने से पहले विद्या बालन ने कहा, 'मुझे अपने काम पर पूरा भरोसा है।' उन्होंने अपनी प्रतिद्वंद्वी प्रियंका चोपड़ा की 'बर्फी' में ऐक्टिंग की भी जमकर तारीफ की। गौरतलब है दोनों फिल्में टॉप कैटिगरी में शामिल थीं। जहां 'बर्फी' को बेस्ट फिल्म का तमगा मिला वहीं 'कहानी' के डायरेक्टर सुजॉय घोष को बेस्ट डायरेक्टर के अवॉर्ड से नवाजा गया। ग्लोबल मंच पर अपनी खास पहचान बना चुके इरफान खान को 'पान सिंह तोमर' के लिए बेस्ट ऐक्टर का क्रिटिक्स अवॉर्ड दिया गया। इरफान की पहचान बॉलिवुड के सारे खान स्टारों से बिल्कुल अलग है। 'पान सिंह तोमर' में इरफान की ऐक्टिंग को पूरे फिल्म जगत में तारीफ मिली है। सेरिमनी में आए इरफान ने कहा कि मेरे लिए फिल्म में ऐक्टिंग करना एक मुश्किल क्रिएटिव चुनौती की तरह है। बेस्ट लिरिक्स का अवॉर्ड गुलजार को दिया गया। उन्होंने कहा कि मैं इस समारोह में यश चोपड़ा को तलाश रहा हूं। लेकिन वह नहीं हैं। वह यश चोपड़ा को याद कर बेहद भावुक हो गए। दिवंगत डायरेक्टर यश चोपड़ा को लाइफ टाइम अचीवमेंट अवॉर्ड दिया गया। गुलजार को यह अवॉर्ड फिल्म 'जब तक है जान' के गाने 'छल्ला' के लिए दिया गया है। प्रीतम को बर्फी के लिए बेस्ट म्यूजिक डायरेक्टर का अवॉर्ड दिया गया।



'मर्डर-3' का ट्रेलर रिलीज
मुंबई। भट्ट कैंप की आगामी सस्पेंस,थ्रिलर फिल्म 'मर्डर-3' का ट्रेलर रिलीज कर दिया। रणदीप हुड्डा,अदिति रॉव हैदरी,सारा लॉरेन स्टारर फिल्म का निर्देशन विशेष भट्ट कर रहे है। फिल्म में हुड्डा सारा संग रोमांस करते नजर आएंगे। फिल्म में काफी बोल्ड सीन फिल्माए गए है। विशेष का कहना है कि फिल्म में दर्शकों को इमरान हाशमी की कमी का एहसास नहीं होगा। रणदीप ने इस फिल्म में अपना रोल बखूबी निभाया है। पहले इस फिल्म के लिए इमरान को साइन किया गया था। इस सीरीज की पहली फिल्म 'मर्डर' 2004 में आई थी जिसका निर्देशन अनुराग बसु ने किया था। इसमें इमरान हाशमी और मल्लिका शेरावत ने लीड रोल प्ले किया था। मर्डर-3 वेलेंटाइन डे के मौके पर 15 फरवरी को रिलीज होगी।